प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना: जन कल्याण की दिशा में दुनिया को राह दिखाने वाली पहल

एक स्वस्थ समाज का निर्माण तभी किया जा सकता है जब शासन के साथ-साथ जनता भी अपने हिस्से का काम सही तरह से करे।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sun, 23 Sep 2018 10:23 PM (IST) Updated:Mon, 24 Sep 2018 05:00 AM (IST)
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना: जन कल्याण की दिशा में दुनिया को राह दिखाने वाली पहल
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना: जन कल्याण की दिशा में दुनिया को राह दिखाने वाली पहल

आयुष्मान भारत नाम से चर्चित प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की शुरुआत दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना का सामने आना ही नहीं है। यह जन कल्याण की दिशा में दुनिया को राह दिखाने वाली भी एक पहल है। यह कितनी बड़ी जन कल्याणकारी योजना है, इसे इससे समझा जा सकता है कि इसके दायरे में दस करोड़ से अधिक परिवारों के करीब 50 करोड़ लोग आएंगे। भारत और चीन को छोड़ दें तो किसी भी देश की उतनी आबादी नहीं है जितनी इस योजना से लाभान्वित होने जा रही है।

इस पर हैरत नहीं कि इसे बाजी पलटने वाली योजना कहा जा रहा है, लेकिन ऐसा तभी होगा जब इस योजना पर सही तरह अमल होगा और निर्धन तबके को सचमुच राहत मिलेगी। इस महत्वाकांक्षी योजना को सफल बनाना केवल इसलिए कठिन काम नहीं कि यह एक बड़ी योजना है। कठिनाई इसलिए भी है कि अपने देश में वैसा स्वास्थ्य ढांचा नहीं जैसा ऐसी किसी योजना को साकार करने के लिए आवश्यक है। समस्या केवल यह नहीं कि आबादी के हिसाब से पर्याप्त चिकित्सक नहीं। समस्या यह भी है कि हमारा स्वास्थ्य तंत्र भी बहुत कमजोर है।

स्पष्ट है कि यह विशालकाय योजना एक अवसर के साथ चुनौती भी है। इस चुनौती से तभी पार पाया जा सकेगा जब केंद्र और राज्य सरकारों के साथ निजी क्षेत्र का स्वास्थ्य तंत्र इस योजना के क्रियान्वयन को राष्ट्रीय दायित्व के रूप में लेगा। बेहतर हो कि जिन भी लोगों पर इस योजना को साकार करने की जिम्मेदारी है वे यह समझें कि देश ही नहीं दुनिया भी उनकी ओर देख रही है। इसी के साथ केंद्र और राज्य सरकारों को सरकारी स्वास्थ्य ढांचे को दुरुस्त करने पर विशेष ध्यान देना होगा।

यह समझना कठिन है कि पंजाब, ओडिशा, तेलंगाना, दिल्ली आदि ने खुद को इस योजना से जोड़ना जरूरी क्यों नहीं समझा? चूंकि इस योजना से अलग हुए राच्यों ने अपने फैसले के पक्ष में कोई ठोस कारण नहीं गिनाया इसलिए इस निष्कर्ष पर पहुंचने के अलावा और कोई उपाय नहीं कि संकुचित राजनीति अंतत: जन कल्याण की अनदेखी ही करती है। एक ऐसे समय जब उपचार दिन-प्रतिदिन महंगा होता चला जा रहा है तब जरूरी केवल यह नहीं है कि स्वास्थ्य ढांचे में सुधार हो और निर्धन तबके को कोई आसान स्वास्थ्य बीमा सुविधा उपलब्ध हो, बल्कि यह भी है कि आम नागरिकों में सेहत के प्रति जागरूकता कैसे बढ़े।

यह एक तथ्य है कि अभी अपने देश में सेहत के प्रति वैसी चेतना नहीं जैसी होनी चाहिए। यही कारण है कि साफ-सफाई की महत्ता से लोगों को परिचित कराने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने पड़ रहे हैं। उचित यह होगा कि आम लोग जैसी दिलचस्पी आयुष्मान भारत योजना के प्रति दिखा रहे हैं वैसी ही स्वच्छ भारत अभियान के प्रति भी दिखाएं। जिस तरह सरकार का यह दायित्व बनता है कि वह लोगों के स्वास्थ्य की चिंता करे और उनके लिए उपयुक्त एवं प्रभावी स्वास्थ्य ढांचा उपलब्ध कराए उसी तरह खुद आम लोगों की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें। एक स्वस्थ समाज का निर्माण तभी किया जा सकता है जब शासन के साथ-साथ जनता भी अपने हिस्से का काम सही तरह से करे।

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