नकली नोटों की बढ़ती समस्या, सरकार को इस दिशा में कुछ कड़े कदम उठाने चाहिए
Fake Indian Currency Note देश में करोड़ों रुपये के नकली नोट छाए हुए हैं। आम आदमी से लेकर सभी सरकारी कामकाज में इनका उपयोग हो रहा है।
कपिल अग्रवाल। Fake Indian Currency Note पिछले दिनों नकली नोट छापने और उसका प्रसार करने वालों का एक बड़ा गिरोह पकड़ा गया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तथा भारतीय खुफिया एजेंसियों ने भी कई बार केंद्र सरकार को देश में नकली नोट के बाबत चेताया है। इससे निपटने के लिए एक दशक पूर्व सरकार द्वारा एक विशेष प्रकार की प्लास्टिक की करेंसी जारी करने की योजना बनाई गई थी जिस पर अब पुन: मंथन शुरू करना चाहिए। इसमें एक विशेष प्रकार की चिप होने से बहुत आसानी से नकली-असली नोट की पकड़ हो जाएगी। विश्व के तमाम देश इस प्रणाली को अपना चुके हैं। देश में करोड़ों रुपये के नकली नोट छाए हुए हैं। आम आदमी से लेकर सभी सरकारी कामकाज में इनका उपयोग हो रहा है।
भारत सरकार की एक खुफिया रिपोर्ट में बताया गया है कि तीन पड़ोसी देशों में भारतीय करेंसी की छपाई के कई अवैध प्रेस स्थापित किए गए हैं। बीते वर्ष के आखिर में करोड़ों रुपये के नकली नोट चुपचाप रिजर्व बैंक द्वारा नष्ट कराए गए। माना जाता है कि देश भर में 194 से भी ज्यादा क्षेत्रों पर नकली नोट के कारोबारियों ने अपने ठिकाने बनाए हुए हैं। जहां से देश भर में नोट सप्लाई किए जाते हैं। ज्यादातर ढाबों, शराब के ठेकों आदि जगहों पर इन नोटों को खपाया जाता है। विश्व भर में यह एक ऐसा अनूठा आपराधिक मामला है जिसके असल मास्टरमाइंड का आज तक पता ही नहीं चल पाया है। यह भी कहा जा सकता है कि अभी तक इसके उन्मूलन के ठोस प्रयास किए ही नहीं गए हैं।
सिक्कों का मामला तो और भी पेचीदा है। सिक्के नकली तो आ ही रहे हैं, पर असली रेजगारी को गला-गलाकर ब्लेड, पेन की टिप, स्टेपलर पिन आदि बनाए जा रहे हैं। चूंकि यह तमाम क्षेत्र असंगठित इकाइयों का है इसलिए इनकी खोजबीन एवं पकड़ मुश्किल है। अधिकांश बड़ी ब्रांडेड कंपनियां इन्हीं असंगठित इकाइयों से तैयार माल लेती हैं इसलिए वे पाक साफ रहती हैं। नकली सिक्कों की पहचान बेहद मुश्किल है। बीते साल की दूसरी तिमाही में पांच रुपये वाले सिक्कों के 58 ट्रक पकड़े गए थे। ये सभी नकली थे। जम्मू बॉर्डर पर इन्हें पकड़ा गया था। इसके कुछ दिनों बाद उत्तर प्रदेश में भी दर्जनों ट्रक सिक्के पकड़े गए।
ये असली सिक्के गलाने के लिए तमाम असंगठित इकाइयों में वितरित होने थे। एक सिक्के से 16 ब्लेड बनाए जाते हैं। इसी प्रकार पचास पेनों की टिप बनाने में भी एक सिक्का ही लगता है और स्टेपलर पिन की बीस डिब्बियां भी एक ही सिक्के से बनती हैं।दरअसल जालसाजों का तंत्र इतना ज्यादा उन्नत एवं गहरा है कि कटे फटे जो नोट नष्ट कर दिए जाते हैं, उन्हीं का नंबर वे जाली नोटों पर डाल देते है। बहरहाल अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती बनी इस खतरनाक समस्या का इलाज मुश्किल तो है, पर नामुमकिन नहीं। सरकार को इसकी रोकथाम के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)