हक के लिए

गुलाबी गैंग अपने हक के लिए आवाज उठाने वाली महिलाओं का समूह है। नाम गुलाबी गैंग इसलिए क्योंकि सदस्य महिलाओं के लिए गुलाबी साड़ी पहनना अनिवार्य है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Publish:Sat, 24 Jun 2017 06:22 AM (IST) Updated:Sat, 24 Jun 2017 06:22 AM (IST)
हक के लिए
हक के लिए

समाज बदल रहा है और उतनी ही तेजी से बदल रही हैं उसकी मान्यताएं। बदलते दौर में महिलाएं भी अपनी नई दुनिया बना रही हैं। वैसे भी वे अगर ठान लें तो सब कुछ संभव है। जब-जब उन्होंने किसी बुराई के खिलाफ आंदोलन छेड़ा तो सफलता ने उनके कदम चूमे। ताजा मामला बस्ती जिले का है। वहां के एक इलाके में कच्ची शराब के कारोबारियों ने गहरी पैठ बना ली थी। लोगों की मेहनत की कमाई शराब में जा रही थी और आये दिन घरों में झगड़े होने लगे थे।

शराब कारोबारियों की पहुंच बड़ी थी इसलिए पुलिस-प्रशासन और नेताओं से कई बार अनुरोध करने के बावजूद उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। आजिज आकर महिलाओं ने अपना एक दल बनाया और शराब कारोबारियों के खिलाफ उठ खड़ी हुईं। इनके काम करने का तरीका भी अलग है। पहले वे गांव या आसपास चल रही शराब की भट्ठियों के बारे में पुलिस को सूचित करती हैं। पुलिस ने कार्रवाई कर दी तब तो ठीक नहीं तो वे खुद भट्ठियों को तोड़ डालती हैं और सारा सामान उठाकर फेंक देती हैं। उनके कड़े तेवरों से शराब कारोबारियों में खलबली मच गई है। विरोध का यह तरीका असर दिखा रहा है। ठीक इसी तरह सालों पहले बांदा में गुलाबी गैंग ने भ्रष्ट सरकारी तंत्र के खिलाफ आवाज उठायी थी।

गुलाबी गैंग अपने हक के लिए आवाज उठाने वाली महिलाओं का समूह है। नाम गुलाबी गैंग इसलिए क्योंकि सदस्य महिलाओं के लिए गुलाबी साड़ी पहनना अनिवार्य है। अब वह जमाना नहीं रहा जब महिलाएं किसी और के फैसले के मुताबिक जिंदगी जीती थीं। न जाने कितनी नवविवाहिताओं ने केवल इसलिए अपनी ससुराल जाने से इन्कार कर दिया क्योंकि वहां शौचालय की सुविधा नहीं थी और उन्हें बाहर खेतों में शौच के लिए जाना मंजूर नहीं था।

उनकी जिद के आगे ससुराल को झुकना ही पड़ा। ऐसे भी उदाहरण हैं जब किसी लड़की ने बरात को दरवाजे से इसलिए लौटा दिया क्योंकि दूल्हा उनकी पसंद का नहीं था। ऐसी भी घटना हुई जब लड़की ने शादी का प्रस्ताव इसलिए ठुकरा दिया क्योंकि लड़का कम पढ़ा लिखा था। महिलाओं में आ रही यह जागृति सुखद है। अपने अधिकारों के लिए महिलाएं जितना सचेत होंगी, समाज में सुधार भी उसी अनुपात में तीव्र होगा।

[उत्तर प्रदेश संपादकीय]

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