आतंक के समक्ष हमारा आंतरिक सुरक्षा तंत्र: आतंकवाद से निपटने के कानून को और धार देने की जरूरत है

पुलिस में जनशक्ति और संसाधन की भयंकर कमी है। इसे सशक्त बनाना और आवश्यक संसाधनों से लैस करना देश के लिए अत्यंत आवश्यक है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Thu, 09 May 2019 05:17 AM (IST) Updated:Thu, 09 May 2019 05:17 AM (IST)
आतंक के समक्ष हमारा आंतरिक सुरक्षा तंत्र: आतंकवाद से निपटने के कानून को और धार देने की जरूरत है
आतंक के समक्ष हमारा आंतरिक सुरक्षा तंत्र: आतंकवाद से निपटने के कानून को और धार देने की जरूरत है

[ प्रकाश सिंह ]: जैश-ए-मुहम्मद के सरगना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किया जाना भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक सफलता है। जैश-ए-मुहम्मद ने भारत में कई बड़े आतंकी हमले किए हैं। 2000 में सेना के 15 कोर मुख्यालय, जो श्रीनगर में बदामी बाग में है, पर हमला किया था। इसके बाद 2001 में संसद पर धावा बोला। 2016 में पठानकोट में वायुसेना के स्टेशन पर आतंकी हमला और 2019 में पुलवामा में नरसंहार भी इसी आतंकी संगठन ने किया। मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने का प्रयास 2009 से ही चल रहा था, परंतु चीन के असहयोग के कारण ऐसा नहीं हो पा रहा था। अंतत: अंतरराष्ट्रीय दबाव में चीन को झुकना पड़ा, परंतु यह सोचना गलत होगा कि मसूद अजहर पर अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी की छाप लगने के बाद पाकिस्तान सही मायने में उस पर कोई प्रभावी अंकुश लगाएगा।

पाकिस्तान के अमेरिका में राजदूत ने स्वयं यह बयान दिया है कि इस कदम का कोई ठोस प्रभाव नहीं पड़ेगा। लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज मोहम्मद सईद पर अमेरिका ने एक करोड़ डॉलर का इनाम घोषित कर रखा है, परंतु यह आतंकी सरगना पाकिस्तान में खुलेआम घूमता है और भारत के विरुद्ध भड़काऊ बयान देते रहता है। कथनी और करनी में अंतर करते हुए और झूठ बोलकर दुनिया को बेवकूफ बनाने की कला में पाकिस्तान माहिर है। पड़ोसी देश श्रीलंका में 21 अप्रैल को जो भयंकर आतंकी हमला हुआ वह भी हमारे लिए खतरे की घंटी है। आठ स्थानों पर एक ही दिन में छह घंटे के अंतराल में तीन शहरों- कोलंबो, निगोंबो और बाट्टीकलोवा में विस्फोट किए गए जिनमें 250 से अधिक लोग मारे गए और 500 से ज्यादा घायल हुए।

इस्लामिक स्टेट यानी आइएस ने श्रीलंका के आतंकी हमलों की जिम्मेदारी ली है। इन हमलों को स्थानीय संगठनों-नेशनल तौहीद जमात और जमीयथुल मिलाथु इब्राहिम ने अंजाम दिया। इस्लामिक स्टेट हमलों का श्रेय लेकर शायद अपना कद बड़ा करना चाहता है। यह भी हो सकता है कि स्थानीय संगठनों को इस्लामिक स्टेट के राजनीतिक दर्शन से प्रेरणा मिली हो। ध्यान देने की बात है कि श्रीलंका के सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल महेश सेनानायके ने अपने हालिया बयान में कहा है कि आत्मघाती हमलावर कश्मीर, कर्नाटक और केरल में प्रशिक्षण और शायद कुछ मदद के लिए गए थे।

