सपना स्वस्थ हिमाचल का

सरकार की स्वास्थ्य सुविधाओं के प्रति चिंता जायज है। हिमाचल में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव चिंता का बड़ा कारण है। सरकार भलीभांति समझती है कि केवल बेहतरीन स्वास्थ्य ढांचा विकसित करना ही काफी नहीं, अस्पतालों में सुलभ, सस्ता और बेहतर उपचार मिले तभी प्रयासों की जीत होगी। हिमाचल में कैंसर के हर साल करीब 2500 मामले सामने आ रहे हैं। दुखद है

By Sachin kEdited By: Publish:Mon, 27 Oct 2014 05:45 AM (IST) Updated:Mon, 27 Oct 2014 05:45 AM (IST)
सपना स्वस्थ हिमाचल का

सरकार की स्वास्थ्य सुविधाओं के प्रति चिंता जायज है। हिमाचल में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव चिंता का बड़ा कारण है। सरकार भलीभांति समझती है कि केवल बेहतरीन स्वास्थ्य ढांचा विकसित करना ही काफी नहीं, अस्पतालों में सुलभ, सस्ता और बेहतर उपचार मिले तभी प्रयासों की जीत होगी। हिमाचल में कैंसर के हर साल करीब 2500 मामले सामने आ रहे हैं। दुखद है कि इन रोगियों को प्रदेश में उस स्तर पर सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, जितनी होनी चाहिए।

दूसरे राज्यों की तर्ज पर बेहतर सुविधाएं देने के लिए प्रदेश में कैंसर अस्पताल खोलने की मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पहल इस दिशा में सार्थक प्रयास है। नए कैंसर केंद्र में लोगों को सस्ती दरों पर हर वह सुविधा उपलब्ध करवाने का सपना सरकार देख रही है, जिनके लिए मरीजों को दूसरे राज्यों का रुख करना पड़ता है। अन्य राज्यों के निजी अस्पतालों में मरीजों से लूट भी सरकार की चिंता की बड़ी वजह है।

कैंसर अस्पताल के लिए माकूल मौसमी हालात को ध्यान में रखकर जगह का चयन किया जाना जरूरी है। कैंसर को प्रथम चरण में ही पकड़ पाना जितना मुश्किल है, उतना ही परेशानी भरा है इसका बेहतर इलाज। हिमाचल में एक समय के बाद असाध्य रोग की श्रेणी में रखे गए कैंसर रोगियों को क्षेत्रीय कैंसर केंद्र में संभाल पाना मुश्किल हो रहा है। यहां मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही जबकि उनके इलाज के लिए प्रदान की सुविधाएं कम पड़ रही हैं।

इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार आधुनिक और बड़ा कैंसर अस्पताल बनाने की योजना बना रही है। मुख्यमंत्री ने इसके लिए बजट में भी प्रावधान करने की बात कही है। बहरहाल, पहाड़ी राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं की बात हो तो ढांचागत विकास संतोषजनक है। तकरीबन हर क्षेत्र में सरकारी अस्पताल बन चुके हैं या निर्माणाधीन हैं। लेकिन जहां तक स्वास्थ्य सेवाओं का सवाल है तो हालात ठीक नहीं हैं। कहीं डॉक्टर नहीं है तो कहीं पैरा मेडिकल स्टॉफ मरीजों की परेशानी बना हुआ है।

कई जगह सरकारी अस्पतालों में बिस्तर कम पड़ रहे हैं तो कहीं मरीजों की सेवा में लगी नर्सो की कमी है। अस्पताल की लेबोरेटरी में मरीजों को टेस्ट की भी सुविधा नाममात्र ही मिल रही है। यह हालात चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों का सही युक्तीकरण न होने से हैं। जरूरी है कि उपलब्ध सरकारी स्वास्थ्य इंतजामों को मजबूत करने की तरफ ध्यान दिया जाए। तभी स्वस्थ हिमाचल का सपना साकार हो पाएगा।

(स्थानीय संपादकीय: हिमाचल प्रदेश)

chat bot
आपका साथी