लॉकडाउन में वृद्धि के चलते निर्धन वर्ग भुखमरी की चपेट में आ सकते हैं, देश में कोरोना फैलने का खतरा बरकरार

केंद्र और राज्य सरकारों को समझना होगा कि लॉकडाउन में एक और विस्तार के फैसले के साथ ही उनकी चुनौतियां बढ़ने वाली हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Fri, 01 May 2020 08:58 PM (IST) Updated:Sat, 02 May 2020 12:34 AM (IST)
लॉकडाउन में वृद्धि के चलते निर्धन वर्ग भुखमरी की चपेट में आ सकते हैं, देश में कोरोना फैलने का खतरा बरकरार
लॉकडाउन में वृद्धि के चलते निर्धन वर्ग भुखमरी की चपेट में आ सकते हैं, देश में कोरोना फैलने का खतरा बरकरार

जब यह उम्मीद की जा रही थी कि लॉकडाउन खत्म करने की घोषणा हो सकती है तब उसकी समय-सीमा 17 मई तक बढ़ाने का फैसला यही बताता है कि कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने का खतरा बरकरार है। न तो इस खतरे को कम करके आंका जा सकता है और न ही कोई जोखिम मोल लिया जा सकता है। इसके बावजूद इसकी अनदेखी भी नहीं की जा सकती कि कारोबारी गतिविधियों के थमे होने के कारण अर्थव्यवस्था की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं और इसी के साथ कमजोर तबके और खासकर रोज कमाने-खाने वालों की समस्याएं भी बढ़ रही हैं।

स्पष्ट है कि केंद्र और राज्य सरकारों को इसके लिए अतिरिक्त सतर्कता बरतनी होगी कि इस तबके की समस्याएं गंभीर रूप न लेने पाएं। यह जो आशंका व्यक्त की जा रही है कि लंबे लॉकडाउन के चलते निर्धन वर्ग के लोग भुखमरी की चपेट में आ सकते हैं उसे दूर करने को लेकर विशेष सतर्कता बरती जानी चाहिए। हालांकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संक्रमण से बचे हुए और ग्रीन जोन कहे जाने वाले तीन सौ से अधिक जिलों में कुछ रियायत देने की घोषणा की है, लेकिन यह कहना कठिन है कि इससे कारोबारी गतिविधियों को अपेक्षित गति मिल सकेगी।

फिलहाल कारोबारी गतिविधियों के सही ढंग से शुरू होने के आसार इसलिए कम हैं, क्योंकि आवाजाही पर प्रतिबंध के साथ बाजार, सिनेमाघर, मॉल, शिक्षण संस्थाएं आदि खोलने की अनुमति अभी भी नहीं होगी। ऐसे में इस पर गौर किया ही जाना चाहिए कि आखिर कारोबारी गतिविधियों और विशेष रूप से जीविका के साधनों को आगे बढ़ाने की पहल कैसे सफल होगी? बेहतर होगा कि इसकी हर दिन समीक्षा की जाए कि ग्रीन और साथ ही आरेंज जोन वाले जिलों में दी जाने वाली रियायतों के वांछित नतीजे सामने आते दिख रहे हैं या नहीं? आवश्यकता पड़ने पर रियायत संबंधी फैसलों में हेरफेर भी किया जाना चाहिए।

आखिर जब यह स्पष्ट है कि जिंदगी बचाना एक बड़ी हद तक जीविका के साधनों पर निर्भर है तब फिर इन साधनों को संचालित करने के हर संभव जतन किए ही जाने चाहिए। केंद्र और राज्य सरकारों को यह भी समझना होगा कि लॉकडाउन में एक और विस्तार के फैसले के साथ ही उनकी चुनौतियां बढ़ने वाली हैं। उनके सामने चुनौती केवल यही नहीं है कि अधिक संख्या में कोरोना मरीज वाले जिलों यानी रेड जोन में कोरोना संक्रमण की रोकथाम और प्रभावी तरीके से हो, बल्कि यह भी है कि वहां लॉकडाउन के नियमों का सही तरह पालन कराया जाए। यदि इस पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया जाता तो फिर लॅाकडाउन को बढ़ाने का सिलसिला खत्म होने वाला नहीं।

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