अव्वल बेटियां

संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा घोषित सिविल परीक्षा के नतीजों ने साबित कर दिया है कि दिल्ली की बे

By Edited By: Publish:Mon, 06 Jul 2015 04:05 AM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2015 04:05 AM (IST)
अव्वल बेटियां

संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा घोषित सिविल परीक्षा के नतीजों ने साबित कर दिया है कि दिल्ली की बेटियां अव्वल हैं। इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि स्कूली परीक्षाओं से लेकर यूपीएससी तक की परीक्षा में अपनी प्रतिभा का परचम लहराकर लड़कियों ने अपनी योग्यता का डंका पीट दिया है। ये क्षण सचमुच बेहद सुखद और रोमांचित करने वाले हैं कि देश के शासन की बागडोर थामे रखने वाले अधिकारियों के चयन के लिए हुई परीक्षा में टॉप के चार स्थानों पर लड़कियों ने कब्जा जमाया है और इनमें तीन दिल्ली से ताल्लुक रखती हैं। इनमें से सब की सफलता इनके कठिन परिश्रम और विलक्षण मेधा की गवाही देती है लेकिन पहला स्थान हासिल करने वाली इरा सिंघल की सफलता का सफर वाकई प्रेरणादायी है। शारीरिक रूप से विकलांग होने के बावजूद इरा ने जिस मानसिक दृढ़ता का परिचय दिया है, वह ऐसे न जाने कितने बच्चों के लिए बहुत बड़ी नजीर बन गया है। उन्होंने तो बाकायदा इतिहास ही रच दिया है। यूपीएससी के इतिहास की वह पहली प्रतियोगी हैं जिन्होंने शारीरिक रूप से विकलांग होते हुए भी पूरे देश में सामान्य वर्ग में टॉप किया है। दिल्ली को अपनी इस बेटी पर वाकई नाज होना चाहिए। उनकी ही तरह अन्य सफल प्रतियोगियों ने भी दिल्ली का नाम रौशन किया है।

दिल्ली यूं तो सदियों से सत्ता की नगरी के तौर पर जानी-पहचानी जाती रही है लेकिन बीते दशकों में बात चाहे शिक्षा की हो, साहित्य हो, कला-संस्कृति की हो अथवा संगीत व खेलकूद की, दिल्ली ने हमेशा बड़ी लकीर खींची है और इन सभी क्षेत्रों में लड़कियों ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। यदि पिछले कुछ वर्षो के दसवीं-बारहवीं के परीक्षा परिणामों से लेकर तमाम अन्य प्रतियोगिताओं के परिणामों की बात करें तो सफलता हासिल करने वालों में बेटियां हरदम आगे दिख रही हैं। यूपीएससी के ताजा परीक्षा परिणाम यह इशारा भी कर रहे हैं कि राजधानी में शिक्षा व्यवस्था और चुस्त-दुरुस्त हुई तो आने वाले दिनों में दिल्ली के बच्चे हर परीक्षा में अपनी श्रेष्ठता का जोरदार प्रदर्शन करेंगे। यह अच्छी बात है कि सूबे की सरकार ने अपने बजट में शिक्षा पर भारी रकम खर्च करने का फैसला किया है। सरकार यह मानकर चल रही है कि यदि बच्चों की पढ़ाई-लिखाई बेहतर हो जाए तो विकास की मंजिल को हासिल करना आसान हो जाएगा जो सकारात्मक संकेत है।

[स्थानीय संपादकीय: दिल्ली]

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