खुफिया तंत्र की चौकसी
उपद्रवियों और आतंकवादियों की नजर प्रदेश पर है। ऐसे में खुफिया तंत्र और पुलिस की सुस्ती घातक होगी।
-----उपद्रवियों और आतंकवादियों की नजर प्रदेश पर है। ऐसे में खुफिया तंत्र और पुलिस की सुस्ती घातक होगी। -----सहारनपुर, आगरा और मेरठ में हुए बवाल को देखते हुए योगी सरकार ने कानून-व्यवस्था को लेकर सख्त कदम उठाए हैं। कुछ दिनों से न केवल हिंसक घटनाएं बढ़ी हैं, बल्कि पुलिस पर भी सीधे-सीधे हमले हुए हैं। सवाल उठने लगे हैं कि आखिर कानून व्यवस्था के मामले में पिछली और मौजूदा सरकार में क्या फर्क है क्योंकि इस बात को ज्यादा दिन नहीं बीते हैं जब पिछली सरकार में अपराध को लेकर विपक्ष पार्टी किसी भी मौके पर हो-हल्ला मचाने से नहीं चूकती थी। अब मजबूरन सरकार को सख्त कदम उठाने की चेतावनी देनी पड़ी है। सवाल उठता है कि आखिर खुफिया विभाग क्या कर रहा है। यानी कि सरकारी खुफिया तंत्र भी सुस्त पड़ा हुआ है। इन सबके बीच सबसे बड़ी जिम्मेदारी तो पुलिस विभाग पर ही है। पुलिस सख्ती का दावा करती है लेकिन, बदमाश दिनदहाड़े हथियार लेकर घूमते हैं, पर पकड़े नहीं जाते। इसका एक दुखद परिणाम गत दिनों अलीगढ़ में सामने आया, जब कार और बाइक की टक्कर के बाद दो पक्षों के बीच हुए झगड़े में तमंचे से चली गोली स्कूल वैन में बैठी पांचवीं की छात्रा को जा लगी। आज वह एम्स में जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है। कई जगहों पर छोटी-छोटी बात ही हिंसा का रूप ले ले रही है। देखते ही देखते लोग लामबंद हो जा रहे हैं और फिर घटनास्थल युद्ध का मैदान बन जा रहा है। गोंडा के बेलसर में बुधवार को हुई हिंसक घटना इस बात का प्रमाण है। उपद्रवियों और आतंकवादियों की नजर प्रदेश पर है। ऐसे में खुफिया तंत्र और पुलिस की सुस्ती घातक होगी। सवाल है कि प्रदेश को अपराधमुक्त बनाना जब सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है तो फिर उसे सख्त कदम उठाने में इतनी देर क्यों हुई। निश्चित रूप से कानून का राज स्थापित करने की दिशा में सरकार को तेजी और सख्ती से काम करना होगा। उसे अपने अधिकारियों को जवाबदेह बनाना होगा। विपक्षी दल सरकार को कानून व्यवस्था के नाम पर घेर रहे हैं। देखना है कि सरकार की सख्ती कितनी जल्दी रंग लाएगी। कानून व्यवस्था की सफलता या विफलता ही सरकारों की तत्परता का मानक होती हैं।
[ स्थानीय संपादकीय : उत्तर प्रदेश ]