रोजगार नीति बनाए सरकार

राजकीय मेडिकल कॉलेज और सहायक अस्पतालों में नर्सिंग अर्दली के पदों के लिए उमड़ी युवाओं की भीड़ राज्य में बढ़ती बेरोजगारी को दर्शाती है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Wed, 10 May 2017 02:41 AM (IST) Updated:Wed, 10 May 2017 02:41 AM (IST)
रोजगार नीति बनाए सरकार
रोजगार नीति बनाए सरकार

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तीन सौ पद के लिए 17 हजार से अधिक आवेदन जमा होने से साफ है कि रोजगार के अवसर प्रदान करने में सरकार विफल रही
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राजकीय मेडिकल कॉलेज और सहायक अस्पतालों में नर्सिंग अर्दली के पदों के लिए उमड़ी युवाओं की भीड़ राज्य में बढ़ती बेरोजगारी को दर्शाती है। तीन सौ पद के लिए 17 हजार से अधिक युवाओं के आवेदन जमा करवाने से यह साफ कि राज्य सरकार युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने में पूरी तरह से विफल रही है और युवा अब किसी भी कीमत पर नौकरी हासिल करना चाहते हैं। इस समय राज्य में छह लाख से अधिक युवा बेरोजगार हैं। हर साल इनकी संख्या में बढ़ोतरी होती जा रही है। रोजगार केंद्रों में भी एक लाख से अधिक युवाओं ने अपना पंजीकरण करवाया हुआ है। चिंता का विषय यह है कि बेरोजगारों में डॉक्टर, इंजीनियर, कृषि स्नातक सहित सभी शामिल हैं। इस बात में कोई दोराय नहीं है कि राज्य सरकार ने बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए कदम उठाए लेकिन कोई दीर्घकालिक नीति न होने के कारण उनका लाभ नजर नहीं आया। शेर-ए-कश्मीर रोजगार नीति, ओवरसीज कॉरपोरेशन इसके द्योतक हैं। चंद वर्षों में ही सरकार की यह योजनाएं दम तोड़ गईं और युवा आज फिर से रोजगार के लिए लंबी-लंबी कतारों में खड़े हैं। राज्य की जनसंख्या का एक बहुत बड़ा भाग युवाओं का है और राज्य का बेहतर निर्माण तभी होगा जब राज्य सरकार कोई स्पष्ट नीति बना पाएगी। जम्मू-कश्मीर पिछले ढाई दशक से भी अधिक समय तक आतंकवाद से जूझ रहा है। आतंकवादी गुट बेरोजगारी का लाभ उठाकर कई युवाओं को गुमराह कर चुके हैं और अभी भी कोई कोर कसर शेष नहीं रख रहे। सरकार को इस पर मंथन करने की जरूरत है। इस समय राज्य सरकार के अधिकांश विभागों में पद रिक्त पड़े हुए हैं। सिर्फ स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में ही डेढ़ हजार से अधिक डॉक्टरों के पद रिक्त हैं। शिक्षकों, इंजीनियरों व चतुर्थ श्रेणी के पदों पर भी वर्षों से नियुक्ति नहीं हो पा रही है। अगर राज्य सरकार समय पर इन पदों को भरने के लिए भी प्रक्रिया शुरू करती है तो इससे भी कुछ हद तक बेरोजगारी की समस्या का समाधान संभव है। यही नहीं पर्यटन, उद्योग ऐसे क्षेत्र हैं जिन्हें बढ़ावा देकर हर समय उनमें रोजगार की संभावना को बढ़ाया जा सकता है। लेकिन यह तभी संभव होगा जब राज्य सरकार रोजगार के लिए कोई पुख्ता नीति बनाएगी। अगर ऐसा करने में सरकार विफल रहती है तो भविष्य में भी चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के पदों के लिए आवेदन भरने वालों की कतारें इससे भी लंबी हो सकती हैं।

[ स्थानीय संपादकीय : जम्मू-कश्मीर ]

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