CoronaVirus: देश में बढ़ते इस खतरनाक वायरस से परे नहीं 'शाहीन बाग' के प्रदर्शनकारी

CoronaVirus आज देश में सबसे बड़ी समस्या कोरोना के रूप में हमारे सामने है जिससे बचाव के लिए हमें तमाम उपायों पर जोर देना चाहिए।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Sat, 21 Mar 2020 11:06 AM (IST) Updated:Sat, 21 Mar 2020 11:06 AM (IST)
CoronaVirus: देश में बढ़ते इस खतरनाक वायरस से परे नहीं 'शाहीन बाग' के प्रदर्शनकारी
CoronaVirus: देश में बढ़ते इस खतरनाक वायरस से परे नहीं 'शाहीन बाग' के प्रदर्शनकारी

[अवधेश कुमार]। कोरोना को महामारी और राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के साथ केंद्र द्वारा महामारी कानून लागू करने के सुझाव को अनेक राज्यों ने स्वीकार किया है। राजधानी दिल्ली भी उसमें शामिल है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सरकार के निर्णय की घोषणा करते हुए कहा कि 31 मार्च तक सभी प्रकार की राजनीतिक सभाएं, धरना, प्रदर्शन, सामाजिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर रोक लगा दी गई है। देश के सभी प्रमुख मंदिरों तक में लोगों के प्रवेश प्रतिबंधित हो गए हैं या उनसे अपील की गई है कि अभी कुछ दिनों तक दर्शन-पूजन को नहीं आएं।

इधर राजधानी दिल्ली में शाहीन बाग में धरना दे रहे लोगों के लिए इसके मायने अलग हैं। दिल्ली पुलिस ने स्वयं 31 मार्च तक सभी धरना, प्रदर्शन व अन्य कार्यक्रमों को रद करने का आदेश जारी किया है। पुलिस के बयान में कहा गया कि किसी भी तरह के कार्यक्रम के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट नहीं जारी करेगी। किंतु दिल्ली पुलिस के अधिकारी शाहीन बाग में धरना पर बैठी महिलाओं एवं उनके साथी पुरुषों को समझाने में अब तक विफल ही रहे हैं। धरनारत महिलाएं कह रही हैं कि हमारे लिए कारोनो से ज्यादा खतरनाक सीएए, एनपीआर एवं एनआरसी है। अब प्रश्न यह है कि शाहीन बाग धरना के साथ क्या किया जाना चाहिए?

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से पूछा गया था कि अगर 50 से ज्यादा लोग प्रदर्शन करते हैं तो क्या उन पर कोई कार्रवाई भी होगी तो उन्होंने कहा कि महामारी कानून के तहत डीएम और एसडीएम के पास अधिकार हैं। इस घोषणा के बाद लगा था कि शाहीन बाग में सड़क घेरकर तीन महीने से दिया जा रहा अवैध धरना खत्म हो जाएगा। हुआ उल्टा। अभी तक महिलाएं वहां सड़क पर बिछाई गई दरियों, चादरों पर बैठती थीं, लेकिन अब लकड़ी के तख्तों से बने करीब 60 से ज्यादा चौकीनुमा बेड लगाए गए हैं।

संभवत: दिल्ली का यह पहला विरोध प्रदर्शन है, जहां प्रदर्शनकारियों के बैठने के लिए बेड लगाए गए हैं। इसका अर्थ स्पष्ट है। धरने को आयोजित कराने वाली शक्तियां इसका अंत नहीं चाहतीं। पर्दे के पीछे से लोगों को उकसाने और भ्रमित करने वाले कई लोगों ने ट्वीट या अन्य माध्यमों से यह अपील कर दी कि कोरोना के खतरे को देखते हुए शाहीन बाग या ऐसे अन्य धरनों को कुछ समय के लिए प्रतीकात्मक धरनों में बदल दें। हालांकि कोई वहां ऐसा कहने गया नहीं। यह एक कुटिल रणनीति है। हमने अपील भी कर दी और धरना भी जारी रहा।

