खतरे की अनदेखी

चंबा जिले में दुर्गम मानी जाने वाली मणिमहेश यात्रा के दौरान अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Fri, 25 Aug 2017 06:38 AM (IST) Updated:Fri, 25 Aug 2017 06:38 AM (IST)
खतरे की अनदेखी
खतरे की अनदेखी

चंबा जिले में दुर्गम मानी जाने वाली मणिमहेश यात्रा के दौरान अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है, जिससे निश्चित तौर पर अच्छा संकेत नहीं गया है1
किसी भी व्यक्ति की सुरक्षा उसके हाथ ही में होती है। अगर व्यक्ति खुद ही सचेत नहीं होगा व खतरों के बावजूद ऐसे कदम उठाएगा, जिनके परिणाम घातक हो सकते हैं, तो इसे समझदारी तो कतई नहीं कहा जा सकता। जरूरत इस बात की है कि क्षमता का आकलन करने के बाद ही किसी भी फैसले पर पहुंचे। चंबा जिले में दुर्गम मणिमहेश यात्रा के शुरुआती नौ दिनों में अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है, जिससे अच्छा संकेत नहीं गया है। व्यवस्था पर सवाल उठाने के लिए यह काफी है। प्रशासन क्यों ऐसे लोगों को यात्र की अनुमति दे रहा है, जो पूर्ण रूप से स्वस्थ नहीं हैं? यात्रा पर निकलने से पहले यात्रियों का चिकित्सकीय परीक्षण क्यों नहीं किया जा रहा? जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ यात्रा में अस्वस्थ व्यक्ति को यात्र करने की अनुमति नहीं है तो यहां यात्रियों की सुरक्षा के साथ क्यों खिलवाड़ किया जा रहा है? इससे पहले श्रीखंड कैलाश यात्रा के दौरान भी श्रद्धालुओं की मौत हुई थी। हिमाचल प्रदेश में हर साल देश-विदेश से लाखों की संख्या में लोग आते हैं। यहां का मौसम, खूबसूरत पहाड़ व प्राकृतिक नजारे लोगों को आकर्षित करते हैं। धार्मिक पर्यटन पर निकलने वाले लोग खतरों से सर्वाधिक बेपरवाह दिखते हैं। लोग नियमों की अनदेखी कर अपनी व दूसरों की जान को खतरे में डालने से परहेज नहीं करते। सख्ती सिर्फ जुबानी शब्द है, जिसे हर बार कोई भी धार्मिक आयोजन शुरू होने से पहले प्रशासन के अधिकारियों के मुंह से सुना जा सकता है। शक्तिपीठों व अन्य मंदिरों के दर्शन के लिए मालवाहकों का सहारा लेना खतरे को दावत देना ही है। नदियों में उतरने के चेतावनी बोर्डो की अनदेखी की जाती है और हादसा होने पर शासन-प्रशासन को जिम्मेदार ठहराने से लोग नहीं चूकते। क्या लोगों की कोई जिम्मेदारी नहीं है, जो नियमों-निर्देशों की कोई परवाह नहीं करते। प्रदेश के राजस्व का बड़ा हिस्सा पर्यटन से ही आता है। हजारों परिवारों रोजी-रोटी पर्यटन से जुड़े कारोबार से चलती है। लेकिन इसका यह अर्थ कतई नहीं है कि किसी को भी मनमानी की मंजूरी दे दी गई है। अगर कोई हादसा होता है तो प्रदेश की छवि पर दाग जरूर लग जाता है। लोगों को समझना होगा कि नियम व बंदिशें उनके हित के लिए होती हैं, ऐसे में उनका पालन करना सभी का दायित्व है। नियम न टूटें, इसके लिए हर पक्ष को जिम्मेदारी निभानी होगी।

[ स्थानीय संपादकीय : हिमाचल प्रदेश ]

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