पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के सामने ममता ने पेश की राजनीतिक शिष्टाचार

बुद्धदेव के कार्यकाल के अंतिम समय में सत्तारूढ़ दल का राजनीतिक शिष्टाचार लगभग खत्म हो गया था।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sun, 04 Mar 2018 02:51 PM (IST) Updated:Sun, 04 Mar 2018 02:51 PM (IST)
पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के सामने ममता ने पेश की राजनीतिक शिष्टाचार
पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के सामने ममता ने पेश की राजनीतिक शिष्टाचार

पश्चिम बंगाल में वाममोर्चा के 34 वर्षों के शासन में सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के बीच हमेशा तनातनी रही। अंतिम सप्तम वाममोर्चा सरकार के साथ तृणमूल कांग्रेस का टकराव इस स्तर पर आ गया था कि विपक्ष हर अवसर पर तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के कार्यक्रमों का बहिष्कार करता था। बुद्धदेव के कार्यकाल के अंतिम समय में सत्तारूढ़ दल का राजनीतिक शिष्टाचार लगभग खत्म हो गया था। वैचारिक रूप से ममता और बुद्धदेव भी एक-दूसरे पर राजनीतिक हमला करने का कोई मौका नहीं गंवाते थे लेकिन ममता बनर्जी के छïह वर्षों के शासन में बंगाल में पक्ष व विपक्ष के बीच राजनीतिक शिष्टाचार का स्वरूप बदला है।

ममता ने गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भïट्टाचार्य के जन्मदिन पर उन्हें फूलों का गुलदस्ता, मिठाई और केक भेजा। साथ ही ट्वीट कर उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। कुछ दिन पहले बुद्धदेव के अस्वस्थ होने पर ममता उन्हें देखने उनके निवास पर भी गई थीं। उसी समय पूर्व मुख्यमंत्री के घर की अव्यवस्था पर ममता की नजर पड़ी थी। बहुत दिनों से घर की रंगाई-पुताई नहीं होने पर ममता ने आश्चर्य व्यक्त किया था। एक बार फिर ममता ने बुद्धदेव के घर की मरम्मत करने के लिए उन्हें कुछ दिनों के लिए सरकारी गेस्ट हाउस में रहने की सलाह दी है।

ऐसा कर ममता ने राजनीतिक शिष्टाचार की मिसाल पेश की है। दो दशक पहले ज्योति बसु के उत्तराधिकारी के रूप में बुद्धदेव जब पूर्ण बहुमत से मुख्यमंत्री बने थे, उस समय भी उन्हें सरकारी आवास में जाने की सलाह दी गई थी लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बावजूद बुद्धदेव ने अपने पुराने घर में ही रहना पसंद किया। साफ-सुथरी राजनीतिक छवि वाले बुद्धदेव के मध्यवर्गीय रहन-सहन पर किसी को संदेह नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री के प्रति ममता ने जिस तरह राजनीतिक शिष्टाचार दिखाया है, उससे वामपंथियों की नजर में उनका सम्मान बढ़ गया है। ममता कांग्रेस को जरूर तोड़ती रही है लेकिन वामपंथी दलों को तोडऩे की ममता ने कभी गंभीर कोशिश नहीं की। बुद्धदेव के प्रति ममता के शिष्टाचार से यदि वामपंथियों में ममता के लिए सम्मान बढ़ता है तो इसे उनकी नई राजनीतिक समझ ही कहा जाएगा। राजनीति अपनी जगह है और राजनीतिक शिष्टाचार अपनी जगह। राजनीति में यह जरुरी भी है। ममता ने इसे चरितार्थ किया हैै।

(हाइलाइटर :: अंतिम सप्तम वाममोर्चा सरकार के साथ तृणमूल कांग्रेस का टकराव इस स्तर पर आ गया था कि विपक्ष हर अवसर पर तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भïट्टाचार्य के कार्यक्रमों का बहिष्कार करता था।)

[ स्थानीय संपादकीय: पश्चिम बंगाल ]

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