चिंताजनक टिप्पणी

डेंगू और चिकनगुनिया की रोकथाम के लिए कोई ठोस उपाय नहीं करने पर हाई कोर्ट का दिल्ली सरकार को फटकार लगाना चिंताजनक है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Thu, 18 May 2017 02:07 AM (IST) Updated:Thu, 18 May 2017 02:07 AM (IST)
चिंताजनक टिप्पणी
चिंताजनक टिप्पणी

राजधानी में डेंगू और चिकनगुनिया की रोकथाम के लिए कोई ठोस उपाय नहीं करने पर हाई कोर्ट का दिल्ली सरकार, तीनों नगर निगमों एवं सिविक एजेंसीज को फटकार लगाना चिंताजनक है। कोर्ट ने बिना किसी तैयारी राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाए जाने पर भी गहरी नाराजगी जताई है। कोर्ट का कहना है कि अभी तक किसी भी एजेंसी ने डेंगू और चिकनगुनिया की रोकथाम के लिए कोई वैज्ञानिक समाधान नहीं ढूंढा है। नगर निगमों के पास तो ऐसी जानकारी भी नहीं है कि गत वर्ष कहां पर बीमारी फैली थी और इस बार कहां पर कीटनाशक दवा का छिड़काव करना है। सिविक एजेंसीज भी कागजों पर ही सारा काम कर रही है। हाई कोर्ट की यह टिप्पणी वाकई विचारणीय है। हालांकि अभी पांच दिन पहले ही मानसून पूर्व ऐसी बीमारियों की रोकथाम को लेकर दिल्ली सरकार ने एक बैठक की है। बैठक में न केवल डेंगू और चिकनगुनिया पर विस्तृत स्तर पर अभियान शुरू करने के लिए निर्देश जारी किए गए, बल्कि 20 दिनों के भीतर एक एक्शन प्लान तैयार करने को भी कहा गया। इस अभियान में सभी जिलाधिकारियों को जोडऩे और दिल्ली के कोने-कोने से मच्छरों का सफाया करने के निर्देश भी जारी किए गए। लेकिन इन सभी निर्देशों के पालन पर निगरानी की भी जरूरत है। यदि कह देने भर से सभी अधिकारी व कर्मचारी अपनी जिम्मेदारियों का निवर्हन कर दें तो आधी समस्याएं खत्म हो जाए। परेशानी की जड़ ही जनता से संबंधित मामलों पर लापरवाह रवैया है।
सच यह भी है कि बातें और दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन गंभीर प्रयास नहीं होने से परिणाम सकारात्मक नहीं आ पाते। यह भी सही है कि इस दिशा में नगर निगम और दिल्ली सरकार की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। लेकिन इन बीमारियों का प्रकोप व्यापक स्तर पर ना फैले, इसमें आमजन का सहयोग भी अनिवार्य है। हर समस्या का समाधान सरकार और सरकारी एजेंसियों के मत्थे मढ देना भी तर्कसंगत नहीं। अगर हम अपने घर के आसपास जलभराव होने ही न दें और गंदगी रहने ही न दें तो बीमारियों का आधे से ज्यादा खतरा तो उसी से टल जाएगा। हमें खुद भी सचेत रहना चाहिए। जागरूकता और सतर्कता से हर समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।

[  स्थानीय संपादकीय : दिल्ली ]

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