प्रतिभा को मिलेंगे पंख

झारखंड को विकसित राज्यों की अग्रिम पंक्ति में लाने की गंभीर कवायद में जुटी सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में अहम कदम उठाया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Thu, 11 May 2017 03:40 AM (IST) Updated:Thu, 11 May 2017 03:40 AM (IST)
प्रतिभा को मिलेंगे पंख
प्रतिभा को मिलेंगे पंख

हाईलाइटर
सरकार को यह भी ध्यान देना होगा कि गुणवत्ता की हर कसौटी पर नए स्कूल बिल्कुल नेतरहाट की तरह ही हों। नामांकन में भी पूरी पारदर्शिता बरतनी होगी।
----------
झारखंड को विकसित राज्यों की अग्रिम पंक्ति में लाने की गंभीर कवायद में जुटी सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में अहम कदम उठाया है। राज्य के सुदूर पिछड़े इलाके कोल्हान के चाईबासा में नेतरहाट की तर्ज पर आवासीय स्कूल खोलने का निर्णय दीर्घकाल के लिए अपना असर दिखाएगा। रांची के आसपास व दुमका में भी इस तरह के स्कूल खोलने को कैबिनेट से मंजूरी मिली है। अब राज्य के वैसे मेधावी बच्चों को अपना भविष्य संवारने का मौका मिलेगा जिनके अभिभावक आर्थिक कठिनाइयों के कारण उन्हें अच्छे स्कूलों में दाखिला दिलाने में समर्थ नहीं होते हैं।
विकास की इमारत शिक्षा की मजबूत नींव पर ही तैयार होती है। राज्य सरकार का यह फैसला इसी नींव को मजबूती प्रदान करने की दिशा में एक प्रगतिशील कदम है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए नेतरहाट स्कूल की राष्ट्रीय पहचान है। इस स्कूल से पढ़कर निकले छात्र जीवन के हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का डंका बजाते रहे हैं। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लोगों का सपना रहता है कि उसके मेधावी बच्चों का दाखिला नेतरहराट स्कूल या उसके जैसे किसी विद्यालय में हो जाए। अविभाजित बिहार के समय स्थापित यह स्कूल अब झारखंड की खास पहचान है। लेकिन सीटों की सीमित संख्या के कारण असंख्य मेधावी बच्चों का इस स्कूल में पढऩे का सपना पूरा नहीं हो पाता। चाईबासा समेत रांची व दुमका में नेतरहाट की तरह आवासीय स्कूल खोलकर सरकार ऐसे ही बच्चों की मेधा को पंख लगाने में मदद करेगी। उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने, चमकाने व उसके जरिये देश-समाज की सेवा करने का विस्तृत फलक मिलेगा लेकिन एक बात पर सरकार को ध्यान देना होगा कि गुणवत्ता की हर कसौटी पर नए स्कूल बिल्कुल नेतरहाट की तरह ही हों। ढांचागत सुविधाओं से लेकर पठन-पाठन के माहौल तक में नेतरहाट मार्का विशिष्टता रहनी चाहिए। इसके साथ ही नेतरहाट से जुड़ी कतिपय कमियों-कमजोरियों को इन स्कूलों तक नहीं पहुंच पाने की मुकम्मल व्यवस्था भी होनी चाहिए। इस बात का ठोस प्रावधान होना चाहिए कि नामांकन में पूरी पारदर्शिता रहेगी। मेधा की जगह पैरवी को रत्ती भर भी तवज्जो नहीं मिले। शिक्षकों की कमी कभी नहीं होने दी जाए। ढांचागत सुविधाएं भी विश्व स्तर की रहें। यदि सरकार ने ऐसा कर दिया तो झारखंड के बच्चों की प्रतिभा विश्व स्तर पर व्यापक रूप में चमकेगी। इसलिए सरकार काफैसला स्वागत योग्य है।

[ स्थानीय संपादकीय : झारखंड ]

chat bot
आपका साथी