दीपावली पर पहल

दीपावली प्रकाश, उल्लास व खुशी का पर्व है। इसमें अंधेरे का कोई स्थान नहीं है। बेहतर होगा कि इस दिन सभ

By Edited By: Publish:Thu, 23 Oct 2014 05:48 AM (IST) Updated:Thu, 23 Oct 2014 05:48 AM (IST)
दीपावली पर पहल

दीपावली प्रकाश, उल्लास व खुशी का पर्व है। इसमें अंधेरे का कोई स्थान नहीं है। बेहतर होगा कि इस दिन सभी समाज में फैली कुरीतियों रूपी अंधेरे को दूर करने का संकल्प लें। भ्रष्टाचार, कन्या भ्रूण हत्या, अपराध व मिलावटखोरी जैसी कई बुराइयां समाज में घर कर चुकी हैं। नैतिक-अनैतिक में अंतर तक नहीं किया जा रहा। अपने हितों को साधने के लिए गलत राह अपनाने से कोई भी परहेज नहीं कर रहा। कहीं कन्या को दुनिया में आने से पहले ही मारा जा रहा है। बेटियों ने अपनी काबिलियत का लोहा हर क्षेत्र में मनवाया है। ऐसे में उन्हें कमतर आंकना बड़ी भूल है। सब कुछ जानकर भी लोग बेटा-बेटी में भेद समझते हैं। इस संबंध में समाज में जागरूकता लाना बहुत जरूरी है। विकास के नाम पर प्रकृति पर भी खूब प्रहार हुआ है, जिसका खामियाजा मौजूदा पीढ़ी भुगत रही है और अगली पीढि़यों पर भी खतरा बरकरार है। पर्यावरण संरक्षण की मुहिम तो चलती है लेकिन आशानुरूप परिणाम अब तक सामने नहीं आए हैं। पटाखे फोड़कर खुशी मनाना जरूरी नहीं है बल्कि उन लोगों को खुशी देकर भी दीवाली मनाई जा सकती है, जो वंचित व समाज की मुख्यधारा से कटे हैं। यह समझना जरूरी है कि पटाखों से पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान होता है। इससे धन की बर्बादी के साथ सेहत पर असर पड़ता है। यदि पर्यावरण सुरक्षित होगा तभी मानव जीवन संभव हो पाएगा। इस पर्व पर जुआ खेलना, मांस-मदिरा का सेवन व मिठाई में मिलावट जैसी बुराइयों से परहेज करना चाहिए। गांधी जयंती पर शुरू हुई स्वच्छता अभियान की पहल को सबको आदत के तौर पर विकसित करना होगा। बिना किसी आह्वान के लोगों को अपने स्तर पर सफाई के लिए आगे आना होगा। सामाजिक प्राणी होने के नाते अपने घर के साथ आसपास को स्वच्छ रखना सबका दायित्व है। दीपावली पर लोगों को संकल्प लेना चाहिए कि वे पटाखे फोड़ कर धन बर्बाद नहीं करेंगे। ऐसे पावन अवसर पर हर व्यक्ति को पर्यावरण संरक्षण के लिए कम से कम एक पौधा रोपना चाहिए। इससे हम प्रकृति की रक्षा में योगदान दे सकेंगे। अत्यधिक बिजली खर्च करने की आदत से बचना होगा। ऐसा न करके सिर्फ दीपक जलाए जाने चाहिएं ताकि बिजली की बचत हो सके और रोशनी के पर्व को भी मना सकें। उम्मीद की जानी चाहिए कि हिमाचल प्रदेश के हर व्यक्ति दीपावली पर पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता व स्वदेशी को अपनाने की दिशा में कदम बढ़ाएगा।

[स्थानीय संपादकीय: हिमाचल प्रदेश]

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