ग्राम्य स्वच्छता

गांव-गिरांव की डगर पर जगह-जगह गंदगी के ढ़ेर और कूड़ा करकट से पटी नालियां ग्रामीणों के लिए अभिशाप बनी हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Wed, 09 Aug 2017 06:15 AM (IST) Updated:Wed, 09 Aug 2017 06:15 AM (IST)
ग्राम्य स्वच्छता
ग्राम्य स्वच्छता

गांव-गिरांव की डगर पर जगह-जगह गंदगी के ढ़ेर और कूड़ा करकट से पटी नालियां ग्रामीणों के लिए अभिशाप बनी हैं। अधिकतर गांवों में स्वच्छ भारत अभियान दम तोड़ता दिखता है। यह बात दीगर है कि ग्रामीण अपने बल-बूते पर स्वच्छता बनाए रखें नहीं तो गांवों में नियुक्त कर्मियों के भरोसे सफाई अभियान का सफल हो पाना मुमकिन नहीं। ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर सफाई कर्मियों से स्वच्छता के बजाए अन्य काम लिये जा रहे हैं। राशनकार्ड सत्यापन, सर्वे और मतदाता सूची तैयार कराने से लेकर बीएलओ जैसी जिम्मेदारी भी सफाई कर्मचारियों के हवाले है। अफसरों की खिदमत में भी सफाईकर्मियों को ही लगा दिया जाता है। तकरीबन 90 हजार कर्मियों में से एक चौथाई से स्वच्छता से इतर काम लिया जा रहा है। वैसे भी गांवों में सफाई कार्य व आबादी के मानकों के अनुसार कर्मचारियों की किल्लत है। बसपा शासन में प्रदेश के एक लाख आठ हजार से अधिक राजस्व गांवों में, प्रति गांव एक सफाई कर्मचारी की नियुक्ति की गयी थी लेकिन, वर्तमान में यह संख्या घटकर लगभग 96 हजार रह गयी है। जिन गांवों से कोई सफाई कर्मचारी नौकरी छोड़ गया, वहां भी नई नियुक्ति नहीं की गयी। 1कई राजस्व गांवों में शामिल अनेक मजरों की आपस में दूरी दो से पांच किलोमीटर तक होती है। ऐसे में एक व्यक्ति के बूते इतने बड़े क्षेत्र में सफाई संभव नहीं। विडंबना है कि गांवों में सफाई के लिए कर्मचारी तैनात तो कर दिए गए हैं परंतु उनको उपकरण नहीं प्रदान किए गए। कर्मचारियों को झाड़ू, फिनायल, बाल्टी व कचरा ढ़ोने के लिए ट्राली तक उपलब्ध नहीं करायी जाती। वेतन लेने के लिए ऊपर से प्रधान समेत चार स्थानों पर चक्कर लगाने पड़ते है। अफसोसनाक है कि सफाई कर्मियों की समस्याएं सुनने को कोई सहज तैयार नहीं। उनकी प्रोन्नति का वादा पहले की सरकारों ने किया परंतु अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। सफाईकर्मियों की यह हाल-बेहाली अनुचित ही कही जाएगी कि जब उनके पास वेतन से लेकर साफ-सफाई के यंत्रों तक का टोटा हो। शर्मनाक है कि उन्हें वेतन की खातिर परिक्रमा लगानी पड़ती है। उचित होगा कि सरकार सफाईकर्मियों की समस्याओं के निस्तारण के प्रति सचेष्ट होकर जल्द पहल करे।

[ स्थानीय संपादकीय : उत्तर प्रदेश ]

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