कठिन लक्ष्य

तीन महीने से भी कम समय में सड़कों को सुधारने की दिशा में सफलता दर यदि 63 प्रतिशत है तो बेशक इसे उपलब्धि माना जाना चाहिए।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Fri, 16 Jun 2017 02:43 AM (IST) Updated:Fri, 16 Jun 2017 02:43 AM (IST)
कठिन लक्ष्य
कठिन लक्ष्य

-----तीन महीने से भी कम समय में सड़कों को सुधारने की दिशा में सफलता दर यदि 63 प्रतिशत है तो बेशक इसे उपलब्धि माना जाना चाहिए। -----सड़क के गड्ढे पाटने की तारीख तय करने से पहले यदि राज्य सरकार ने बारिश और कुछ व्यावहारिक कठिनाइयों का अनुमान लगा लिया होता तो आज उसकी इस बात के लिए और भी सराहना हो रही होती कि कम समय में भी बहुत सी सड़कों को समतल कर दिया गया। तीन महीने से भी कम समय में सड़कों को सुधारने की दिशा में सफलता दर यदि 63 प्रतिशत है तो बेशक इसे उपलब्धि माना जाना चाहिए। इसमें दो राय नहीं कि प्रदेश की करीब 1.21 लाख किलोमीटर लंबी सड़कों को गड्ढामुक्त करने का काम आसान नहीं है। वह भी ऐसी परिस्थितियां में जबकि खनन बंद होने के कारण मौरंग, बालू व गिट्टी का संकट बना चल रहा है। मौरंग बालू की किल्लत से सभी निर्माण कार्य प्रभावित हो रहे हैं। जाहिर है कि सड़कों को गढ्डामुक्त बनाने के काम में भी इसके कारण मुश्किलें आयीं। सभी विभागों में ई-टेंडरिंग व्यवस्था लागू करने का असर भी काम पर पड़ा। निविदा प्रक्रिया पारदर्शी बनाने के लिए ई-टेंडरिंग सराहनीय कदम है लेकिन, इसको लागू करने में आयीं तकनीकी परेशानियां भी गड्ढे भरने का लक्ष्य पूरा होने में बाधक बनीं। इस महत्वाकांक्षी योजना का यह भी एक पक्ष है कि सड़क मरम्मत करने जैसे छोटे कार्यो में बड़े ठेकेदारों ने अपेक्षित दिलचस्पी नहीं ली। फिर भी यह कहा जा सकता है कि बजट न होने के बाद भी नई सरकार ने इच्छाशक्ति दिखायी।फिर भी कुछ ऐसे प्रश्न हैं जिन पर संबंधित अधिकारियों को बचाव नहीं आत्मविश्लेषण करना बेहतर होगा। यह देखा जाना चाहिए कि गड्ढ़े भरने का अभियान सफल बनाने के लिए जिम्मेदार विभागों की प्रगति रिपोर्ट अलग अलग क्यों है। लोक निर्माण विभाग में जहां 82 प्रतिशत, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क निर्माण योजना में 96 फीसद और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण में 81 लक्ष्य की पूर्ति हो जाती है तो वहीं दूसरे अनेक विभाग फिसड्डी क्यों बने रहे। सिंचाई विभाग का शून्य प्रगति रिकार्ड चौंकाने वाला है जबकि पंचायतीराज विभाग में नौ फीसद, गन्ना विकास विभाग में 11 और नगर विकास में 19 प्रतिशत से आगे प्रगति क्यों नहीं हो सकी। इसके लिए जो लोग उत्तरदायी निकलते हैं, उनसे सवाल जवाब अवश्य होना चाहिए। ये सारे बड़े विभाग हैं और यदि इन्होंने भी काम किया होता तो प्रगति का प्रतिशत ६३ से कहीं बहुत अधिक होता।

[ स्थानीय संपादकीय : उत्तर प्रदेश ]

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