Quad Summit: क्वाड के जरिये भारत हिंद महासागर में चालबाज चीन को कर सकता है कमजोर

क्वाड केवल चीन को ध्यान में रखकर बनाया गया एक औपचारिक संगठन है और शायद भारत इसके अलावा किसी और रूप में क्वाड को देखता भी नहीं है। गत शुक्रवार को क्वाड देशों के नेताओं की वचरुअल बैठक में कई मुद्दों पर हुई चर्चा। फाइल

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Fri, 19 Mar 2021 09:55 AM (IST) Updated:Fri, 19 Mar 2021 10:05 AM (IST)
Quad Summit: क्वाड के जरिये भारत हिंद महासागर में चालबाज चीन को कर सकता है कमजोर
भारत के क्वाड में होने से पड़ोसी चीन की मुश्किलें बढ़ी हैं

डॉ. सुशील कुमार सिंह। विदेश नीति एक निरंतरशील प्रक्रिया है और प्रगतिशील भी, जहां विभिन्न कारक भिन्न-भिन्न स्थितियों में अलग-अलग प्रकार से देश-दुनिया को प्रभावित करते रहते हैं। इसी को ध्यान में रखकर नए-नए मंचों की न केवल खोज होती है, बल्कि व्याप्त समस्याओं से निपटने के लिए विभिन्न देशों में एकजुटता को भी ऊंचाई देनी होती है। क्वाड का इन दिनों वैश्विक फलक पर उभरना इस बात को पुख्ता करता है।

क्वाड (क्वाडिलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग) भारत समेत जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका का एक चतुष्कोणीय समझौता है। इसका उद्देश्य हिंद प्रशांत क्षेत्र में काम करना है, ताकि समुद्री रास्तों से होने वाले व्यापार को आसान किया जा सके। मगर एक सच यह भी है कि अब यह व्यापार के साथ-साथ सैनिक बेस को मजबूती देने की ओर भी है। ऐसा इसलिए ताकि शक्ति संतुलन को कायम किया जा सके। हालांकि इन चारों देशों की अपनी प्राथमिकताएं हैं और आपसी सहयोग की सीमाएं भी।

भारत के क्वाड में होने से जहां पड़ोसी चीन की मुश्किलें बढ़ी हैं वहीं रूस भी थोड़ा असहज महसूस कर रहा है, पर दिलचस्प यह है कि ब्रिक्स में भारत इन्हीं के साथ एक मंचीय भी होता है। गौरतलब है कि ब्रिक्स पांच देशों का एक समूह है जिसमें भारत के अलावा रूस, चीन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। इन्हें विकसित और विकासशील देशों के पुल के तौर पर देखा जा सकता है। रूस भारत का नैसíगक मित्र है और चीन नैसर्गिक दुश्मन। जाहिर है क्वाड से हिंद प्रशांत क्षेत्र में भारत की भूमिका बढ़ेगी। इससे भारत को चीन को संतुलित करने में मदद मिलेगी। मगर भारत के सामने रूस को साधने की भी चुनौती कमोबेश रहेगी। हालांकि रूस यह जानता है कि भारत कूटनीतिक तौर पर एक खुली नीति रखता है। यह दुनिया के तमाम देशों के साथ बेहतर संबंध का हिमायती रहा है। भारत पाकिस्तान और चीन से भी अच्छे संबंध चाहता है। वह जितना अमेरिका से अच्छे संबंध बनाए रखने का इरादा दिखाता है उससे कहीं अधिक रूस के साथ नाता जोड़े हुए है। इसके अलावा सार्क, आसियान, ओपेक और पश्चिम के देशों समेत अफ्रीकी तथा लैटिन अमेरिका के देशों के साथ उसके रिश्ते कहीं अधिक मधुर हैं।

चीन की चिंता का नया आसमान क्वाड : चीन द्वारा क्वाड समूह को दक्षिण एशिया के नाटो के रूप में संबोधित किए जाने से उसकी चिंता का अंदाजा लगाया जा सकता है। उसका आरोप है कि उसे घेरने के लिए यह एक चतुष्पक्षीय सैन्य गठबंधन है। चीन क्वाड देशों के बीच व्यापक सहयोग को लेकर बन रही समझ से कहीं अधिक चिंतित है। हालांकि इसकी जड़ में चीन ही है। दरअसल क्वाड समूह का प्रस्ताव सबसे पहले साल 2007 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो एबी ने रखा था, जिसे लेकर भारत, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने समर्थन किया था। उस दौरान दक्षिण चीन सागर में चीन ने अपना प्रभुत्व दिखाना शुरू किया था।

दुनिया के नियमों को ताख पर रख कर चीन इस क्षेत्र पर अपनी मर्जी चलाने लगा था। भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया का सामुद्रिक व्यापार इसी रास्ते से होता है। यहां से प्रतिवर्ष पांच लाख टिलियन डॉलर का व्यापार होता है। हालांकि इस दौरान क्वाड का रवैया आक्रामक नहीं था। चीन की चिंता यह भी है कि क्वाड एक नियमित सम्मेलन स्तर का मंच बनने जा रहा है। उधर आसियान देश भी दबी जुबान चीन का विरोध करते हैं, पर खुलकर सामने नहीं आ पाते। दक्षिण कोरिया भी दक्षिण चीन सागर में चीन की दादागिरी से काफी खफा रहा है। अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर का सिलसिला अभी थमा नहीं है। कोरोना वायरस के चलते भी चीन दुनिया के तमाम देशों के निशाने पर है। जाहिर है क्वाड के जरिये भारत हिंदू महासागर में उसे कमजोर कर सकता है। साथ ही हिंदू प्रशांत क्षेत्र में भी अपनी भूमिका बढ़ा सकता है। यही चीन की बौखलाहट का प्रमुख कारण है।

क्वाड और रूस : रूस की दृष्टि में भारत का इस समूह में शामिल होना अनैतिक है। दरअसल रूस को लगता है कि आगे चलकर क्वाड उसके लिए भी हिंद प्रशांत क्षेत्र में खतरा साबित हो सकता है। अमेरिका और रूस एक-दूसरे के विरोधी हैं। चूंकि क्वाड पर नियंत्रण अमेरिका का भी रहेगा और समय के साथ उसका प्रभुत्व बढ़ भी सकता है। ऐसे में भारत यदि रूस के विपरीत खेमे का हिस्सा बनता है तो हिंद प्रशांत में जो रूसी बेड़ा है उसके लिए भी खतरा हो सकता है। हालांकि यहां रूस की शंका वाजिब नहीं है, क्योंकि भारत कभी भी रूस विरोधी गतिविधि में शामिल होने की सोच भी नहीं सकता है। दरअसल क्वाड केवल चीन को ध्यान में रखकर बनाया गया एक औपचारिक संगठन है। और शायद भारत इसके अलावा किसी और रूप में क्वाड को देखता भी नहीं है, पर शंका समाप्त करने के लिए इस मामले में भारत को रूस से खुलकर बात करनी चाहिए। और संदेह समाप्त करने में देरी भी नहीं करनी चाहिए।

[निदेशक, वाईएस रिसर्च फाउंडेशन ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन]

chat bot
आपका साथी