साख पर बट्टा

दक्षिणी दिल्ली के खानपुर इलाके में बेखौफ बदमाशों द्वारा सोमवार तड़के बारातियों से भरी बस लूटना सीधे तौर पर दिल्ली पुलिस की साख पर बट्टा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Tue, 09 May 2017 03:26 AM (IST) Updated:Tue, 09 May 2017 03:26 AM (IST)
साख पर बट्टा
साख पर बट्टा

दक्षिणी दिल्ली के खानपुर इलाके में बेखौफ बदमाशों द्वारा सोमवार तड़के बारातियों से भरी बस लूटना सीधे तौर पर दिल्ली पुलिस की साख पर बट्टा है। घटना के समय बस में 15-20 लोग मौजूद थे। इनमें छह महिलाएं भी थीं। बदमाशों ने सभी महिलाओं के गहने लूट लिए। पुलिस ने केस दर्ज तो कर लिया है लेकिन अभी तक बदमाश फरार हैं। हैरत की बात यह कि उक्त घटना किसी देहात की नहीं बल्कि देश की राजधानी की है। जहां 24 घंटे पुलिस गश्त पर होने का दावा करती है। यही नही, सड़कों पर लगातार हो रही अपराध की अन्य घटनाएं दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली को कठघरे में खड़ा करती हैैं। यह चिंताजनक है कि बदमाशों में अब पुलिस का कोई खौफ नहीं रह गया है। राजधानी में बदमाश कभी भी कहीं भी बेखौफ हो वारदात को अंजाम दे रहे हैैं। अत्याधुनिक सुविधाओं से संपन्न दिल्ली पुलिस अपराधियों पर लगाम लगाने और बढ़ते अपराध का ग्राफ रोकने में सफल नहीं हो पा रही है? तब तो हद ही हो जाती है जब बदमाश पुलिस पर भी हाथ उठा देते हैं।
पुलिस महकमे को दिल्ली में विशेषकर सड़कों पर हो रही वारदात रोकने की दिशा में विशेष योजना बनाकर गंभीर कदम उठाने चाहिए। बदमाशों में पुलिस का खौफ ऐसा होना चाहिए कि अपराधी वारदात करने की जुर्रत न कर सके। अपराध होने पर उसे दर्ज करने में आनाकानी, जांच के लचर तरीके और कोर्ट में अपराध साबित न कर पाना अपराधियों के हौसले बढ़ाता है। कोई भी अपराध होने की स्थिति में यह अत्यंत आवश्यक है कि उसे शीघ्रातिशीघ्र दर्ज कर तत्परता से जांच की जाए। अपराधी को गिरफ्तार किया जाए और वैज्ञानिक तरीके से सुबूत जुटाए जाएं ताकि अपराधी कमजोर सुबूतों की वजह से छूटने न पाएं। जहां अपराधियों में खौफ पैदा कर उन्हें अपराध से दूर रखना पुलिस की जिम्मेदारी है, वहीं अपराधियों को जल्द से जल्द सलाखों के पीछे डालकर सख्त से सख्त सजा दिलवाना भी पुलिस का दायित्व है। पुलिस को अपने इस दायित्व को पूरी गंभीरता से निभाना चाहिए और हर हाल में यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अपराधी सड़कों पर खुला न घूमने पाए। यदि जल्द ही ऐसा न किया गया तो आने वाला समय भी भयावह हो सकता है।

[ स्थानीय संपादकीय : दिल्ली ]

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