संक्रामक रोगों की आशंका

मच्छरों के काटने से मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियां हमला करती हैं। इनसे बचने का तरीका यह है कि मच्छरों को पनपने न दिया जाए।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sun, 23 Jul 2017 03:55 AM (IST) Updated:Sun, 23 Jul 2017 03:55 AM (IST)
संक्रामक रोगों की आशंका
संक्रामक रोगों की आशंका

राज्य के पटना सहित अधिसंख्य शहरों में जलजमाव की समस्या देखते हुए इस बात की प्रबल आशंका है कि जलमग्न इलाके जल व मच्छरजनित बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि ऐसी नौबत आने से पहले युद्धस्तर पर निरोधक कार्रवाई करे ताकि संक्रामक रोगों के प्रसार की गुंजाइश न्यूनतम की जा सके। जलजमाव और बाढ़ की स्थिति में सबसे बड़ा खतरा पेयजल की शुद्धता को लेकर रहता है। इससे बचने का सर्वोत्तम तरीका यह है कि पेयजल आपूर्ति का सुपर क्लोरिनेशन किया जाए और गंभीर समस्याग्रस्त क्षेत्रों में टैंकर के जरिए शुद्ध पेयजल की आपूर्ति की जाए। व्यक्तिगत तौर पर यह एहतियात बरता जा सकता है कि पानी उबालकर पिया जाए। अशुद्ध पेयजल के सेवन से आंत्रशोथ, डायरिया, हैजा और पीलिया जैसे संक्रामक रोग होते हैं। अस्पतालों को भी इन बीमारियों के रोगियों के इलाज की मुकम्मल व्यवस्था रखनी चाहिए ताकि किसी इलाके में इनका प्रकोप होने पर स्थिति बेकाबू न हो। स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी है कि इन बीमारियों से बचाव के लिए विभिन्न माध्यमों से जागरूकता पैदा करे। मच्छरजनित बीमारियां तो इससे भी अधिक खतरनाक होती हैं। जलजमाव मच्छरों का घनत्व बढ़ाने के लिए आदर्शतम परिस्थतियां पैदा करता है। मच्छरों के काटने से मलेरिया और डेंगू जैसी घातक बीमारियां हमला करती हैं। इनसे बचने का सर्वोत्तम तरीका यह है कि मच्छरों को यथासंभव पनपने न दिया जाए। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग से कीटनाशक छिड़काव जैसे कार्यक्रमों की अपेक्षा की जाती है। डेंगू से पीडि़त व्यक्ति के रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या में तीव्र गिरावट आती है जिसका नियंत्रण न होने पर रोगी की जान का खतरा पैदा हो जाता है। अस्पतालों को चाहिए कि अपने ब्लडबैंक में पर्याप्त मात्रा में प्लेटलेट्स का भंडारण सुनिश्चित करें। निजी अस्पतालों द्वारा प्लेटलेट्स के लिए मरीजों और उनके तीमारदारों का जमकर शोषण भी किया जाता है जो घोर अमानवीय है। इसके लिए प्रशासन को सचेत रहना चाहिए। यदि किसी मरीज के तीमारदार यह शिकायत करते हैं कि प्लेटलेट्स के नाम पर उनका शोषण किया जा रहा है तो इस पर अविलंब कार्रवाई की जानी चाहिए। स्वास्थ्य विभाग को एलर्ट भाव में रहकर प्रयास करना चाहिए कि संक्रामक रोग पैर न पसार सकें। इसके बावजूद यदि किसी इलाके में जल या मच्छरजनित बीमारियों का प्रकोप हो जाता है तो पीडि़तों के इलाज में किसी तरह की कोताही न बरती जाए।
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यह जल व मच्छरजनित रोगों का मौसम है। स्वास्थ्य विभाग को ऐसी कार्ययोजना बनाकर अमल करना चाहिए जिससे संक्रामक रोगों को पनपने का मौका न मिले। इन बीमारियों से कैसे बचा जा सकता है, इसके लिए व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जाए।

[ स्थानीय संपादकीय : बिहार ]

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