एक बार आपने आग लगाकर इतना फैला दिया और अब आप अपील का पाखंड कर रहे हैं! 50 लोगों वाले आदेश के बाद कहा जा रहा है कि हम एक दो दिनों में क्रमिक रूप से 50-50 महिलाओं को ही बिठाएंगे। तो अब दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को फैसला करना है। दिल्ली पुलिस की बात को ये मानने के लिए तैयार नहीं हुए। वहां कुछ दिनों पहले जब एक संगठन ने समानांतर धरना एवं प्रदर्शन की घोषणा की थी तो धारा 144 लागू करके उसे रोक दिया गया। धारा 144 की सूचना वहां टंगी हुई है, किंतु उसका कोई असर शाहीन बाग धरना पर नहीं हुआ। क्या शाहीन बाग देश में कोई अलग देश है या दिल्ली के अंदर कोई अलग राज्य है जहां भारत और दिल्ली का कोई कानून लागू नहीं होता? अभी तक शाहीन बाग के धरनाकर्ताओं ने ऐसा ही व्यवहार किया है।

इस बात को बार-बार दोहराने की आवश्यकता नहीं है कि यह धरना झूठ पर आधारित है तथा इसके पीछे केवल केंद्र सरकार को मुस्लिम विरोधी साबित कर पूरी दुनिया में भारत की छवि खराब करने तथा देश में अव्यवस्था कायम करने की साजिश है। इससे उत्पन्न सांप्रदायिक तनाव ने दिल्ली को दंगों की आग तक में झोंक दिया। नागरिकता कानून से किसी भारतीय का कोई लेना-देना नहीं, एनपीआर पर फिर से गृह मंत्री ने राज्यसभा में स्पष्ट किया है कि उसमें ‘डी’ यानी संदिग्ध नागरिकों वाला कोई ‘डाउटफुल’ कॉलम है ही नहीं तथा इसमें कोई कागज दिखाना ही नहीं हैं।

कोरोना माहामारी ने एक स्वास्थ्य आपातकाल सदृश स्थिति पैदा कर दी है। अगर एक व्यक्ति भी संक्रमित होकर समाज में घुलमिल गया तो वह कितने लोगों की जान जोखिम में डाल सकता है इसकी आप कल्पना नहीं कर सकते। भारत में अभी तक यह ज्यादा नहीं फैला है तो इसका कारण सरकार द्वारा किए गए पूर्वोपाय ही हैं। जिन देशों ने थोड़ी ढिलाई दी वहां आज हाहाकार मचा हुआ है। इटली में दो हजार से अधिक लोग मारे गए हैं। वहां की स्थिति इतनी भयावह है कि मृतकों के परिजन तक उन्हें नहीं देख पा रहे हैं।

दरअसल वहां समय रहते कड़ाई नहीं बरती गई और संक्रमित परिवार में गए, समाज के लोगों से मिले और सैकड़ों लोग चपेट में आते गए। ईरान में एक हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं एवं 17 हजार से ज्यादा संक्रमित हैं। स्पेन ने भी सख्ती नहीं बरती और स्थिति नियंत्रण से बाहर है। वहां 500 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं एवं 12 हजार से ज्यादा संक्रमित हैं। फ्रांस जैसे देश के लिए स्थिति को संभालना कठिन हो रहा है। ब्रिटेन पहले शांत बैठा था और अब वहां भी हाहाकार है। चीन से लेकर अमेरिका तक इस बीमारी से तबाही मची हुई है। ऐसे में हमें भी पूरी तरह से सावधानी बरतनी चाहिए।

कहने का तात्पर्य यह कि अगर हमने कहीं भी नरमी बरती तो स्थिति नियंत्रण से बाहर जा सकती है। ये सब छोटे देश हैं। भारत 135 करोड़ आबादी का देश है। अगर यहां कोरोना समाज के अंदर फैला तो कैसी तबाही होगी इसकी कल्पना करना मुश्किल है। कई देशों में सेना उतरकर लोगों को घरों में रहने को विवश कर रही है। इसमें शाहीन बाग जैसे संभावित ज्वालामुखी को किसी तरह की छूट नहीं मिलनी चाहिए। देश की छाती पर शूल और अब कोरोना वायरस का संक्रमण फैलाने का खतरा बना यह धरना खत्म होना चाहिए।

[वरिष्ठ पत्रकार]

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