'आप' सरकार के जनकल्याणकारी कार्यों पर दिल्ली की जनता ने मुहर लगाकर दिया देश को संदेश

दिल्ली के नतीजे राजनीतिक दलों के लिए एक सीख है। केजरीवाल सरकार ने मुफ्त सुविधाएं देने के बावजूद अपने राजस्व को बढ़ाया।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Wed, 12 Feb 2020 02:20 AM (IST) Updated:Wed, 12 Feb 2020 02:20 AM (IST)
'आप' सरकार के जनकल्याणकारी कार्यों पर दिल्ली की जनता ने मुहर लगाकर दिया देश को संदेश
'आप' सरकार के जनकल्याणकारी कार्यों पर दिल्ली की जनता ने मुहर लगाकर दिया देश को संदेश

[ एनके सिंह ]: जरा सोचिए कि क्या तब कोई दल जनकल्याण के मुद्दों को खारिज कर चुनावों में संकुचित एवं गैर जरूरी मसलों के सहारे वोट बटोरने का साहस करेगा जब समाज को जाति, मजहब, क्षेत्र जैसे मसले प्रभावित न करते हों? दिल्ली विधानसभा के चुनाव नतीजे देश के करीब 90 करोड़ मतदाताओं को यही संदेश दे रहे हैं कि ऐसा हो सकता है। वास्तव में आम आदमी पार्टी की ओर से जनकल्याण के मुद्दों पर कहीं अधिक ध्यान केंद्रित करने के कारण ही दिल्ली के मतदाताओं ने उसे फिर से सत्ता सौंपी है।

दिल्ली में आम आदमी पार्टी को एक बार फिर मिली प्रचंड जीत

आम आदमी पार्टी को एक बार फिर प्रचंड जीत मिली। भाजपा को आठ सीटें मिलीं और कांग्रेस का पिछली बार की तरह से खाता भी नहीं खुला। इस तरह के नतीजे आने के क्या कारण रहे, इसकी तह तक जाने का काम सभी राजनीतिक दलों को करना चाहिए। केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा की पूरी नजर दिल्ली पर थी और उसकी ओर से चुनाव जीतने के लिए हरसंभव प्रयास भी किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में अनेक सभाएं कीं तो दूसरे सबसे शक्तिशाली नेता और देश के गृहमंत्री अमित शाह ने एक तरह से दिल्ली में डेरा ही डाल लिया। कई केंद्रीय मंत्रियों ने भी दिन-रात एक कर रखा था इस चुनाव को जीतने के लिए।

मोदी ने शाहीन बाग धरने को एक संयोग नहीं, प्रयोग बताया

दिल्ली में ऐसे वक्त चुनाव हो रहे थे जब नागरिकता संशोधन कानून को लेकर मुस्लिम समाज में नाराजगी व्याप्त थी और वह उसे खुलकर व्यक्त भी कर रहा था। दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में इस कानून के खिलाफ धरना भी जारी था। यह अभी भी जारी है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस धरने को जनता को बांटने वाला आंदोलन करार देते हुए एक संयोग नहीं, प्रयोग बताया। कुल मिलाकर भाजपा की ओर से शाहीन बाग धरने को चुनावी मुद्दा बनाने की हरसंभव कोशिश की गई। इसमें उसके कुछ नेताओं ने आपत्तिजनक बयान भी दिए। केजरीवाल को आतंकवादी कहा गया। इस पर एक केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केजरीवाल तो खुद को अराजकतावादी कहते हैं और आतंकवादी एवं अराजकतावादी में ज्यादा अंतर नहीं होता।

स्वास्थ्य, शिक्षा में सुधार और बिजली-पानी मुफ्त देने से जनता आप पर हुई मेहरबान

अगर इस सबके बावजूद आम आदमी पार्टी को जनता ने चुना तो क्या यह शाहीन बाग आंदोलन पर मतदाताओं की मुहर है? नहीं। यह संदेश है कि जो असल में हमारे स्वास्थ्य, शिक्षा और हमारे कल्याण के लिए बिजली और पानी मुफ्त देगा वही हमारी पसंद भी होगा। आम आदमी पार्टी भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना आंदोलन के दौरान उपजे राष्ट्रव्यापी जनांदोलन की पैदाइश है। आंदोलन के अस्थाई स्वरूप के कारण देश की जनता फिर वापस जाति, संप्रदाय और अन्य संकीर्ण भावनाओं में बहने लगी।

दिल्ली सरकार के पास सीमित शक्तियां होने के बावजूद शिक्षा पर दिखाया बढ़ा दिल

चूंकि दिल्ली में सरकार के पास बहुत ही सीमित शक्तियां हैं लिहाजा 2015 में 70 में से 67 सीटों के साथ सत्ता में आने के बावजूद आप सरकार को पग-पग पर बाधाएं मिलीं, लेकिन उसने अपने पहले बजट में एक तिहाई राशि शिक्षा के लिए और एक बड़ा अंश स्वास्थ्य के लिए आवंटित किया। करीब 2.10 करोड़ की दिल्ली की कुल आबादी के लिए 2019 में आप सरकार का बजट 60 हजार करोड़ रुपये का हो गया। इसमें से 25 प्रतिशत यानी लगभग 15,000 करोड़ रुपये शिक्षा के लिए आवंटित किए और लगभग साढ़े सात हजार करोड़ रुपये यानी 12.5 प्रतिशत स्वास्थ्य के लिए।

