पाकिस्तान भारत से राजनयिक संबंध खत्म कर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गुमराह कर रहा है

पाकिस्तान ने विश्व व्यापार संगठन की भारत में होने वाली बैठक में अपने प्रतिनिधि को भेजने से इन्कार कर दिया।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Mon, 19 Mar 2018 11:18 AM (IST) Updated:Mon, 19 Mar 2018 11:18 AM (IST)
पाकिस्तान भारत से राजनयिक संबंध खत्म कर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गुमराह कर रहा है
पाकिस्तान भारत से राजनयिक संबंध खत्म कर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गुमराह कर रहा है

पाकिस्तान की ओर से नई दिल्ली स्थित अपने उच्चायुक्त को वापस बुलाने के बाद जिस तरह यह कहा गया कि वह फिलहाल उन्हें भारत भेजने के लिए तैयार नहीं उससे यही स्पष्ट हो रहा है कि वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। एक तो पहले उसने इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायुक्त को तरह-तरह से परेशान किया और इस संदर्भ में भारत की आपत्तियों की भी अनदेखी की। इस पर जब भारत ने जैसे को तैसा वाली नीति अपनाई तो उसने शिकायती मुद्रा अपना ली। वह किस तरह भारत से संबंध सुधारने के लिए इच्छुक नहीं, इसका पता इससे भी चलता है कि उसने विश्व व्यापार संगठन की भारत में होने वाली बैठक में अपने प्रतिनिधि को भेजने से इन्कार कर दिया। आखिर इस इन्कार के बाद पाकिस्तान किस मुंह से यह कह सकता है कि भारत उससे संपर्क-संवाद के लिए इच्छुक नहीं। पाकिस्तान केवल राजनयिक मोर्चे पर ही उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाली कहावत को चरितार्थ नहीं कर रहा है, बल्कि वह सीमा को अशांत रखने से भी बाज नहीं आ रहा है। इस क्रम में वह सीमावर्ती क्षेत्र के आबादी वाले इलाकों को निशाना भी बना रहा है। एक ओर वह अपनी सेना को उसूलों पर चलने वाली सेना बताता है और दूसरी ओर जानबूझकर निर्दोष-निहत्थे नागरिकों को निशाना बना रहा है।

यह ठीक है कि भारत पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने में लगा हुआ है, लेकिन पाकिस्तानी सेना जैसा शातिराना रवैया अपनाए हुए है उसे देखते हुए इसकी आवश्यकता बढ़ गई है कि भारत पाकिस्तान की ओर से किए जा रहे संघर्ष विराम के उल्लंघन का जवाब देने के लिए नए तौर-तरीके अपनाए। ऐसा इसलिए आवश्यक हो गया है, क्योंकि जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्रों में रह रही आबादी की समस्याएं बढ़ती चली जा रही हैं। एक बड़ी संख्या में लोगों को पलायन के लिए विवश होना पड़ा है। जाहिर है कि ऐसे लोग सरकार से सवाल करने में लगे हुए हैं। इसमें दो राय नहीं कि भारत एक बड़ी हद तक पाकिस्तान पर दबाव बनाने और उसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग करने में सफल हुआ है, लेकिन अभी इस मोर्चे पर बहुत कुछ किया जाना शेष है, क्योंकि पाकिस्तान तमाम नुकसान एवं शर्मिंदगी उठाने के बावजूद अपनी भारत विरोधी गतिविधियों को छोड़ता हुआ नजर नहीं आ रहा है। बेहतर हो कि भारत सरकार एक ओर जहां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान के खिलाफ अपनी कूटनीतिक आक्रामकता और बढ़ाए वहीं दूसरी ओर सीमा पार आतंकवाद और पाकिस्तानी सेना की ओर से की जाने वाली गोलीबारी से होने वाली क्षति से बचाव के पुख्ता प्रबंध भी करे। चूंकि भारत सरकार एक लंबे अर्से से पाकिस्तान के खिलाफ उन विकल्पों को आजमाने से बच रही है जिनके बारे में पहले उसने संकेत दिए थे इसलिए ऐसे सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर पाकिस्तान पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए क्या किया जा रहा है? अच्छा यह होगा कि भारत अपने शेष विकल्पों को आजमाए जाने को लेकर गंभीरता से विचार-विमर्श करे। यदि स्थितियों में बदलाव नहीं होता तो पाकिस्तान की नीति को लेकर और अधिक सवाल उठने शुरू हो सकते हैं। सच तो यह है कि ऐसे सवाल उठने भी लगे हैं।

[ मुख्य संपादकीय ]

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