भर्ती परीक्षाओं की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए कुछ और कड़े कदम उठाने होंगे

यह पहला अवसर नहीं, जब UPPCL की भर्तियों में भ्रष्टाचार का मामला उजागर हुआ है। इससे पहले भी विद्युत सेवा आयोग की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में रही है।

By Nancy BajpaiEdited By: Publish:Sun, 01 Apr 2018 12:48 PM (IST) Updated:Sun, 01 Apr 2018 12:48 PM (IST)
भर्ती परीक्षाओं की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए कुछ और कड़े कदम उठाने होंगे
भर्ती परीक्षाओं की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए कुछ और कड़े कदम उठाने होंगे

उत्तर प्रदेश पावर कॉपरेरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) की ऑनलाइन परीक्षा में धांधली ने कई सवाल खड़े किए हैं। पहला सवाल यह है कि क्या पिछली सरकार में हुई भर्तियों में गड़बड़ी से भाजपा सरकार ने कोई सबक नहीं लिया। दूसरा यह कि क्या पिछली सरकारों में भर्तियों में मनमाना खेल करने वाले लोग इस सरकार में भी अपनी जड़ें जमा चुके हैं। तीसरा यह कि इस बात की क्या गारंटी है कि आने वाली परीक्षाओं में इन गड़बड़ियों की पुनरावृत्ति नहीं होगी।

यह पहला अवसर नहीं है जबकि यूपीपीसीएल की भर्तियों में भ्रष्टाचार का मामला उजागर हुआ है। इससे पहले भी विद्युत सेवा आयोग की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में रही है। सपा सरकार में भी अवर अभियंताओं की भर्ती को लेकर अभ्यर्थियों ने काफी हंगामा मचाया था। एक परीक्षा तो निरस्त करके दोबारा करानी पड़ी थी। फिर अधिकारी क्यों नहीं चेते, यह भी एक बड़ा सवाल है। परीक्षा आयोजित कराने वाली जिस संस्था को ब्लैक लिस्ट किया गया, उसके इतिहास को भी टटोलने की जरूरत है। कोई बड़ी बात नहीं कि इस संस्था पर पहले भी कई आरोप लग चुके हों।

ऑनलाइन परीक्षाओं में भ्रष्टाचार को लेकर सवाल पहले भी उठते रहे हैं। कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षाएं भी संदेह के दायरे में आई हैं। इसके बावजूद यह परीक्षा आयोजित कराने वाली संस्थाओं पर नकेल नहीं डाली जा सकी। यह महज संयोग नहीं कि सपा सरकार में विद्युत सेवा आयोग की ही अवर अभियंता परीक्षा जिस संस्था ने संपन्न कराई थी, उसी संस्था ने महाराष्ट्र में भी विद्युत विभाग में भर्ती की परीक्षा संपन्न कराई थी और दोनों जगह एक जैसी गड़बड़ियां ही सामने आई थीं। दोनों जगह ही भर्ती को रद करना पड़ा था। अब भाजपा सरकार में भी ऐसी ही एक भर्ती को रद करना पड़ा है। जाहिर है कि विभागीय अधिकारी परीक्षा आयोजित करने से पहले पूरा होमवर्क नहीं करते और इसीलिए उन्हें बाद में शर्मसार होना पड़ता है। सरकार ने विद्युत सेवा आयोग के अध्यक्ष और सचिव को निलंबित करके कड़ा संदेश देने की कोशिश जरूर की है, लेकिन भर्ती परीक्षाओं की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए कुछ और कड़े कदम उठाने होंगे।

[स्थानीय संपादकीय- उत्तर प्रदेश ]

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