कोझिकोड एयरपोर्ट सुरक्षा मानकों के अनुकूल नहीं है, नौ साल पहले दी गई थी चेतावनी पर नहीं किया गया गौर

कोझिकोड एयरपोर्ट पहाड़ी सतह पर बना है। इस तरह के हवाईअड्डों पर विमान उतारते समय अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sat, 08 Aug 2020 11:56 PM (IST) Updated:Sun, 09 Aug 2020 12:39 AM (IST)
कोझिकोड एयरपोर्ट सुरक्षा मानकों के अनुकूल नहीं है, नौ साल पहले दी गई थी चेतावनी पर नहीं किया गया गौर
कोझिकोड एयरपोर्ट सुरक्षा मानकों के अनुकूल नहीं है, नौ साल पहले दी गई थी चेतावनी पर नहीं किया गया गौर

सबक सीखने का समय

केरल के कोझिकोड हवाईअड्डे पर वंदे भारत अभियान के तहत दुबई से भारतीयों को ला रहे एयर इंडिया एक्सप्रेस विमान की दुर्घटना ने हवाई यात्रा से जुड़े जोखिम एक बार फिर रेखांकित कर दिए। चूंकि दुर्घटनाग्रस्त विमान का डिजिटल फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर मिल गया है इसलिए हादसे के मूल कारणों का पता लगाने में आसानी होगी, लेकिन यह प्रारंभिक तथ्य किसी न किसी स्तर पर मानवीय भूल की ओर भी संकेत कर रहा है कि विमान हवाईपट्टी पर तय स्थान से करीब एक किमी दूर उतरा। इस तरह की गफलत के नतीजे अच्छे नहीं होते। माना जा रहा है कि इस गफलत की एक वजह बारिश हो सकती है। जो भी हो, इसकी भी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए कि विमान के फिसलकर खाई में गिरने से उसे और अधिक नुकसान हुआ। वह दो टुकड़ों में बंट गया।

यह तो गनीमत रही कि पायलट ने विमान का इंजन बंद कर दिया था, अन्यथा उसमें आग लगने से कहीं अधिक क्षति हो सकती थी। दोनों पायलट समेत 21 लोगों की जान लेने वाले इस विमान हादसे को लेकर यह बात भी सामने आ रही है कि कोझिकोड एयरपोर्ट की डिजाइन सुरक्षा मानकों के अनुकूल नहीं है। आखिर जब नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा गठित एक सुरक्षा सलाहकार समिति ने करीब नौ साल पहले ही इस एयरपोर्ट को लेकर चेतावनी दी थी तो फिर उस पर ध्यान क्यों नहीं दिया गया?

कोझिकोड एयरपोर्ट एक पहाड़ी सतह पर बना है। सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार इस तरह के हवाईअड्डों पर विमान उतारते समय अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है और यदि मौसम खराब हो तो अनिवार्य रूप से ऐसा किया जाना चाहिए, क्योंकि थोड़ी सी भी असावधानी बड़े जोखिम को निमंत्रण दे सकती है। क्या इस चेतावनी की अनदेखी की गई? यह वह सवाल है जो इस विमान दुर्घटना की जांच का हिस्सा बनना चाहिए। ध्यान रहे यह चेतावनी 2010 में मंगलुरु हवाईअड्डे पर हुई विमान दुर्घटना के बाद दी गई थी। उस दुर्घटना में 150 से अधिक लोगों की जान गई थी।

मंगलुरु हवाईअड्डा भी कोझिकोड हवाईअड्डे की तरह एक पहाड़ी पर स्थित है। कायदे से इस चेतावनी पर गौर करते हुए इस तरह के हवाईअड्डों में खराब मौसम और खासकर तेज बारिश में विमानों की लैंडिंग के समय या तो अतिरिक्त सावधानी का परिचय दिया जाना सुनिश्चित किया जाता या फिर हवाईपट्टी के डिजाइन में आवश्यक फेरबदल किया जाता। कम से कम अब तो यह काम किया ही जाना चाहिए। इसी के साथ यह भी सुनिश्चित किया जाए कि हवाई यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए जरूरी सबक सीखने में किसी तरह की हीलाहवाली न होने पाए।

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