सराहनीय कदम

स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुविधाओं का विस्तार झारखंड सरीखे राज्य के लिए संजीवनी के समान है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Fri, 24 Feb 2017 03:28 AM (IST) Updated:Fri, 24 Feb 2017 03:32 AM (IST)
सराहनीय कदम
सराहनीय कदम

हाइलाइटर
स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुविधाओं का विस्तार झारखंड सरीखे राज्य के लिए संजीवनी के समान है।
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राज्य गठन के बाद पहली बार गुरुवार को तीन अलग-अलग स्थानों पर मेडिकल कॉलेजों की आधारशिला रखी गई। नए मेडिकल कॉलेज पलामू, हजारीबाग तथा दुमका में स्थापित होंगे। केंद्र सरकार के सहयोग से तीनों स्थानों पर सदर अस्पतालों को उत्क्रमित करते हुए मेडिकल कॉलेजों का निर्माण करना है। इस महती योजना पर आठ अरब 85 करोड़ रुपये की लागत आएगी। राज्य सरकार पर इसका भार कम पड़ेगा। इस योजना के तहत 60 फीसद राशि का वहन केंद्र सरकार करेगी। तीनों मेडिकल कॉलेजों का निर्माण टर्न-की आधार पर होना है, यानी इसकी विस्तृत योजना रिपोर्ट में तीनों सदर अस्पतालों के अपग्रेडेशन, मेडिकल कॉलेज, छात्रावास आदि के भवन निर्माण के अलावा तमाम साज-सज्जा व मशीन-उपकरण भी शामिल है। केंद्र के सहयोग से पूरी होने वाली यह योजना सराहनीय है और इसकी आवश्यकता अरसे से महसूस की जा रही थी। अगले चरण में राज्य सरकार कोडरमा, चाईबासा तथा बोकारो में भी मेडिकल कॉलेज खोलने की तैयारी कर रही है। तीनों की विस्तृत योजना रिपोर्ट तैयार की जा रही है। केंद्र सरकार राज्य में एक अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान खोलने की मंजूरी पूर्व में ही दे चुकी है। यह देवघर में खुलेगा। बिहार और पश्चिम बंगाल से सटे होने के कारण तीन राज्यों के लोगों को इसका लाभ मिलेगा। स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुविधाओं का विस्तार झारखंड सरीखे राज्य के लिए संजीवनी के समान है। विषम भौगोलिक स्थिति और आर्थिक पिछड़ेपन के कारण राज्य के सुदूर इलाकों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाना आवश्यक है। हाल के दिनों में स्वास्थ्य सुविधाओं में बढ़ोतरी होने के कारण कई बीमारियों की रोकथाम हो पाई है लेकिन कुपोषण और एनीमिया से निपटना अभी भी एक बड़ी चुनौती है। आबादी का एक बड़ा हिस्सा इसकी चपेट में है। हालांकि राज्य सरकार ने हाल के वर्षों में स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई सराहनीय कार्य किए हैं। रांची स्थित रिम्स की तमाम क्षेत्रों में विशेषज्ञता बढ़ रही है। राज्य सरकार ने चिकित्सकों की कमी दूर करने में भी सफलता पाई है। अनुबंध पर बहाल चिकित्सकों को पूर्व में ही स्थायी किया जा चुका है। चिकित्सा की अन्य विधा भी आयुष सेवा के माध्यम से विकसित हो रही है। यह आवश्यक भी है। बहरहाल तीन नए मेडिकल कॉलेजों की अलग-अलग स्थानों पर निर्माण की दिशा में तेजी से प्रयास करना चाहिए। अधिकारी इस दिशा में सक्रिय हों और तमाम मानकों को पूरा करने की दिशा में भी काम करें।

[ स्थानीय संपादकीय : झारखंड ]

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