Religion: हर आदमी के जीवन में समाज सेवा करने की एक लगन होती है

हर आदमी के जीवन में किसी न किसी बात की लगन होती है। यह लगन समाज सेवा से लेकर किसी भी प्रकार की हो सकती है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Thu, 01 Feb 2018 11:29 AM (IST) Updated:Thu, 01 Feb 2018 11:29 AM (IST)
Religion: हर आदमी के जीवन में समाज सेवा करने की एक लगन होती है
Religion: हर आदमी के जीवन में समाज सेवा करने की एक लगन होती है

हर आदमी के जीवन में किसी न किसी बात की लगन होती है। यह लगन समाज सेवा से लेकर किसी भी प्रकार की हो सकती है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अनेक लोगों ने देश-प्रेम के चलते हंस-हंस कर प्राण गंवा दिए थे। अति यानी अधिकता नुकसानदेह होती है। किसी सीमा में रहकर यदि किसी प्रकार की लगन मन में लगा ली जाए तो यह जीवन को उमंगों से भर देती है। घर को, समाज या देश को बर्बाद कर देने वाले शौक अपने यहां वर्जित हैं। इनका त्याग स्वहित में भी जरूरी है। समाज है तो यहां लोग भी अनेक प्रकार के मिलेंगे। इन सबके शौक भी निश्चय ही अलग-अलग होंगे। यहां एक बात यह ध्यान देने योग्य है कि जो शौक सकारात्मक या रचनात्मक होते हैं, समाज उन्हें ही मान्यता देता है और लोग उसी की प्रशंसा भी करते हैं। जो शौक समाज में वर्जित हैं, जो विध्वंसात्मक हैं, जिनसे व्यक्ति या समष्टि को नुकसान पहुंचता है, उसका तुरंत परित्याग कर देना चाहिए।

मुझे अच्छी तरह याद है कि एक असहाय और दीन व्यक्ति, जहां कहीं भी लावारिस लाशें देखता था, तुरंत लोगों से कुछ मांगकर उस लाश की अंत्येष्टि कर देता था। यह विचित्र प्रकार की लगन थी, लेकिन उसकी सोच सकारात्मक थी। समाज के लिए इसमें दया और करुणा का संदेश भी था। वह इस कर्म को भगवान की सेवा मानता था। उसके इस कार्य ने उसे सामान्य से खास व्यक्ति बना दिया, जबकि वह स्वयं लावारिस था। धरती उसका बिछौना और आसमान चादर था। उस व्यक्ति ने जीवन पर्यंत अपने इस शौक को जारी रखा। देश में अनेक लोगों ने अपने अच्छे शौकों के कारण बहुत ख्याति अर्जित की। चाहे वह विज्ञान का क्षेत्र हो या ज्ञान का। चाहे वह व्यक्ति का क्षेत्र हो या वैराग्य का। ज्ञानी को भगवान को जानने की लगन है तो वैज्ञानिक को मानवता की सेवा के लिए नए आविष्कारों की। इसी प्रकार भक्त भगवान के दर्शनों के लिए आतुर है तो विरागी त्याग को पराकाष्ठा पर पहुंचाने के लिए व्याकुल। भगवत चिंतन में मीरा और चैतन्य महाप्रभु इतने रम जाते थे कि नृत्य करने लगते थे। भगवान से उनकी लगन ही ऐसी थी। अच्छे लक्ष्यों और उद्देश्यों को सामने रखकर जो शौक पाले जाते हैं, वे समाज के लिए अनुकरणीय बन जाते हैं।

[ डॉ. विश्राम ]

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