नक्सलबाड़ी में शाह

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने बंगाल की पार्टी इकाई से कहा था कि पंचायत चुनाव में ही 'लांग जंप' लगाना होगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Wed, 26 Apr 2017 01:53 AM (IST) Updated:Wed, 26 Apr 2017 01:53 AM (IST)
नक्सलबाड़ी में शाह
नक्सलबाड़ी में शाह

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने बंगाल की पार्टी इकाई से कहा था कि पंचायत चुनाव में ही 'लांग जंप' लगाना होगा। उसी अनुसार बंगाल भाजपा के नेता दिनरात एक किए हुए हैं। साथ ही उन जिलों से कदम पूरे सूबे में बढ़ाना चाहते हैं जहां से कभी वामपंथियों ने पैठ बनाकर 34 वर्षों तक बंगाल पर शासन किया था। इसका प्रमाण वीरभूम में सोमवार को भाजपा नेताओं का जुलूस हो या फिर मंगलवार को उस धरती से शाह का बूथ चलो अभियान शुरू करना जिसे नक्सलवाद की लाल धरती कही जाती है। नक्सलवाद कम्युनिस्ट क्रांतिकारियों के उस आंदोलन का अनौपचारिक नाम है जो भारतीय कम्युनिस्ट आंदोलन के फलस्वरूप उत्पन्न हुआ। नक्सल शब्द की उत्पत्ति बंगाल के दार्जिलिंग जिले में नेपाल की सीमा से लगे उस छोटे से गांव नक्सलबाड़ी से हुई है, जहां भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता चारू मजूमदार और कानू सान्याल ने 1967 में सत्ता के खिलाफएक सशस्त्र आंदोलन की शुरुआत की। किसी जमाने में सशस्त्र क्रांति का बिगुल फूंककर पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचने वाले नक्सलबाड़ी का चेहरा शायद बदलने लगा है। क्योंकि, उसी लाल आंदोलन की भूमि से ही पूरे बंगाल में केसरिया झंडा लहराने का सपना लिए भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष पहुंचे हैं। क्या अपने नक्सली अतीत वाले नक्सलबाड़ी की धरती 'कमल फूल' के लिए उपजाऊ होगी? क्योंकि, साठ के दशक के आखिर में किसानों को उनका हक दिलाने के लिए यहां जिस नक्सल आंदोलन की शुरूआत हुई थी, अब यहां उसके निशान तक नहीं है। जिस उद्देश्य से शुरू हुआ नक्सली आंदोलन आज भटक चुका है, जो हर दिन खून बहा रहा है। सोमवार को ही छत्तीसगढ़ में माआवोदियों ने केंद्रीय बल के 25 जवानों की हत्या कर दी। नक्सलबाड़ी की धरती पर तो कहीं आंदोलन नहीं है, लेकिन कुछ संगठन अन्य राज्यों में छद्म लड़ाई में लगे हुए हैं। नक्सलवाद की सबसे बड़ी मार आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ, ओडिशा, झारखंड और बिहार को झेलनी पड़ रही है। नक्सलवादी कहें या माओवादी उसके काले साये से बंगाल आज मुक्त है। कहा जाता है कि बंगाल में वीरभूम जिले से ही कम्युनिस्ट पार्टी ने अपनी पैठ बनाई थी। भले ही तृणमूल का जन्म कोलकाता में हुआ हो लेकिन वीरभूम आज भी तृणमूल के लिए अहम है। अब भाजपा राज्य के उस दो अहम स्थानों पर कब्जा जमाने की जुगत में है, जिसे कभी लाल धरती कही जाती थी।
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(हाईलाइटर: उसी लाल आंदोलन की भूमि से ही पूरे बंगाल में केसरिया झंडा लहराने का सपना लिए भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष पहुंचे हैं। क्या अपने नक्सली अतीत वाले नक्सलबाड़ी की धरती 'कमल फूल' के लिए उपजाऊ होगी?)

[ स्थानीय संपादकीय : पश्चिम बंगाल ]

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