देर आए दुरुस्त आए

विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी और खलती है। इसी कारण इसी सत्र से रोहतक PGI में न्यूरो सर्जरी, न्यूरोलॉजी, पैथोलॉजी के पाठ्यक्रम भी शुरू किए जा रहे हैं।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Publish:Mon, 26 Jun 2017 07:00 AM (IST) Updated:Mon, 26 Jun 2017 07:00 AM (IST)
देर आए दुरुस्त आए
देर आए दुरुस्त आए

प्रदेश सरकार ने अब चिकित्सकों की कमी को पूरा करने के प्रयास तेज कर दिए हैं। हर जिले में मेडिकल कॉलेज के लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए अब कुरुक्षेत्र में भी मेडिकल कॉलेज का श्रीगणेश कर दिया गया है। इससे पूर्व करनाल में मेडिकल कॉलेज शुरू किया जा चुका है। भिवानी में मेडिकल कॉलेज का मसला जनप्रतिनिधियों की खींचतान में अटका है। सोनीपत व रोहतक में पहले से मेडिकल कॉलेज हैं। निश्चित तौर पर प्रदेश चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा है। तय मानकों के अनुसार प्रदेश को 27 हजार चिकित्सकों की आवश्यकता है और फिलहाल 10 हजार चिकित्सक उपलब्ध हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक एक हजार की जनसंख्या पर एक चिकित्सक की आवश्यकता है, लेकिन प्रदेश में 1800 की जनसंख्या पर एक चिकित्सक है। सरकारी अस्पतालों की स्थिति और भी बदतर है। आधे से अधिक चिकित्सकों के पद खाली हैं। ठेके पर नियुक्ति व वरिष्ठ अधिकारियों की चिकित्सा ड्यूटी लगाकर कुछ चिकित्सकों की व्यवस्था करने का प्रयास किया गया है, लेकिन व्यवस्था को सुचारु बनाने में अभी भी काफी कुछ किया जाना शेष है। सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी की सबसे ज्यादा मार गरीब या निम्न मध्यम वर्ग को ङोलनी पड़ती है। सरकारी अस्पताल में संबंधित बीमारी का इलाज न मिलने पर मजबूर होकर उन्हें निजी अस्पतालों की ओर रुख करना पड़ता है।

चिकित्सकों के सरकारी नौकरी को न कहने के कारण काफी हो सकते हैं, लेकिन आम आदमी को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं मुहैया करवाने के सरकार के वादे को पूरा किया जाना लाजिमी है। विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी और खलती है। इसी कारण इसी सत्र से रोहतक पीजीआइ में न्यूरो सर्जरी, न्यूरोलॉजी, पैथोलॉजी के पाठ्यक्रम भी शुरू किए जा रहे हैं। इसके साथ-साथ परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों के विकास पर भी सरकार ध्यान ध्यान देने का प्रयास कर रही है। पंचकूला में आयुर्वेदिक एम्स की स्थापना की तैयारी की जा रही है। भले ही सरकार निरंतर प्रयास कर रही हो लेकिन इसमें काफी समय लगेगा। तब तक प्रदेश में चिकित्सकों की मांग और बढ़ जाएगी।

इसके लिए आवश्यक है कि निजी क्षेत्र की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। इससे सरकार जरूरतमंदों को सुविधाएं देने में संसाधनों का इस्तेमाल कर पाएगी और कार्य की गति भी तेज हो पाएगी।चिकित्सा सेवाओं में निजी क्षेत्र की भागीदारी से सरकार संसाधनों की कमी को पूरा कर सकती है।

[हरियाणा संपादकीय]

chat bot
आपका साथी