पौधरोपण का मौसम

राज्य में पौधरोपण के लिए बेहतरीन परिस्थितियां तैयार हैं लेकिन सरकारी संगठनों में ललक नहीं दिख रही।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Mon, 17 Jul 2017 03:50 AM (IST) Updated:Mon, 17 Jul 2017 03:50 AM (IST)
पौधरोपण का मौसम
पौधरोपण का मौसम

मानसून की शुरुआती बारिश के बाद राज्य में पौधरोपण के लिए बेहतरीन परिस्थितियां तैयार हैं लेकिन सरकारी या गैर सरकारी संगठनों में इस मौसम का लाभ उठाने की ललक नहीं दिख रही। राज्य में पर्यावरणीय प्रदूषण के नाजुक स्तर के बावजूद पौधरोपण के लिए अभियाननुमा कार्ययोजना का अभाव चिंताजनक है। तकनीकी दृष्टि से देखें तो पृथक झारखंड राज्य गठन के बाद बिहार में वन क्षेत्र सीमित बचा है। सरकारी नीति के ही मुताबिक, किसी भी राज्य में कम से कम 33 फीसद हरित आवरण होना चाहिए। बिहार में यह दर 20 फीसद से भी कम है। जाहिर तौर पर यह स्थिति चिंताजनक है लेकिन योजनाकारों के माथे पर इसे लेकर चिंता कही कोई लकीर नहीं दिखती। यह बात इसलिए और भी गौरतलब है कि विभिन्न राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं बिहार की राजधानी पटना और अन्य शहरों के पर्यावरणीय प्रदूषण स्तर पर चिंता जता चुकी हैं। प्रदूषण स्तर ठीक करने का सबसे आसान तरीका है कि खूब पौधरोपण करके राज्य का हरित कवर बढ़ा दिया जाए लेकिन सरकार की किसी योजना में ऐसी सोच नहीं दिखती। बरसात के मौसम में पौधरोपण की परंपरा रही है लेकिन राज्य का वन विभाग इसके निर्वहन में दिलचस्पी नहीं ले रहा। वैसे प्रदूषण नियंत्रण और पौधरोपण की जिम्मेदारी अकेले सरकार पर नहीं छोड़ दी जानी चाहिए। इसे लेकर जब तक आम लोगों में जागरूकता नहीं आएगी, बात नहीं बनेगी। गांवों से लेकर शहरों तक आम लोगों में यह दायित्वबोध होना चाहिए कि जहां भी उपयुक्त स्थान मिले, पौधरोपण करें। इतना ही नहीं, पौधरोपण के बाद लोगों को उनकी देखरेख की जिम्मेदारी भी उठानी होगी अन्यथा पौधरोपण रस्मी होकर रह जाएगा। परिवार, मोहल्ला या गांव-शहर में खुशी-शोक के अवसरों पर वृक्षारोपण की आदत बड़ा बदलाव पैदा कर सकती है। इसके लिए स्कूलों में बच्चों को प्रेरित-प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। राज्य के रोहतास जिले में प्रशासन ने योजना बनाई है कि हर बच्ची के जन्म पर उसके ही नाम पर एक पौधा लगाया जाएगा। यह शानदार सोच है। इसे सिर्फ बच्ची के बजाय हर बच्चे के जन्म पर पौधा लगाने की व्यापक सोच के साथ पूरे राज्य में लागू किया जा सकता है। कहने का आशय यह है कि लोगों को बहाने-बेबहाने पौधरोपण करने की आदत डाल लेनी चाहिए। भावी पीढ़ी के लिए हमारा सबसे बड़ा तोहफा यही होगा।
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पौधे कुदरत का शृंगार होते हैं। यदि हर व्यक्ति एक पौधा लगाकर उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी ले ले तो पर्यावरणीय प्रदूषण की समस्या अपने आप किसी हद तक खत्म हो जाएगी। बारिश का यह मौसम इस अभियान की शुरुआत करने का सर्वोत्तम समय है।

[ स्थानीय संपादकीय : बिहार ]

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