तकनीकी शिक्षा की सुध

पंजाब की गणना बेशक देश के विकसित राज्यों में होती है, परंतु शिक्षा के क्षेत्र में आज भी उतना विकास नहीं हुआ जितना अपेक्षित था।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Wed, 19 Apr 2017 02:25 AM (IST) Updated:Wed, 19 Apr 2017 02:25 AM (IST)
तकनीकी शिक्षा की सुध
तकनीकी शिक्षा की सुध

तकनीकी शिक्षण संस्थानों में बायोमीट्रिक व्यवस्था के जरिये शिक्षकों व विद्यार्थियों की उपस्थिति पर नजर रखने का निर्णय निस्संदेह महत्वपूर्ण है और इसके दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे।

पंजाब की गणना बेशक देश के विकसित राज्यों में होती है, परंतु शिक्षा के क्षेत्र में आज भी उतना विकास नहीं हुआ जितना अपेक्षित था। आज भी प्रदेश में शिक्षा, खासकर तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में बहुत कुछ किया जाना शेष है। बुनियादी सुविधाओं के साथ ही ऐसी तमाम अनियमितताएं हैं, जिन्हें सुधारने की आवश्यकता है। यह अच्छी बात है कि प्रदेश सरकार इस दिशा में पहल करती दिखाई दे रही है। इसी क्रम में गत दिवस तकनीकी शिक्षा मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी ने विभाग की पहली बैठक में कई उल्लेखनीय फैसले लिए। इनमें बायोमीट्रिक व्यवस्था के जरिये शिक्षकों व विद्यार्थियों की उपस्थिति पर नजर रखने का निर्णय निस्संदेह महत्वपूर्ण है। अक्सर ऐसी शिकायतें आती रहती हैं कि कई जगह शिक्षक शिक्षण संस्थानों में कई-कई दिनों तक आते ही नहीं हैं, परंतु रजिस्टर में उनकी उपस्थिति दर्ज होती रहती है। यही हाल विद्यार्थियों के मामले में भी है। शिक्षण संस्थान आवश्यकता अनुसार रजिस्टर व्यवस्थित करते रहते हैं, ताकि संस्थान की मान्यता बची रहे और ग्रांट आदि प्राप्त होती रहे। निस्संदेह बायोमीट्रिक व्यवस्था लागू होने से इन अनियमितताओं को सुधारने में महत्वपूर्ण सफलता मिलेगी। यह बात भी किसी से छिपी नहीं है कि विद्यार्थी सरकारी पॉलीटेक्निक कॉलेजों, इंजीनियरिंग कॉलेजों व आइटीआइ से विमुख होते जा रहे हैं। यही कारण है कि इन शिक्षण संस्थानों में प्रवेश को प्रोत्साहन देने के लिए कुशाग्र व खेलों में उपलब्धि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के लिए छात्रवृति स्कीम शुरू करने की घोषणा भी गत दिवस की गई। इसके अतिरिक्त नकल करते किसी के पकड़े जाने पर ड्यूटी पर तैनात अधिकारी की जवाबदेही तय करने और उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करने की घोषणा भी स्वागत योग्य है। मंत्री का यह कहना कतई गलत नहीं है कि सरकारी तकनीकी शिक्षण संस्थानों में कार्यरत शिक्षक व अन्य स्टॉफ निजी संस्थानों के मुकाबले अधिक शिक्षित है, अधिक वेतन पा रहा है, लेकिन कार्य संस्कृति उसके अनुरूप न होने और विद्यार्थियों के अभाव में अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आ रहे। यदि इसमें सुधार कर लिया जाए तो तकनीकी शिक्षण संस्थानों की कायापलट होने में कतई कोई संदेह नहीं है और अंततोगत्वा इसका सर्वाधिक लाभ प्रदेश को ही मिलेगा।

[ स्थानीय संपादकीय : पंजाब ]

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