स्मार्ट बनने की राह पर शिमला

शिमला अव्यवस्थित तरीके से आग बढ़ा है। जगह-जगह अतिक्रमण हो गया है। ऐसे में स्मार्ट सिटी की जरूरत के हिसाब से व्यवस्था को लागू करना काफी मुश्किल होगा।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Publish:Sun, 25 Jun 2017 08:05 AM (IST) Updated:Sun, 25 Jun 2017 08:05 AM (IST)
स्मार्ट बनने की राह पर शिमला
स्मार्ट बनने की राह पर शिमला

किन्हीं कारणों से स्मार्ट सिटी की दौड़ में धर्मशाला से पिछड़ गया शिमला अब इस सूची में शामिल हो गया है। वैसे हिमाचल में कद के हिसाब से देखें तो शिमला कई मामलों में धर्मशाला से बड़ी हैसियत रखता है। बात अंग्रेजों के बसाए शहरों के हिसाब से करें या किसी दूसरे नजरिये से। हिल्स क्वीन का तमगा हासिल किए शिमला का ब्रिटिशकाल से राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नाम रहा है। हां, क्रिकेट स्टेडियम बनने के बाद धर्मशाला की पूछ बढ़ी है। लोगों का धर्मशाला की तरफ आना ज्यादा हुआ है।

कभी हिमाचल का इकलौता नगर निगम होने के बावजूद स्मार्ट सिटी के लिए पिछड़ जाने का शिमला के लोगों को मलाल था। अब शिमला नगर निगम शाबाशी का हकदार है, जिसने स्मार्ट बनने की लड़ाई जारी रखी। विशेषकर पूर्व महापौर संजय चौहान मसले को अदालत तक ले गए थे। यह अलग बात है कि उससे शिमला का नाम सूची में तो नहीं आया, पर शिमला की आवाज जरूर उठी। उसके लिए शोर मचा। एक मुद्दा बना, जिसने प्रदेश की जनता का ध्यान भी खींचा। लंबी लड़ाई के बाद शिमला को स्मार्ट होने का हक मिला है। अब दूसरी तरह की चुनौतियों से दो-चार होना पड़ेगा। कभी 25 हजार लोगों के लिए बसाए शिमला की आबादी करीब डेढ़ लाख हो गई है। इसके अलावा हर दिन आने वाले पर्यटक अलग से हैं। शिमला में पेयजल का संकट बड़ी समस्या है। पानी की पाइपलाइन बहुत पुरानी हो गई है।

पानी की परियोजना वर्ष 1875 में शुरू की गई थी। बीच-बीच में इसे बदला जाता रहा। पर अभी तक पूरे शहर के लिए साफ पानी सपना ही है। शिमला को 24 घंटे पानी उपलब्ध कराने का सपना कोल डैम प्रोजेक्ट से पूरा होने की उम्मीद है। शहर में डेढ़ लाख से ज्यादा वाहन आम दिनों में आवाजाही करते हैं। पर्यटन सीजन के दौरान इसमें इजाफा हो जाता है। इससे जाम की दिक्कत बढ़ जाती है। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण यहां बिजली की तारें अंडरग्राउंड करने का काम भी काफी खर्चीला होगा।

शिमला अव्यवस्थित तरीके से आग बढ़ा है। जगह-जगह अतिक्रमण हो गया है। ऐसे में स्मार्ट सिटी की जरूरत के हिसाब से व्यवस्था को लागू करना काफी मुश्किल होगा। इस तरह की चुनौतियां धर्मशाला में भी देखने को मिल रही हैं। कुछ साल पहले स्मार्ट हो चुके धर्मशाला के लोगों को भी अभी उस विकास की लौ का इंतजार है, जो स्मार्ट सिटी में दिखनी चाहिए।लंबी लड़ाई के बाद शिमला शहर स्मार्ट सिटी बनने जा रहा है। अब शहर के सळ्नियोजित विकास के लिए नई तरह की चुनौतियां सामने आने वाली हैं।

[हिमाचल संपादकीय]

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