तत्परता बरते सरकार

झारखंड स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में काफी पिछड़ा है। रिम्स को छोड़कर राज्य में दूसरा कोई बड़ा अस्पताल

By Edited By: Publish:Wed, 01 Oct 2014 05:10 AM (IST) Updated:Wed, 01 Oct 2014 05:10 AM (IST)
तत्परता बरते सरकार

झारखंड स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में काफी पिछड़ा है। रिम्स को छोड़कर राज्य में दूसरा कोई बड़ा अस्पताल नहीं है जहां जटिल बीमारियों का इलाज हो सके। हालांकि हाल के दिनों में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने को लेकर सरकार रेस अवश्य हुई है लेकिन अभी और अधिक तत्परता बरतने की जरूरत है। केंद्र सरकार ने राज्य में एम्स खोलने का ऑफर दिया है। यह राज्य के लिए बेहतर मौका है और इसका लाभ उठाना चाहिए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन खुद इसकी पहल कर रहे हैं। उन्होंने राज्य सरकार को पत्र भेजकर आग्रह किया है कि जमीन मुहैया कराई जाए। राज्य सरकार ने देर से ही सही, दुमका, देवघर, बोकारो तथा हजारीबाग में जमीन चिह्नित कर केंद्र सरकार को भेजा है। अब कोशिश इस स्तर पर हो कि जल्द से जल्द काम आरंभ हो और तकनीकी जटिलता को सरकार हल करे। इसके लिए केंद्र सरकार से भी लगातार समन्वय स्थापित करना होगा। इस मोर्चे पर झारखंड फिलहाल कमजोर साबित हो रहा है जबकि अन्य राज्य केंद्र सरकार के मंत्रालयों से बेहतर समन्वय स्थापित कर योजनाओं का लाभ लेने में सफल साबित हो रहे हैं। यही वजह है कि केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह समेत केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने अपने हालिया दौरे में इसका जिक्र किया है कि कोई अधिकारी अथवा मंत्री अपनी मांग को लेकर उनके मंत्रालय के संपर्क में नहीं है। केंद्र सरकार ने राज्यों के लिए पिटारा खोला है लेकिन योजना बनाकर उसपर सहमति लेने के लिए राज्य सरकार को तत्पर होना होगा। वरना समय सीमा बीतने के बाद योजना हाथ से निकल जाएगी और हम एक-दूसरे को कोसते ही रह जाएंगे। झारखंड में मेडिकल कॉलेज की सीटों को लेकर जिच का समाधान हाल ही में राज्य सरकार ने किया है। वर्तमान सरकार ने अरसे से अनुबंध पर काम कर रहे डॉक्टरों को भी नियमित किया है। अब एम्स के लिए भी राज्य सरकार को गंभीरता से लगना होगा। सिर्फ राजनीतिक चश्मे से इसे देखना ठीक नहीं। लोकहित को देखते हुए यह आवश्यक है कि ऐसे मामले दलगत सीमाओं से भी ऊपर होकर हल किए जाएं। राज्य सरकार इसमें सांसदों की मदद ले सकती है। अभी तक इस दिशा में कभी प्रयास नहीं हुआ लेकिन राज्य हित को सर्वोपरि बताने वाली सरकार अगर सबको साथ लेकर योजनाओं को धरातल पर उतारने का बीड़ा उठाए तो कोई भी काम असंभव नहीं है।

[स्थानीय संपादकीय: झारखंड]

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