लापरवाह छोड़ें

लापरवाही हमेशा घातक होती है। पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में सर्दी का मौसम शुरू होने के साथ ही आग लगने की घटनाओं में वृद्धि होने लगी है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sun, 04 Dec 2016 03:10 AM (IST) Updated:Sun, 04 Dec 2016 03:15 AM (IST)
लापरवाह छोड़ें

लापरवाही हमेशा घातक होती है। पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में सर्दी का मौसम शुरू होने के साथ ही आग लगने की घटनाओं में वृद्धि होने लगी है। इन घटनाओं के ग्राफ में एकाएक वृद्धि दर्ज होना चिंताजनक है। बार-बार हो रहे अग्निकांड बताते हैं कि लोगों ने पूर्व की घटनाओं से कोई सबक नहीं लिया है या रवैये में लापरवाही छोड़ना ही नहीं चाहते। चाहे मानवीय लापरवाही से लगे या किसी अन्य कारण से, लेकिन यह पीड़ितों को ऐसे जख्म दे जाती है, जिन्हें भरने में लंबा वक्त लगता है। ऐसे समय में अगर चौकसी या पूर्व आपदा प्रबंधन की बातें कहें तो किताबी सी लगती हैं, लेकिन इन्हें नकारा नहीं जा सकता। एक दिन पहले ही कुल्लू जिले के गाहर गांव में आग लगने से नौ मकान राख होने से 23 परिवारों को बेघर होना पड़ा। चंबा जिले के कूंर में कुछ दिन पहले अग्निकांड में छह घर राख होने से आठ परिवारों को बेघर होना पड़ा है। चंबा जिले में इस महीने शायद कोई दिन ऐसा बीता हो, जब आग से घरों को नुकसान पहुंचने का मामला सामने न आया हो। प्रदेश के अन्य जिलों से भी स्थिति सुखद नहीं है। हर साल करोड़ों रुपये की संपदा आग से राख होती रही है लेकिन कोई सबक नहीं सीखा जा रहा। प्रदेश की कई धरोहरें भी जल कर नष्ट हो चुकी हैं। राजधानी शिमला में ऐतिहासिक महत्व की पुरातन इमारतें जल गई थीं। सरकारी स्तर पर आग से निपटने के दावे तो किए जाते हैं लेकिन भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि कई घरों तक सड़क नहीं है व वहां आपात स्थिति में मदद भी नहीं पहुंच पाती है। यह सही है कि कोई भी नहीं चाहता कि उसकी खून-पसीने की कमाई ऐसे ही नष्ट हो जाए लेकिन किसी न किसी स्तर पर होने वाली चूक हादसे का कारण बनती है। प्रदेश के ऊंचे पर्वतीय इलाकों में लोगों ने सर्दियों में पशुओं के लिए चारा व आग जलाने के लिए लकड़ी जमा कर रखी होती है। मामूली सी चिंगारी ऐसे घरों को राख कर सकती है। कई बार लोग रात को खाना बनाने के बाद चूल्हे में आग रहने देते हैं। इसी तरह रात को सोते समय अंगीठी को जलती रहने दिया जाना भी हादसे को न्योता देने के समान है। ऐसे में जरूरी है कि लोग पूर्व आपदा प्रबंधन को अपनाएं। हमारी थोड़ी सी सतर्कता बड़ा हादसा टाल सकती है। सरकारी स्तर पर दूरदराज के गांवों को सड़कों से जोड़ने के लिए प्रयासों को तेजी देनी होगी। आग रोकने के उपायों पर लोगों को जागरूक करने के लिए शिविरों का आयोजन किया जाए। घरों के अंदर या आसपास ज्वलनशील वस्तुओं को रखने से भी परहेज करना होगा। इन उपायों से लोग अपनी व अपनों की सुरक्षा कर सकते हैं।

[ स्थानीय संपादकीय : हिमाचल प्रदेश ]

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