अच्छी पहल

12वीं तक की छात्राओं के लिए मिड डे मील की योजना अच्छी पहल है। हालांकि सरकार को इसके क्रियान्वयन पर विशेष ध्यान देना होगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Fri, 03 Mar 2017 02:13 AM (IST) Updated:Fri, 03 Mar 2017 02:15 AM (IST)
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12वीं तक की छात्राओं के लिए मिड डे मील की योजना अच्छी पहल है। हालांकि सरकार को इसके क्रियान्वयन पर विशेष ध्यान देना होगा।
सरकारी स्कूलों में कक्षा 9वीं से 12वीं तक की छात्राओं को भी मिड डे मील दिए जाने की दिल्ली सरकार की घोषणा का स्वागत किया जाना चाहिए। एक अप्रैल से लागू होने वाली इस पहल पर सालाना 50 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है। सरकार ने आगामी बजट में इस राशि का विशेष प्रावधान करने का मन भी बना लिया है। सरकार की इस योजना का फायदा उन सभी 450 सरकारी स्कूलों को मिलेगा जिनमें सुबह की पाली में छात्राएं पढ़ती हैं। सरकार की सोच है कि छात्रा की कक्षा बढऩे से उसकी परिवारिक पृष्ठभूमि नहीं बदलती। जब वह 8वीं कक्षा में होती है, तब भी उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि वैसी ही होती है जैसी 9वीं कक्षा में जाने के बाद होती है। इसलिए उसे सारी स्कूली शिक्षा पूरी करने तक सभी सुविधा दी जानी चाहिए। इससे उसकी शिक्षा बगैर किसी व्यवधान के पूरी हो सकेगी।
दरअसल, सरकारी स्कूलों में पढऩे वाली छात्राएं ऐसे परिवारों से आती हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। इसीलिए इन परिवारों में ज्यादातर मामलों में बेटियों और बेटों में भेदभाव भी देखने को मिलता है। नि:शुल्क शिक्षा और मिड डे मील के लालच में फिर भी अभिभावक अपनी बेटियों को स्कूल भेज देते हैं, लेकिन 8वीं कक्षा के बाद जब यह सुविधाएं मिलनी बंद हो जाती है तो काफी अभिभावक अपनी बेटियों का स्कूल से नाम ही कटा लेते हैं। ऐसे में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा भी अप्रासंगिक होने लगता है। इस कदम से निश्चय ही 8वीं कक्षा के बाद स्कूल से नाम कटाने वाली छात्राओं की संख्या में कमी आएगी। हालांकि दिल्ली सरकार को मिड डे मील की सुविधा के विस्तार के साथ-साथ इसकी गुणवत्ता पर भी ध्यान देना होगा। पिछले दिनों जिस तरह से मिड डे मील में चूहा मिलने का मामला सामने आया था, वह वाकई दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक था। इससे स्कूली छात्र-छात्राओं के स्वास्थ्य से खिलवाड़ भी सामने आता है और सरकार की साख पर भी सवाल उठते हैं। इसलिए समय रहते मिड डे मील की गुणवत्ता को लेकर मानक तय कर दिए जाने चाहिए। जिससे योजना का लाभ सभी को मिले।

[ स्थानीय संपादकीय : दिल्ली ]

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