कितना सुरक्षित जल

जीवन के लिए पानी बहुत ही आवश्यक है। पानी की स्वच्छता में कमी होने के कारण ही स्वास्थ्य बिगडऩा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sun, 09 Apr 2017 01:56 AM (IST) Updated:Sun, 09 Apr 2017 02:05 AM (IST)
कितना सुरक्षित जल
कितना सुरक्षित जल

ब्लर्ब : हिमाचल में पानी में कितना कीटनाशक है इसकी जांच नहीं हो रही है। पेयजल की उचित जांच न होने पर केंद्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने भी चिंता जताई है।
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जीवन के लिए पानी बहुत ही आवश्यक है। पानी की स्वच्छता में कमी होने के कारण ही स्वास्थ्य बिगडऩा है। यह देखा गया है कि पानी की स्वच्छता बेहतर होने से बीमारियों की दर कम हो जाती है। लेकिन प्रदेश में विडंबना यह है कि पानी की गुणवत्ता जांचने के लिए पर्याप्त साधन न होने के कारण यह पता नहीं लग पा रहा है कि पानी में कितने कीटनाशक हैं। हिमाचल में सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग की ओर से लोगों को उपलब्ध करवाए जा रहे पेयजल की उचित जांच न होने पर केंद्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने भी चिंता जताई है। आइपीएच विभाग ने पेयजल की जांच के लिए प्रदेशभर में 42 प्रयोगशालाएं स्थापित कर रखी हैं। इनमें स्टाफ व आधुनिक उपकरणों का अभाव है। पानी में कितना कीटनाशक है, प्रदेशभर में जिला स्तर पर इसकी कहीं भी जांच नहीं हो रही है। नियमों के अनुसार पानी के नमूने जांचने के लिए हर लैब में पांच से छह केमिस्ट व विशेषज्ञ होने चाहिए। जबकि हर माह एक प्रयोगशाला में कम से कम 250 सैंपल की जांच होनी चाहिए। लेकिन कुछेक जिलों में ही इस लक्ष्य को हासिल किया जा रहा है। पानी में आर्गेनिक कार्बन व ट्राई हेलो मीथेन के लिए कोई जांच नहीं हो रही है। पानी के शुद्धीकरण के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले ब्लीचिंग पाउडर व दूसरे केमिकल की गुणवत्ता की जांच भी सही तरीके से नहीं हो रही है। प्रदेश में विभिन्न प्रकार की करीब दस हजार पेयजल योजनाओं से लोगों को पेयजल की आपूर्ति होती है। दूषित पेयजल के कारण प्रदेशभर में जलजनित बीमारियों के फैलने के मामले गर्मियों के दौरान अकसर सामने आते हैं। प्रदेश में 42 प्रयोगशालाओं में 14 जिला स्तर पर जबकि 28 उपमंडल स्तर पर हैं। इन सभी में पानी में मौजूद भारी धातुओं व कीटनाशक की मात्रा की जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। नियमित कर्मचारी न होने से विभाग को 30 प्रयोगशालाएं आउटसोर्स करनी पड़ी हैं। प्रदेश में पानी की गुणवत्ता जांचने के लिए प्रयोगशालाओं में आधारभूत ढांचे को सुदृढ़ करना होगा। जब तक व्यवस्था सही नहीं होगी तब तक जलजनित रोग फैलने से रोका नहीं जा सकता है। लोगों को भी चाहिए कि वे पेयजल स्रोतों और नदी-नालों में कूड़ा-कर्कट न फेंकें। पानी का मोल पहचानना होगा क्योंकि बिना स्वच्छ जल के कल सुरक्षित नहीं हो सकता।

[ स्थानीय संपादकीय : हिमाचल प्रदेश ]

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