अनुचित बयानबाजी

वरिष्ठ राजद नेता रघुवंश प्रसाद सिंह द्वारा अक्सर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बारे में भड़काऊ टिप्पणियां किए जाने की वजह समझ से परे है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Fri, 17 Mar 2017 03:09 AM (IST) Updated:Fri, 17 Mar 2017 03:12 AM (IST)
अनुचित बयानबाजी
अनुचित बयानबाजी

वरिष्ठ राजद नेता रघुवंश प्रसाद सिंह द्वारा अक्सर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बारे में भड़काऊ टिप्पणियां किए जाने की वजह समझ से परे है। यह सिलसिला उस वक्त से जारी है, जब वर्ष 2014 में जदयू, राजद और कांग्रेस का महागठबंधन बनाने की पहल हुई थी। बाद मे विधानसभा चुनाव नतीजे आने तथा हर संभव अवसर पर रघुवंश बाबू मुख्यमंत्री को लक्ष्य करके तल्ख टिप्पणियां करने में नहीं चूकते। आश्चर्यजनक यह है कि केंद्रीय मंत्री तथा पार्टी में बड़े दायित्व निभा चुके रघुवंश बाबू ऐसा क्यों करते हैं? संभव है उन्हें कोई व्यक्तिगत समस्या हो। यह भी गौरतलब है कि राजद नेतृत्व अब तक उन्हें ऐसा करने से नहीं रोक सका। देखने को मिलता है कि रघुवंश बाबू के मुख्यमंत्री या महागठबंधन को लेकर हर विवादास्पद बयान पर स्वाभाविक रूप से कोहराम तो मचता है लेकिन राजद नेतृत्व इस पर चुप्पी साधे रहता है। चार-पांच दिन बाद जब हालात बेकाबू होने लगते हैं, तब राजद नेतृत्व हस्तक्षेप करता है। इस बार तो हद हो गई। रघुवंश बाबू ने यूपी में समाजवादी पार्टी की हार के लिए नीतीश कुमार को जिम्मेदार ठहरा दिया। खुद नीतीश कुमार इनकी टिप्पणियों को महत्व नहीं देते लेकिन जदयू के अन्य नेताओं की प्रतिक्रिया स्वाभाविक है। इस बार जदयू नेताओं ने रघुवंश बाबू को तरह-तरह की उपमाओं से नवाजा। इसके बाद राजद की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी रघुवंश बाबू के बयानों पर कड़ी आपत्ति जताई। तेजस्वी ने तो यहां तक कह दिया कि भविष्य में ऐसी घटना होने पर वह राजद नेतृत्व से रघुवंश बाबू पर कार्रवाई करने का आग्रह करेंगे। यह ठीक है कि मुख्यमंत्री इन बयानों को महत्व नहीं देते लेकिन महागठबंधन के वरिष्ठ नेता द्वारा ऐसी टिप्पणियां करने से महागठबंधन के भीतर और बाहर भ्रम तो पैदा होता ही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हर संभव प्रयास कर रहे हैं कि राज्य में विकास की गति तेज की जा सके। इसके लिए वार्षिक बजट में भी विशेष प्रावधान किए गए हैं लेकिन महागठबंधन के भीतर बार-बार मतभेद की अटकलबाजियों का असर सरकार के कामकाज की गति पर भी पड़ता है। राज्य की जनता ने महागठबंधन को विराट बहुमत के साथ सरकार चलाने का दायित्व सौंपा है। महागठबंधन के नेताओं को जनता के प्रति अपनी जवाबदेही नहीं भूलनी चाहिए। बेहतर होगा कि राजद और जदयू के वरिष्ठ नेता इस समस्या का समय रहते समाधान निकालें ताकि पूरी राजनीतिक स्थिरता के साथ बिहार विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ता दिखे।
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रघुवंश प्रसाद सिंह की मुख्यमंत्री से संबंधित विवादास्पद टिप्पणियों की वजह से यह भ्रम पैदा होता है कि महागठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। जिस वक्त नीतीश कुमार की सोच और कार्यशैली राष्ट्रीय स्तर पर सराही जा रही, उस वक्त महागठबंधन के ही नेता द्वारा उन्हें कठघरे में खड़ा करना समझ से परे है।

[ स्थानीय संपादकीय : बिहार ]

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