लखनऊ में शक्ति प्रदर्शन: प्रियंका गांधी के स्वागत में उमड़े जनसैलाब से कांग्रेस हुई गदगद

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ रोड शो करने लखनऊ पहुंचीं प्रियंका गांधी वाड्रा के स्वागत में जैसी भीड़ जुटी उससे उनके साथ कांग्रेस के अन्य नेताओं का उत्साहित होना स्वाभाविक है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Mon, 11 Feb 2019 11:19 PM (IST) Updated:Tue, 12 Feb 2019 08:51 PM (IST)
लखनऊ में शक्ति प्रदर्शन: प्रियंका गांधी के स्वागत में उमड़े जनसैलाब से कांग्रेस हुई गदगद
लखनऊ में शक्ति प्रदर्शन: प्रियंका गांधी के स्वागत में उमड़े जनसैलाब से कांग्रेस हुई गदगद

कांग्रेस महासचिव बनने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ रोड शो करने लखनऊ पहुंचीं प्रियंका गांधी वाड्रा के स्वागत में जैसी भीड़ जुटी उससे उनके साथ कांग्रेस के अन्य नेताओं का उत्साहित होना स्वाभाविक है, लेकिन केवल भीड़ की भारी जुटान किसी दल के उभार का परिचायक नहीं हो सकती। वैसे भी यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस के ऐसे किसी रोड शो में भारी भीड़ उमड़ी हो। बहुत दिन नहीं हुए जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के पहले लखनऊ में राहुल गांधी एवं अखिलेश यादव के ऐसे ही रोड शो में भारी भीड़ उमड़ी थी और सभी को पता है कि इसका नतीजा क्या रहा? इसमें दोराय नहीं कि गांधी परिवार का सदस्य होने के नाते प्रियंका के प्रति आम लोगों में एक आकर्षण है। यह आकर्षण भीड़ तो जमा कर सकता है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि उसे वोटों में भी तब्दील कर सके। आखिर यह एक तथ्य है कि विधानसभा चुनावों के दौरान अमेठी और रायबरेली में प्रियंका की तमाम सक्रियता के बाद भी इन दोनों जिलों की ज्यादातर विधानसभा सीटों पर कांग्रेस को पराजय का सामना करना पड़ा था। स्पष्ट है कि उनकी राजनीतिक परीक्षा होना अभी शेष है।

प्रियंका गांधी वाड्रा ने लखनऊ रवाना होने के पहले एक संदेश के जरिये यह कहा कि हम सब मिलकर एक नए ढंग की राजनीति करेंगे। पता नहीं कि नई तरह की राजनीति से उनका आशय क्या है, लेकिन सभी को पता है कि राहुल गांधी जब महासचिव बने थे तो उन्होंने भी कुछ इसी तरह की बातें की थीं। तब उन्होंने युवाओं को राजनीति में आगे बढ़ने के अवसर देने और पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र को मजबूत करने की बातें की थीं, कांग्रेस अध्यक्ष बनने के एक साल बाद ही उन्होंने पार्टी को मजबूत करने के लिए बहन प्रियंका को महासचिव बना दिया।

प्रियंका का राजनीति में स्वागत है, लेकिन आखिर कांग्रेस या फिर अन्य किसी दल में कितने ऐसे नेता हैैं जो सीधे महासचिव बन जाते हैैं? प्रियंका के सीधे महासचिव बनने से तो यही साबित हुआ कि कांग्रेस गांधी परिवार के बिना आगे बढ़ना नहीं सीख पाई है। भले ही प्रियंका को कांग्रेस महासचिव के रूप में पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया हो, लेकिन वह निर्विवाद रूप से राहुल गांधी के बाद सबसे प्रभावी नेता बन गई हैैं। यह सही है कि इससे कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को कोई परेशानी नहीं होने वाली, लेकिन इस सबसे परिवाद की राजनीति को तो प्रश्रय मिलता ही है।

नि:संदेह गांधी परिवार कांग्रेस की एक ताकत है, लेकिन बदलते हुए भारत में प्रियंका की सफलता उनके राजनीतिक कौशल पर निर्भर करेगी, न कि इस पर कि उनकी शक्ल-सूरत दादी इंदिरा गांधी से बहुत मिलती है। कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने के लिए यह उम्मीद जगाने में हर्ज नहीं कि उत्तर प्रदेश में अगली सरकार कांग्रेस की बनने वाली है, लेकिन राज्य की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयान करती है। लखनऊ रोड शो में चौकीदार चोर है के नारे लगवाने वाले राहुल गांधी इस हकीकत की भी अनदेखी नहीं कर सकते कि राबर्ट वाड्रा कैसे गंभीर आरोपों से घिरे हुए हैैं।

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