सफलता का रहस्य

परमात्मा ने आप सबको सुंदर शरीर दिया है। इतनी अच्छी युवावस्था दी है। इतना ही नहीं, आपके पास इतनी अच्छी रौनक भी है। फिर भी आप अपने जीवन को नर्क बनाने पर क्यों तुले हुए हैं? जल्दबाजी करके आप अपना नुकसान क्यों कर रहे हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Thu, 21 Apr 2016 12:55 AM (IST) Updated:Thu, 21 Apr 2016 12:58 AM (IST)
सफलता का रहस्य

परमात्मा ने आप सबको सुंदर शरीर दिया है। इतनी अच्छी युवावस्था दी है। इतना ही नहीं, आपके पास इतनी अच्छी रौनक भी है। फिर भी आप अपने जीवन को नर्क बनाने पर क्यों तुले हुए हैं? जल्दबाजी करके आप अपना नुकसान क्यों कर रहे हैं। यदि मेरी मानें तो मैं यही कहूंगा कि आप सब किसी भी काम को जल्दबाजी में करने का प्रयास मत करना। ऐसा इसलिए, क्योंकि इससे आपके कार्य और उसके परिणामों के गलत होने ही संभावना अधिक होगी। इसलिए बेहतर होगा कि किसी भी कार्य के संबंध में फैसला लेने के पहले आप उसके बारे में सोचें, उसमें थोड़ा समय लगाएं। अगर किसी वजह से आप परमात्मा को नहीं मानते हैं तो फिर अपनी आत्मा से ही पूछ लें। हम लोग तो सब कुछ परमात्मा पर ही छोड़ देते हैं। हम उनसे कहते हैं कि हे परमात्मा! मुझे यह कार्य करना है, करूं या नहीं करूं? और सच मानिए कि वह (परमात्मा) किसी न किसी रूप में रास्ता सुझा देता है और यह भी बता देता है कि आप यह करें या इसे मत करें।

मानिए या न मानिए जो भी व्यक्ति किसी कार्य को परमात्मा, गुरु और अपने माता-पिता का आशीर्वाद लेकर आरंभ करता है, उसे उस कार्य में सफलता अवश्य मिलती है। इसलिए यदि आपको ऐसा करने की आदत नहीं है तो अभी से इस आदत को डालना शुरू करें। यह एक अच्छी आदत है और इसका लाभ अवश्य मिलेगा। हालांकि सब ऐसा करेंगे, इस पर मुझे संदेह है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह आपकी प्रवृत्ति नहीं है। मेरा मानना है कि हर सुबह आपके दरवाजे पर आपको जाग्रत करने के लिए कोई न कोई संदेश या उपहार लेकर जरूर आती है, आप उसे स्वीकार करें या न करें, यह आप पर निर्भर करता है।

यह ध्यान रखिये कि सफलता भी उन्हें ही मिलती है जो दिन-रात एक करके परिश्रम करते हैं और सही लक्ष्य को भेदते हैं। कोल्हू का बैल तो पूरे दिन चलता है, लेकिन यदि उससे पूछा जाए कि वह कितना चला तो शायद वह इसका जवाब नहीं दे सकेगा। हममें से ज्यादातर लोगों की दशा इसीलिए खराब है, क्योंकि हमने अपनी सही दिशा पर ध्यान नहीं दिया। इसलिए सफलता के लिए आवश्यक है कि आप अपने सारे कार्य सदैव सुनियोजित तरीके से करें।

[ आचार्य सुदर्शन ]

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