भ्रष्टाचार के खिलाफ समय पर सख्त कार्रवाई ही भ्रष्ट अफसरों और कर्मियों को जरूरी संदेश देने में होगी सक्षम

सीवीसी को इसकी भी चिंता करनी होगी कि भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से घिरे जिन सरकारी अधिकारियों के यहां सीबीआइ की छापेमारी होती है उनके खिलाफ समय रहते ठोस कार्रवाई हो।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Fri, 11 Sep 2020 06:25 AM (IST) Updated:Fri, 11 Sep 2020 06:25 AM (IST)
भ्रष्टाचार के खिलाफ समय पर सख्त कार्रवाई ही भ्रष्ट अफसरों और कर्मियों को जरूरी संदेश देने में होगी सक्षम
भ्रष्टाचार के खिलाफ समय पर सख्त कार्रवाई ही भ्रष्ट अफसरों और कर्मियों को जरूरी संदेश देने में होगी सक्षम

केंद्रीय सतर्कता आयोग यानी सीवीसी ने केंद्र सरकार के विभिन्न सरकारी विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मुख्य सतर्कता अधिकारियों को यह निर्देश देकर बिल्कुल सही किया कि वे भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतों का निस्तारण 15 दिन के भीतर करें। सीवीसी को यह निर्देश इसलिए देना पड़ा, क्योंकि यह देखने में आ रहा था कि भ्रष्टाचार की शिकायतों पर प्राथमिकता के आधार पर कार्रवाई करने से इन्कार किया जा रहा है।

कुछ समय पहले ही सीवीसी ने यह पाया था कि ऐसी शिकायतों पर समयबद्ध कार्रवाई नहीं हो रही है। उसने समय सीमा का पालन करने की हिदायत भी केंद्र सरकार के सभी विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मुख्य सतर्कता अधिकारियों को दी थी, लेकिन ऐसा लगता है कि उस पर ध्यान नहीं दिया गया और इसीलिए उसकी ओर से यह नया निर्देश जारी करना पड़ा कि भ्रष्टाचार की शिकायतों पर 15 दिन के अंदर जवाब देना सुनिश्चित किया जाए। इसके सकारात्मक नतीजे आने चाहिए, लेकिन इसी के साथ केंद्र सरकार को यह देखना चाहिए कि आखिर उसके विभागों और सरकारी बैंकों के मुख्य सतर्कता अधिकारी भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतों का तत्परता से निस्तारण क्यों नहीं कर रहे थे?

इसका कोई मतलब नहीं जिन मुख्य सतर्कता अधिकारियों पर भ्रष्ट अफसरों पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी हो, वे ही ढिलाई बरतते नजर आएं। यह ढिलाई तो इस धारणा को कमजोर करने वाली है कि मोदी सरकार नौकरशाही के उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में सफल है। इस धारणा को बनाए रखने और उसे मजबूत करने के लिए यह आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य है कि भ्रष्टाचार की प्रत्येक शिकायत पर प्राथमिकता के आधार पर कार्रवाई हो।

इस क्रम में यह भी देखना होगा कि कार्रवाई के नाम पर खानापूरी न होने पाए। इससे इन्कार नहीं कि केंद्र सरकार के उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार पर लगाम लगी है और इसका प्रमाण यह है कि बीते छह साल में कोई घोटाला सामने नहीं आया, लेकिन ऐसी ही लगाम निचले स्तर पर भी लगनी चाहिए। नि:संदेह यह तब होगा, जब उन सब छिद्रों को सख्ती से बंद किया जाएगा जिनका लाभ उठाकर हेराफेरी की जाती है।

सीवीसी को इसकी भी चिंता करनी होगी कि भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से घिरे जिन सरकारी अधिकारियों के यहां सीबीआइ की छापेमारी होती है, उनके खिलाफ समय रहते ठोस कार्रवाई हो। भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सीबीआइ की कार्रवाई की चर्चा तो खूब होती है, लेकिन यह मुश्किल से ही पता चलता है कि ऐसे अधिकारी दंड के भागीदार बने या नहीं? यह समझा जाना चाहिए कि भ्रष्टाचार के खिलाफ समय पर सख्त कार्रवाई ही भ्रष्ट अफसरों-कर्मियों को जरूरी संदेश देने में सक्षम होगी।

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