दिल्ली सरकार हर परिवार पर रोजाना 50 रुपये खर्च करती, जबकि केंद्र साढ़े छह रुपये खर्च करती है

इसका अर्थ हुआ कि यह सरकार दिल्ली के प्रत्येक परिवार पर स्वास्थ्य के मद में रोजाना 50 रुपये खर्च करने लगी। इस मद में केंद्र सरकार का 139 करोड़ आबादी के लिए खर्च 67,484 करोड़ रुपये है। यानी प्रत्येक परिवार पर प्रतिदिन साढ़े छह रुपये। अगर उत्तर प्रदेश सरीखे राज्य को देखें तो 2019-20 में योगी सरकार ने 23,488 करोड़ रुपये यानी प्रति परिवार 12 रुपये का आवंटन किया। केंद्र का अंशदान मिला दें तो यह राशि लगभग 18.50 रुपये पहुंचती है। फिर इसमें 75 प्रतिशत हिस्सा प्रशासनिक खर्च में चला जाता है और शेष भाग का बड़ा हिस्सा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है।

दिल्ली में भ्रष्टाचार नियंत्रित रहा, शिक्षा की गुणवत्ता दुरुस्त कर दी

दिल्ली का क्षेत्रफल कम होने से जहां प्रशासनिक खर्च कम था वहीं भ्रष्टाचार भी नियंत्रित रहा। इसके अलावा दिल्ली सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता इतनी दुरुस्त कर दी कि निम्न-मध्यमवर्गीय लोग महंगे निजी स्कूलों के बजाय अपने बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूलों में कराने लगे।

‘मुफ्त बिजली’ मुख्यमंत्री का मास्टर स्ट्रोक रहा, आमजन के लिए राहत

‘मुफ्त बिजली’ मुख्यमंत्री का मास्टर स्ट्रोक रहा। दिल्ली के निम्न एवं मध्यम वर्ग जिसकी औसत आय 18,000 रुपये से कम है, उसके लिए अच्छी शिक्षा, मुफ्त चिकित्सा, मुफ्त बिजली-पानी अकल्पनीय राहत थी। मोहल्ला क्लिनिक से लेकर गरीब बच्चों के लिए सस्ती और सुलभ शिक्षा उपलब्ध होना दिल्ली की गरीब जनता के लिए दिवास्वप्न के साकार होने जैसा था।

जनता राजनीतिक दलों को जनकल्याण पर अधिक ध्यान देने के लिए मजबूर करेगी

दिल्ली में अमीर-गरीब की खाई काफी चौड़ी है। यहां साक्षरता दर लगभग 90 प्रतिशत है और प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत का तीन गुना और बिहार के मुकाबले सात गुना है। इस चुनाव परिणाम का संदेश यह भी है कि जैसे-जैसे प्रति व्यक्ति आय और साक्षरता दर बढ़ेगी, वैसे-वैसे जातिवाद और संप्रदायवाद का बोलबाला भी कम होगा और जनता राजनीतिक दलों को जनकल्याण पर अधिक ध्यान देने के लिए मजबूर करेगी।

दिल्ली में जातिवादी राजनीति बेअसर

2014 तक सपा और बसपा सरीखे दलों ने दिल्ली में अपनी पैठ बनाने की कोशिश की, लेकिन उनकी दाल नहीं गली। इस चुनाव में वे कहीं भी नहीं हैं तो इसी कारण कि दिल्ली में जातिवादी राजनीति नाम मात्र की है। दिल्ली में जातिवादी राजनीति के बेअसर रहने का कारण यही है कि यहां की बड़ी आबादी बाहरी लोगों की है और वह इसकी परवाह कम ही करती है कि कौन किस जाति का है?

दिल्ली के नतीजे राजनीतिक दलों के लिए एक सीख, मुफ्त सुविधा के बावजूद राजस्व बढ़ा

दिल्ली के नतीजे राजनीतिक दलों के लिए एक सीख है। यह उल्लेखनीय है कि केजरीवाल सरकार ने मुफ्त सुविधाएं देने के बावजूद अपने राजस्व को बढ़ाया। यह इसीलिए संभव हुआ, क्योंकि दिल्ली सरकार ने टैक्स का जो भी जरिया उपलब्ध था उसमें भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई। इसी कारण उसका राजस्व बढ़ा। क्या अन्य राज्य सरकारें इसे अपनाकर अपने सीमित साधनों से राजस्व बढ़ाने और साथ ही जनता को मुफ्त बिजली-पानी देने का संकल्प ले सकती हैं?

दिल्ली में आप की सत्ता में वापसी राजनीतिक दलों के साथ ही देश की जनता को भी संदेश दे रहा

जनता अगर चाहे तो मुद्दा आरक्षण पर सस्ती सियासत न होकर सड़क, शिक्षा, अस्पताल और अन्य जन सुविधाएं हो सकती हैं। यह तभी होगा जब जनता संकीर्ण भावनाओं से परे उठकर अपनी सोच को जन कल्याण के मुद्दों की ओर ले जाएगी। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सत्ता में वापसी के मूल कारणों पर इसलिए गौर किया जाना चाहिए, क्योंकि वे राजनीतिक दलों के साथ ही देश की जनता को भी संदेश दे रहे हैं।

( लेखक राजनीतिक विश्लेषक एवं वरिष्ठ स्तंभकार हैं )

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