प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना संक्रमण से बचने के लिए देश को किया आगाह, कहा- खतरा अभी टला नहीं

यह सही है कि लॉकडाउन की बंदिशें करीब-करीब खत्म हो गई हैं लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि कोरोना भी चला गया है। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि केरल में ओणम और महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी के कारण किस तरह स्थितियां खराब हुईं।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Tue, 20 Oct 2020 08:11 PM (IST) Updated:Wed, 21 Oct 2020 12:20 AM (IST)
प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना संक्रमण से बचने के लिए देश को किया आगाह, कहा- खतरा अभी टला नहीं
धार्मिक स्थलों में श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ चिंता का कारण है।

यदि प्रधानमंत्री ने कोरोना मरीजों की घटती संख्या के बाद भी लोगों को संक्रमण से बचने के लिए आगाह करने हेतु देश के नाम संबोधन की आवश्यकता समझी तो इसका मतलब है कि वह कहीं न कहीं इससे चिंतित हैं कि लोग अपेक्षित सावधानी नहीं बरत रहे हैं। उन्होंने यह सही कहा कि बहुत से ऐसे वीडियो सामने आ रहे हैं, जिनमें यह दिखता है कि लोगों ने सतर्कता बरतनी बंद कर दी है। इसका कारण यह मिथ्या धारणा है कि कोरोना चला गया है या जाने वाला है। अभी ऐसे किसी नतीजे पर पहुंचना सही नहीं। इस नतीजे पर पहुंचने और उसके चलते सावधानी का परिचय न देने के खतरनाक परिणाम हो सकते हैं- ठीक वैसे ही जैसे कई यूरोपीय देशों और अमेरिका में देखने को मिल रहे हैं। वहां कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने सिर उठा लिया है और इसके चलते फिर से प्रतिबंधात्मक उपाय लागू करने पड़ रहे हैं। यूरोप और अमेरिका में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का एक कारण तो लोगों की ओर से पर्याप्त सतर्कता न बरतना दिखता है और दूसरा, सर्दियों में इस वायरस की सक्रियता बढ़ जाना। भारत में भी सर्दी बढ़ रही है और इसी के साथ त्योहारों के आगमन के कारण सार्वजनिक स्थलों में भीड़ बढ़ती दिख रही है। 

धार्मिक स्थलों में श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ चिंता का कारण है- इसलिए और भी, क्योंकि लोग न तो शारीरिक दूरी को लेकर सचेत दिख रहे हैं और न ही मास्क का सही तरह उपयोग कर रहे हैं। आखिर मास्क का उचित तरीके से उपयोग करने में क्या कठिनाई है? जब यह साफ है कि शारीरिक दूरी और मास्क का इस्तेमाल ही कोरोना संक्रमण से बचाव का प्रभावी उपाय है, तब फिर उसे लेकर लापरवाही बरतना खुद के साथ औरों और साथ ही देश को भी मुश्किल में डालना है। लोगों की लापरवाही केवल स्वास्थ्य ढांचे की ही चुनौतियां नहीं बढ़ा रही, बल्कि आर्थिक- व्यापारिक गतिविधियों को गति देने में भी बाधक बन रही है।

यह सही है कि लॉकडाउन की बंदिशें करीब-करीब खत्म हो गई हैं, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि कोरोना भी चला गया है। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि केरल में ओणम और महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी के कारण किस तरह स्थितियां खराब हुईं। आम जनता को इससे अनभिज्ञ नहीं होना चाहिए कि कोरोना वायरस से उपजी महामारी ने जो क्षति पहुंचाई है, उसकी भरपाई करना अभी भी कठिन काम बना हुआ है। इस व्यापक क्षति को देखते हुए समझदारी इसी में है कि जब तक कोरोना पर काबू न पा लिया जाए, तब तक हर कोई जरूरी सावधानी का परिचय दे।

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