सुप्रीम कोर्ट ने समझी परीक्षा की महत्ता: विवि की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं कराने के लिए यूजीसी का निर्णय उचित

यदि ये परीक्षाएं टलती हैं तो छात्रों की मेहनत ही व्यर्थ नहीं होगी बल्कि उनके कैरियर का एक वर्ष भी खराब हो सकता है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sat, 29 Aug 2020 12:32 AM (IST) Updated:Sat, 29 Aug 2020 12:32 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने समझी परीक्षा की महत्ता: विवि की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं कराने के लिए यूजीसी का निर्णय उचित
सुप्रीम कोर्ट ने समझी परीक्षा की महत्ता: विवि की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं कराने के लिए यूजीसी का निर्णय उचित

विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं कराने के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्णय को उचित बताकर सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षा की महत्ता को ही स्थापित किया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं न कराने अथवा उन्हेंं अपने हिसाब से टालने वालों को यह समझ आए तो अच्छा कि उनका रवैया परीक्षाओं की गरिमा के अनुकूल नहीं है। चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने यह सुविधा दे दी है कि जो राज्य विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं टालना चाहते हैं वे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से अनुमति लेकर ऐसा कर सकते हैं इसलिए उन्हेंं उसका लाभ उठाना चाहिए और यह भूल जाना चाहिए कि वे कोरोना संकट के नाम पर बिना परीक्षा लिए छात्रों को पास करने का कोई जरिया निकाल सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से विश्वविद्यालयों के सभी पाठ्यक्रमों की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं 30 सितंबर तक हो जाने का रास्ता साफ हो गया है। ध्यान रहे कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने इसी अवधि तक सभी विश्वविद्यालयों को अंतिम वर्ष की परीक्षाएं कराने के निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न केवल असमंजस को खत्म करने, बल्कि यह रेखांकित करने वाला भी है कि परीक्षाएं क्यों आवश्यक हैं? बेहतर हो कि इस फैसले से वे लोग भी संदेश ग्रहण करें जो आइआइटी और मेडिकल कॉलेज की प्रवेश परीक्षाओं-जेईई और नीट के खिलाफ खड़े हैं।

यदि विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आवश्यक हैं और उन्हेंं 30 सितंबर तक कराना जरूरी समझा जा रहा है तो फिर जेईई और नीट को नए सिरे से टालने की मांग का क्या औचित्य? यह हास्यास्पद है कि जो लोग इन परीक्षाओं के विरोध में शारीरिक दूरी की घोर अनदेखी कर सड़कों पर उतर रहे हैं वे इन परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे से डराने में लगे हुए हैं। यह सस्ती राजनीति ही नहीं, उन लाखों छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ भी है जिन्होंने परीक्षाओं की तैयारी के लिए अथक परिश्रम किया है।

यदि ये परीक्षाएं टलती हैं तो छात्रों की मेहनत ही व्यर्थ नहीं होगी, बल्कि उनके कैरियर का एक वर्ष भी खराब हो सकता है। इस आशंका के बावजूद संकीर्ण राजनीतिक कारणों से जेईई और नीट का विरोध जारी है। इसमें संदेह है कि राष्ट्रीय महत्व की इन प्रतियोगी परीक्षाओं का विरोध करने वाले दलों और छात्र हितैषी होने का दावा करने वालों ने छात्रों के मन की बात जानने-समझने की कोई कोशिश की है। इनमें से कुछ दल ऐसे भी हैं जिन्होंने कुछ समय पहले ठीक उसी दिन भारत बंद का आयोजन किया था जिस दिन कई राष्ट्रीय परीक्षाएं होने जा रही थीं।

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