वाट्सएप पर नामांकन, ऑनलाइन नामांकन की व्यवस्था

राज्य चुनाव आयोग ऑनलाइन नामांकन को लेकर पहल क्यों नहीं कर रही है? अगर ऑनलाइन नामांकन की व्यवस्था हो जाती है तो फिर यह जो विवाद व खून-खराबे हुए हैं वह तो कम से कम नहीं होता।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Thu, 26 Apr 2018 04:12 PM (IST) Updated:Thu, 26 Apr 2018 04:12 PM (IST)
वाट्सएप पर नामांकन, ऑनलाइन नामांकन की व्यवस्था
वाट्सएप पर नामांकन, ऑनलाइन नामांकन की व्यवस्था

पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में नामांकन को लेकर काफी खून बहे हैं। काफी विवाद भी हुआ है। हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में मुकदमे हुए। विपक्षी दल शुरू से ही पंचायत चुनाव का नामांकन ऑनलाइन कराने की मांग कर रहे थे। परंतु, राज्य चुनाव आयोग ने इसकी मंजूरी नहीं दी। इन सबके बीच जब 11 प्रत्याशियों को नामांकन सुनिश्चित करने के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था। इसके बावजूद जब वे लोग नामांकन दाखिल नहीं कर पाए तो वाट्सएप के माध्यम से 9 लोगों ने अपना नामांकन दाखिल किया। इसे लेकर मंगलवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने अभूतपूर्व फैसला सुनाते हुए राज्य चुनाव आयोग को वाट्सएप से भेजे गए नामांकन को स्वीकार करने का निर्देश दे दिया। नामांकन दाखिल करने बीडीओ ऑफिस जाने में बाधा दिए जाने पर दक्षिण 24 परगना जिले के भांगड़ के 11 उम्मीदवारों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इनमें से नौ ने वाट्सएप से नामांकन भेजा था। इसी पर अदालत ने राज्य चुनाव आयोग से स्पष्ट कहा कि इन सभी 11 उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने की सुविधा मुहैया करानी होगी और जिन लोगों ने वाट्सएप से नामांकन भेजा है, उन्हें भी स्वीकार करना होगा।

इससे उत्साहित माकपा ने ईमेल से भेजे गए नामांकन को भी स्वीकार करने की बुधवार को हाईकोर्ट से गुहार लगाई और ऑनलाइन नामांकन प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश देने की मांग की। परंतु, हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा कि ऑनलाइन नामांकन को लेकर वह हस्तक्षेप नहीं करेगा। परंतु, सवाल यहां यह उठ रहा है कि जब अदालत के निर्देश पर वाट्सएप के जरिए नामांकन को मंजूरी दी जा सकती है तो फिर राज्य चुनाव आयोग ऑनलाइन नामांकन को लेकर पहल क्यों नहीं कर रहा है? अगर ऑनलाइन नामांकन की व्यवस्था हो जाती है तो फिर यह जो विवाद व खून-खराबे हुए हैं वह तो कम से कम नहीं होता। सब लोगों को चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने का मौलिक अधिकार है। हर पांच वर्ष पर होने वाले पंचायत चुनाव हर बार यही आरोप लगते हैं। आखिर चुनाव आयोग क्यों नहीं इस समस्या से स्थाई निजात पाने के लिए कदम उठा रहा है? इसमें राज्य सरकार से लेकर सभी दलों को शांतिपूर्ण, निर्बाध व निष्पक्ष तरीके से चुनाव प्रक्रिया पूरी हो इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय: पश्चिम बंगाल ]

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