उचित कदम

पंजाब सरकार ने पुलिस के कामकाज पर नजर रखने के लिए हलका इंचार्ज की व्यवस्था को समाप्त कर उचित कदम ही उठाया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sun, 16 Apr 2017 02:05 AM (IST) Updated:Sun, 16 Apr 2017 02:05 AM (IST)
उचित कदम
उचित कदम

पंजाब सरकार ने पुलिस के कामकाज पर नजर रखने के लिए पूर्व सरकार द्वारा बनाई हलका इंचार्ज की व्यवस्था समाप्त कर नई व्यवस्था के निर्माण के लिए जो कदम उठाया है वह उचित ही है।


पंजाब सरकार ने पुलिस के कामकाज पर नजर रखने के लिए पूर्व सरकार की ओर से बनाई गई हलका इंचार्ज की व्यवस्था को समाप्त कर उचित कदम ही उठाया है। पूर्व सरकार ने यह व्यवस्था इसलिए बनाई थी ताकि कानून व्यवस्था को बेहतर व चाक-चौबंद बनाया जा सके, साथ ही जवाबदेही भी तय हो सके। निस्संदेह इसके पीछे इरादा नेक ही था, लेकिन जिस उद्देश्य, मंतव्य से इसे अमल में लाया गया था वह पूरी तरह हासिल नहीं किया जा सका। इसके विपरीत इससे हानि ही अधिक हुई। पुलिसकर्मी एसएसपी व कमिश्नर की बजाय हलका इंचार्जों के इशारे पर काम करने लगे थे। हालात यह हो गए थे कि हलका इंचार्ज खुद ही सरकार की भूमिका निभाने लगे थे। डीजीपी के स्पष्ट आदेश के बावजूद हालात में परिवर्तन नहीं हो रहा था। जाहिर है ऐसी परिस्थिति में पुलिस पर सियासी दबाव बेहद बढ़ गया था। इस व्यवस्था ने पुलिस के काम में इस कदर सियासी दखल दिया कि प्रदेश की समूची कानून व्यवस्था ही चरमरा गई। संभवत: यही कारण था कि गत वर्षों में प्रदेश में अपराधियों के हौसले बेहद बुलंद हो गए थे। इस बात से आम जनता में पुलिस व सरकार के खिलाफ बहुत अधिक रोष था और चुनाव परिणामों में यह स्पष्ट रूप से देखने को भी मिला। हालांकि इस बात की उम्मीद करना भी बेमानी ही है कि महज हलका इंचार्ज की व्यवस्था को खत्म कर देने से प्रदेश की कानून व्यवस्था पूरी तरह पटरी पर आ जाएगी, क्योंकि देखा जाए तो नई सरकार बनने के बाद भी प्रदेश में अपराध की दर में कोई कमी नहीं आई है। कदाचित इसीलिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने डीजीपी से पुलिस कमिश्नरों, अन्य अधिकारियों व लोगों से राय लेकर यह रिपोर्ट देने को कहा कि प्रदेश की कानून व्यवस्था को सुधारने के लिए किस प्रकार की व्यवस्था लागू की जानी चाहिए। निस्संदेह यह एक उचित पहल है और जब सबकी सहमति व सबके विचार से एक निष्कर्ष लेकर कोई व्यवस्था बनेगी और लागू होगी तो उसकी सफलता के अवसर भी स्वत: ही बढ़ जाएंगे। अब आवश्यकता इस बात की है कि डीजीपी शीघ्रता से इस दिशा में कार्य शुरू कर दें। इसमें अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए, ताकि एक सर्वमान्य व्यवस्था का निर्माण हो सके और प्रदेश में ऐसी व्यवस्था लागू हो सके, जिसमें हर नागरिक की सुरक्षा, स्वतंत्रता की रक्षा हो और उसे पुलिस तथा कानून से समय रहते न्याय मिल सके।

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