सरकार की गरीबी रेखा

प्रदेश सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे जीने वाले लोगों का दायरा बढ़ा कर ठीक किया है, लेकिन इस बारे में कुछ और विचार किए जाने की जरूरत है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Tue, 25 Apr 2017 05:07 AM (IST) Updated:Tue, 25 Apr 2017 05:07 AM (IST)
सरकार की गरीबी रेखा
सरकार की गरीबी रेखा

प्रदेश सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे जीने वाले लोगों का दायरा बढ़ा कर ठीक किया है, लेकिन इस बारे में कुछ और विचार किए जाने की जरूरत है। जो सरकार का फैसला है उसके अनुसार गांवों में 49 हजार रुपये वार्षिक आमदनी वाले अब गरीबी रेखा से नीचे माने जाएंगे। शहरी इलाकों में इसके लिए वार्षिक पारिवारिक आमदनी की सीमा 60 हजार रुपये निर्धारित की गई है। इसी तरह गांवों में 98 हजार और शहरों में 1.20 लाख रुपये की वार्षिक आमदनी वाले परिवार दोहरी गरीबी रेखा से नीचे के दायरे में आएंगे। मतलब यह यदि किसी परिवार की वार्षिक आमदनी इससे एक रुपये भी ज्यादा हुई तो वह परिवार गरीबी रेखा या दोहरी गरीबी रेखा से ऊपर उठा हुआ माना जाएगा। महीने की बात करें तो सिर्फ सवा आठ पैसे की प्रति माह आय पर परिवार की आर्थिक स्थिति सरकार की निगाह में बदल जाएगी। इसी के साथ ही सरकार को परिवार के सदस्यों की संख्या के बारे में विचार करना चाहिए। जिस शहरी परिवार में दो सदस्य हैं, उसकी आमदनी पांच हजार रुपये प्रति माह है तो एक के हिस्से में ढाई हजार आएंगे, लेकिन जिस परिवार में चार सदस्य हैं तो उसके हिस्से में सवा हजार ही आएंगे। क्या यह उस परिवार के साथ नाइंसाफी नहीं होगी? वैसे प्रदेश सरकार की कसौटी तो वैसी ही है, जैसी तीन वर्ष पहले केंद्र की मनमोहन सरकार ने बनाई थी। उसके अनुसार महीने में 4080 रुपये कमाने वाला ग्र्रामीण परिवार और 166.5 रुपये रोजाना या 5000 रुपये महीना कमाने वाला शहरी परिवार गरीब नहीं था। इसलिए प्रदेश सरकार को अपनी कसौटी पर फिर से विचार करना चाहिए कि क्या यह न्यायोचित है? नहीं। न्यूनतम आवश्यकताओंं के मुताबिक ही गरीबी की परिभाषा तय होनी चाहिए। इसलिए प्रदेश सरकार को इस पर अध्ययन कराना चाहिए और वह अध्ययन भी धरातल पर होना चाहिए। तब शायद इस तरह का रेखांकन वास्तविकता के करीब होगा। यदि सरकार ऐसा करती है तो निश्चित रूप से गरीबी रेखा के नीचे जीवन जीने वालों की संख्या बढ़ जाएगी। जब तक ऐसा नहीं होगा, तब तक न तो गरीबों की वास्तविक संख्या का पता चलेगा न ही उनकी दशा में सुधार नहीं हो सकता।

[ स्थानीय संपादकीय : हरियाणा ]

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