शिक्षकों के तर्क

प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा घोषित दसवीं व जमा दो के घोषित परीक्षा परिणाम में इस बार कई सरकारी स्कूलों का प्रदर्शन काफी खराब रहा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Thu, 15 Jun 2017 03:58 AM (IST) Updated:Thu, 15 Jun 2017 03:58 AM (IST)
शिक्षकों के तर्क
शिक्षकों के तर्क

सरकार की खराब परिणाम की पड़ताल करना जायज है लेकिन इसका लाभ तभी मिलेगा जब खराब परिणाम के उन कारणों की पहचान हो व उन्हें दूर करने के उपाय किए जाएं
 प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा घोषित दसवीं व जमा दो के घोषित परीक्षा परिणाम में इस बार कई सरकारी स्कूलों का प्रदर्शन काफी खराब रहा है। कई स्कूलों में स्थिति इतनी खराब रही कि एक भी बच्चा उत्तीर्ण नहीं हो सका। खराब परीक्षा परिणाम पर सख्ती बरतते हुए शिक्षा विभाग ऐसे स्कूल प्रमुखों से जवाब मांग रहा है कि बच्चों के भविष्य के साथ ऐसा खिलवाड़ क्यों हुआ। प्रदेश के विभिन्न भागों में शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी स्कूल प्रमुखों से बैठक कर उन कारणों की पड़ताल कर रहे हैं, जिनके कारण सरकारी स्कूलों का परीक्षा परिणाम में यह हाल हुआ। बैठकों के दौरान शिक्षकों ने काफी अजीब तर्क दिए, जो शायद किसी के गले न उतरें। शिक्षकों का कहना था कि इस बार उन्होंने सरकारी स्कूलों के परीक्षा केंद्रों में नकल नहीं होने दी। इस कारण बच्चे पास नहीं हो सके। कुछ का कहना था कि बच्चे परीक्षा केंद्र में लगे सीसीटीवी कैमरों से डर गए थे, इसलिए परीक्षा पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित नहीं कर पाए। निजी स्कूलों के बेहतर परीक्षा परिणाम पर यह तर्क दिया गया कि वहां सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे थे। किसी का तर्क है कि बार-बार फ्लाइंग की दबिश से बच्चों का ध्यानभंग हो गया और वे पेपर ही पूरा नहीं कर पाए। ये ऐसे तर्क हैं, जो शायद ही किसी के गले उतरें। इनकी जगह अगर यह तर्क दिया जाता कि सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को कई गैर शैक्षणिक कार्यो में लगाया जाता है, जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। यह तर्क भी माना जा सकता है कि स्कूलों में शिक्षकों की कमी है और कई जगह तो सालभर किसी विषय का शिक्षक उपलब्ध ही नहीं हो पाता। सरकार की खराब परिणाम करने की पड़ताल जायज है, लेकिन इसका लाभ तभी मिलेगा जब उन कारणों की पहचान हो सके कि परिणाम खराब क्यों रहा। उसके बाद उन उपायों पर भी मंथन हो कि कैसे इन स्कूलों में शिक्षा को बेहतर बनाया जा सकता है और उसे लागू भी किया जाए। शिक्षा को बेहतर बनाने की जिम्मेदारी सिर्फ शिक्षकों या सरकार की ही नहीं है बल्कि अभिभावकों का भी यह जिम्मा है। बच्चों की पढ़ाई के प्रति उन्हें गंभीर आचरण दिखाना होगा व उसकी कमजोरी व खूबियों को समझना होगा।

[ स्थानीय संपादकीय : हिमाचल प्रदेश ]

chat bot
आपका साथी