विचारों की शक्ति
विचारों से ही कर्म करने की प्रेरणा मिलती है और कर्म से विचार पनपते हैं। विचार अपने में सबको और सभी में अपने को समेटे हुए हैं।
विचारों से ही कर्म करने की प्रेरणा मिलती है और कर्म से विचार पनपते हैं। शुभ, श्रेष्ठ और दिव्य विचार विधाता के विशिष्ट वरदान हैं। सच कहा जाए तो विचार व्यक्ति की आत्मा हैं। आत्मा एक देह तक सीमित नहीं है। इसलिए विचार भी अपने में सबको और सभी में अपने को समेटे हुए हैं। विचार शुद्ध हैं। विचार यदि दिव्य हैं और परमार्थ तथा प्रेम से परिपूर्ण हैं तो विचार हताशा की औषधि हैं। सुविचार वरदान स्वरूप होते हैं। विचार के साथ जब विश्वास का समायोजन होता है तब मानो हृदय और आत्मा का समायोजन होता है। सद्विचार और विश्वास से सब कुछ संभव है। विश्वास से ही विश्व है। विश्वास से ही ब्रह्मांड है। इससे ही बूंद सागर बन जाती है। अंश पूर्ण हो जाता है और अकेलेपन का अंत हो जाता है। व्यक्ति हृदय और आत्मा के अनुबंध के साथ जीने लगता है।
विचार सजीव और सूक्ष्म होते हैं। कर्म इनकी ही देन है। विचार अपराजेय जीवनी शक्ति है। विश्वास युक्त विचार पर ही जीवन रूपी वट वृक्ष का रूप, स्वभाव व संस्कार आदि निर्भर करते हैं। हमें अपने प्रति ईमानदार होना होगा ताकि अपनी मेहनत पर विश्वास हो। आवश्यक नहीं कि किए हुए काम पर सफलता मिलने पर ही खुशी मनाई जाए। असफलता पर भी निराश नहीं होना है। उसे दृढ़ता से हटाने के लिए संकल्पबद्ध होना होगा। अपनी हिम्मत और लगन के प्रति आस्था पैदा करनी होगी। विचारों को प्रेम में पगा कर, त्याग में तपा कर और सेवा संकल्प से सजाकर जब काम होगा तब चमत्कार होगा। विचारों में बड़ा जादू है। ये हमें गिरा भी सकते हैं और उठा भी सकते हैं। आत्मविश्वास को मजबूत करते हुए दिव्य विचारों को कर्मरूप में प्रदत्त करना मानव मात्र का लक्ष्य होना चाहिए। मानव को प्रभु सत्ता में पूर्ण विश्वास व्यक्त करते हुए आशावादी, उदार और उत्कृष्ट विचारों से अपने मन को सराबोर रखना चाहिए। वास्तविक विश्वास एक अवर्णनीय गुण है। यह वह अदम्य साहस है जो हमें सार्थक सफलता की ओर ले जाता है। यह वह महान शक्ति है जो हमारा पथ प्रशस्त करता है। रोते-कलपते नहीं, हंसते-खेलते जीना सिखाता है। इसलिए अपने आप का सच्चा मित्र बनकर आत्मशक्ति पर भरोसा करना सीखना होगा जिसमें पर्वतों को भी हिलाने की भी शक्ति हो और दिशाओं को बदलने का हुनर भी।
[ कविता विकास ]