बेटियों को समर्थ बनाएं

बेटियां शिक्षा से लेकर खेल, कला व संस्कृति से लेकर रक्षा और कृषि से लेकर अंतरिक्ष में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Tue, 16 May 2017 02:07 AM (IST) Updated:Tue, 16 May 2017 02:07 AM (IST)
बेटियों को समर्थ बनाएं
बेटियों को समर्थ बनाएं

रोहतक दुष्कर्म कांड मीडिया में उछलने के बाद अब यह सियासी मसला भी बन चुका है। सरकार के लिए विपक्ष के तेवरों का सामना करना मुश्किल हो रहा है। विपक्ष भी सरकार को घेरने का यह मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहते। गुरुग्राम में एक और महिला से कार में दुष्कर्म की घटना के बाद उनके तेवर और तीखे हो गए हैं। विपक्ष का अधिकार है कि वह सरकार की खामियों को उजागर करे लेकिन इस बीच असली मकसद खो न जाए, इसकी चिंता सबको करनी चाहिए। बेटियां शिक्षा से लेकर खेल, कला व संस्कृति से लेकर रक्षा और कृषि से लेकर अंतरिक्ष में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं। बड़ी चिंता यह है कि उपलब्धियों की लंबी गाथाओं के बावजूद प्रदेश में बेटियों के प्रति सोच में बदलाव नहीं आ रहा है।
भले ही महिलाएं घर से बाहर निकल कर हर क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन कर रही हैं लेकिन इस तरह की घटनाएं हमारी चिंता बढ़ा देती हैं। चिंता इस बात की भी कि हम किस तरह के समाज का निर्माण कर रहे हैं। यह स्पष्ट है कि केवल पंचायतों में आरक्षण देकर महिलाओं की स्थिति में अधिक बदलाव नहीं लाया जा सकता। पंचायतों व शहरी निकायों में आरक्षण के बावजूद विधानसभा व संसद में महिलाओं की संख्या में उस अनुपात में वृद्धि नहीं हो पाई है। पंचायतों में भी उनके नाम पर चौधर उनके पति, पिता या फिर बेटा ही चला रहा है। ऐसे में आवश्यक है कि उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया जाए। सबसे महत्वपूर्ण है महिलाओं को आत्मरक्षा का पाठ भी सीखना होगा ताकि पुरुष केवल शारीरिक मजबूती दिखाकर उसे दबा न सके। चूंकि बुद्धिमता और मानसिक मजबूती में महिलाएं स्वयं को श्रेष्ठ साबित कर चुकी हैं। एक बार महिलाएं पुरुष को करारा जवाब देना सीख जाएं तो उसके बाद कोई उन्हें दबाने का साहस ही नहीं कर पाएगा। आवश्यक है कि बेटियों को समर्थ बनाएं। वे समर्थ होंगी तो समाज में खुशहाली स्वयं आ जाएगी। फिर इन कुरीतियों का स्वयं अंत हो जाएगा।

[ स्थानीय संपादकीय : हरियाणा ]

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