Congress Chintan Shivir: कांग्रेस खुद में कोई बुनियादी बदलाव लाने के लिए तैयार नहीं

Congress Chintan Shivir कांग्रेस ने जैसा रुख-रवैया अपना लिया है और सुधार के नाम पर दिखावटी बदलाव किए जा रहे हैं उन्हें देखते हुए यह नहीं लगता कि वह भाजपा को चुनौती देने की स्थिति में आ पाएगी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Sat, 14 May 2022 10:44 AM (IST) Updated:Sat, 14 May 2022 10:44 AM (IST)
Congress Chintan Shivir: कांग्रेस खुद में कोई बुनियादी बदलाव लाने के लिए तैयार नहीं
कांग्रेस वंशवादी राजनीति का जैसा परिचय दे रही है उसकी मिसाल मिलना मुश्किल है।

कांग्रेस के चिंतन शिविर से जैसी खबरें निकलकर सामने आ रही हैं उससे यह नहीं लगता कि देश की यह सबसे पुरानी पार्टी वास्तव में चिंतन-मनन करने के लिए तैयार है। चिंतन अथवा आत्मचिंतन के नाम पर सोनिया गांधी ने कांग्रेस की कमजोरियों के बजाय जिस तरह भाजपा पर निशाना साधा और वही घिसी-पिटी बातें दोहराईं उससे तो यही साबित हो रहा है कि कांग्रेस खुद में कोई बुनियादी बदलाव लाने के लिए तैयार नहीं। इसका संकेत इससे मिलता है कि कांग्रेस ने यह तो तय किया कि एक परिवार के एक व्यक्ति को ही टिकट दिया जाएगा, लेकिन इसी के साथ इस नियम से गांधी परिवार को बाहर रखने की वकालत भी कर दी।

यदि यह सच है तो किसी मजाक से कम नहीं। इसका सीधा अर्थ है कि गांधी परिवार पार्टी से अपनी पकड़ ढीली करने के लिए तैयार नहीं। इससे भी बड़ी विडंबना यह है कि यह परिवार कोई जवाबदेही लेने के लिए भी तैयार नहीं दिखता। इसका उदाहरण हाल में संपन्न पांच राज्यों के चुनाव परिणामों के बाद तब देखने को मिला था जब संबंधित राज्यों के कांग्रेस अध्यक्षों से तो त्यागपत्र ले लिए गए थे, लेकिन उन्हें जिन नेताओं और गांधी परिवार के सदस्यों ने नियुक्त किया था उनकी कोई जवाबदेही तय नहीं की गई।

साफ है कि कांग्रेस यह देखने-समझने से इन्कार कर रही है कि लोकतंत्र में पार्टी नेतृत्व को पराजय की जिम्मेदारी लेनी पड़ती है और नेतृत्व किसी और को सौंपना पड़ता है। ऐसा न केवल दुनिया के अन्य लोकतांत्रिक देशों के राजनीतिक दल करते हैं, बल्कि भारत में भाजपा भी इसी परिपाटी का पालन करती चली आ रही है। 1998 के बाद से कांग्रेस की कमान केवल गांधी परिवार और वह भी सोनिया और राहुल गांधी के पास है, लेकिन इस अवधि में भाजपा ने करीब एक दर्जन अध्यक्ष देखे। 

कांग्रेस में वंशवादी राजनीति की जो नींव जवाहरलाल नेहरू ने डाली और जिसे इंदिरा गांधी ने मजबूत किया उसे सोनिया गांधी एक नए मुकाम पर ले गई हैं। उन्होंने परिवार को ही पार्टी का पर्याय बना दिया है। गांधी परिवार के रवैये से यह नहीं लगता कि स्थिति में कोई परिवर्तन होने वाला है। जो भी हो, कांग्रेस जिस रास्ते पर जा रही है और जैसी मानसिकता का परिचय दे रही है उससे तो वह वंशवादी राजनीति में आकंठ डूबे क्षेत्रीय दलों को भी मात देती दिख रही है। 

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