जम्मू-कश्मीर में 'कुकुरमुत्तों' की तरह खुले कॉलेज, शिक्षा की गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं

जम्मू कश्मीर में पहले ही 93 डिग्री कॉलेज हैं। हाल ही में ग्यारह और खुलने के बाद इनका आंकड़ा 104 तक पहुंच गया, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं।

By Nancy BajpaiEdited By: Publish:Sun, 15 Apr 2018 12:15 PM (IST) Updated:Sun, 15 Apr 2018 12:15 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर में 'कुकुरमुत्तों' की तरह खुले कॉलेज, शिक्षा की गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं
जम्मू-कश्मीर में 'कुकुरमुत्तों' की तरह खुले कॉलेज, शिक्षा की गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं

जम्मू कश्मीर में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए ग्यारह नए डिग्री कॉलेज खोले जाने से तो लगता है कि सरकार कॉलेजों में संस्थागत ढांचे की ओर ध्यान न देकर उनकी गिनती पर ज्यादा जोर देर रही है। राज्य में पहले ही 93 डिग्री कॉलेज हैं। हाल ही में ग्यारह और खुलने के बाद इनका आंकड़ा 104 तक पहुंच गया। शिक्षा विभाग अभी 6 और कॉलेज खोलने का फैसला कर चुका है। कुकुरमुत्तों की तरह खुल रहे कॉलेजों से शिक्षा का विस्तार नहीं हो सकता। जब तक राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार नहीं होगा तब तक नए कॉलेज खोलना बेमाने साबित होगा। विडंबना यह है कि सरकार अभी तक 30 कॉलेजों की इमारतों का निर्माण पूरा नहीं करवा पाई है। ये कॉलेज हायर सेकेंडरी स्कूलों में चल रहे हैं। इन कॉलेजों में छात्रों को साइंस और आर्ट्स के सीमित विषय ही पढ़ाए जा रहे हैं। बेशक सरकार यह दावा कई बार कर चुकी है उच्च शिक्षा के लिए कॉलेजों में बुनियादी ढांचा उपलब्ध करवाना उनकी प्राथमिकता है, लेकिन सरकार अपनी प्राथमिकताओं से भटकती नजर आ रही है। अगर वर्ष 2005, 2008, व 2011 में खोले गए कॉलेजों की बात करे तो इनमें बुनियादी ढांचा अभी तक कायम नहीं हो पाया है। शिक्षा के क्षेत्र में जिस तरह प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है, उससे राज्य के युवा पिछड़ जाएंगे। बेहतर होता कि सरकार पुराने कॉलेजों का बुनियादी ढांचा सुधारती और उसके बाद नए कॉलेज खोलने का फैसला लेती। हर नेता या विधायक की कोशिश रहती है कि उसके इलाके में डिग्री कॉलेज खोल दिए जाए। जिससे की उसके द्वारा चुनाव के दौरान किया गया वादा पूरा हो जाए। लेकिन वे भूल जाते हैं कि कॉलेज खोलने से शिक्षा की गुणवत्ता नहीं बढ़ेगी। हायर सेकेंडरी स्कूलों में कॉलेज खोल दिए जाने से बारहवीं में पढ़ रहे छात्रों को ही नुकसान होगा। सरकार को चाहिए कि वह कॉलेजों के बुनियादी ढांचे में सुधार की पहल करे।

(स्थानीय संपादकीय जम्मू कश्मीर)

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