हमारे एक अन्य पड़ोसी देश बांग्लादेश में तो इस्लामिक स्टेट ने निश्चित रूप से पैठ बना ली है। जुलाई 2016 में आतंकवादियों ने ढाका में आर्टिजान बेकरी पर हमला कर कई लोगों को बंधक बना लिया था। इस आतंकी घटना में 29 लोग और दो पुलिसकर्मी मारे गए थे। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हाल में बयान दिया कि आतंकवादियों के पुन: हमले की आशंका है और इसके लिए देश की पुलिस और खुफिया विभाग को सतर्क कर दिया गया है। मालदीव में यद्यपि सत्ता परिवर्तन हो गया है, परंतु वहां चरमपंथी अपनी जड़ें बना चुके हैं।

भारत के गृह मंत्री बराबर यह कहते हैं कि देश को इस्लामिक स्टेट से खतरा नहीं है और देश के मुसलमान इस आतंकी संगठन के राजनीतिक दर्शन से प्रभावित नहीं होंगे, परंतु जमीनी हकीकत कुछ और है। यह सही है कि भारत में मुसलमानों की आबादी को देखते हुए आइएस प्रभावित मुसलमानों का प्रतिशत बहुत कम है।

साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल के अनुसार अभी तक केवल 167 लोग इस्लामिक स्टेट के समर्थक होने के संदेह में गिरफ्तार किए गए हैं और इनमें से 73 लोगों को चेतावनी और सलाह देने के बाद छोड़ा जा चुका है। इसके अलावा 98 इस्लामिक स्टेट की तरफ से लड़ने के लिए सीरिया, इराक या अफगानिस्तान गए। इनमें से 33 मारे जा चुके हैं। कश्मीर में जब-तब इस्लामिक स्टेट के झंडे दिखाई देते हैं। महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल मुख्य रूप से प्रभावित प्रदेश माने जाते हैं। उत्तर प्रदेश में भी कुछ स्थानों पर इस्लामिक स्टेट के समर्थक होने का अंदेशा है।

पिछले साल 4 अप्रैल को नेशनल इंवेस्टिगेटिव एजेंसी (एनआइए) ने बांदा जनपद से जामिया अरबिया मदरसा के सात युवकों को गिरफ्तार किया था। दिसंबर 2018 में एनआइए ने दिल्ली और उत्तर प्रदेश के 17 स्थानों पर इस्लामिक स्टेट समर्थक इकाइयों के सक्रिय होने की सूचना होने पर छापे मारे और दस लोगों को, जो हरकत-उल-हर्ब-ए-इस्लाम के सदस्य थे, को गिरफ्तार किया। 22 जनवरी, 2019 को महाराष्ट्र के एंटी टेररिज्म स्कवॉड ने नौ लोगों को इस्लामिक स्टेट से जुड़े होने के आधार पर गिरफ्तार किया। इनमें से कुछ उम्मत-ए-मोहम्मदिया के सदस्य थे।

पूछताछ से पता चला कि इनका मुख्य सरगना सीरिया में इस्लामिक स्टेट के एक आतंकी के संपर्क में था। 26 जनवरी, 2019 को महाराष्ट्र पुलिस ने ठाणे से एक युवक को गिरफ्तार किया। इसके बारे में कहा जाता है कि वह किसी सार्वजनिक स्थल पर विष डाल कर भारी संख्या में लोगों को मारने की योजना बना रहा था। केरल में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के चलते गृह मंत्रालय के रडार पर है। यह संगठन आतंकवादी गतिविधियों और राजनीतिक हत्याओं में संलिप्त पाया गया है। हाल में एक पोस्टर द्वारा, जिसका शीर्षक है ‘कमिंग सून’ (शीघ्र आ रहे हैं) इस्लामिक स्टेट ने भारत और बांग्लादेश, दोनों को ही चेतावनी दी है।

आतंकवाद के बढ़ते खतरे पर पाकिस्तान की चर्चा करना शायद अनावश्यक है। दुनिया में आज आतंकवाद के दो सबसे बड़े स्नोत हैं। एक पाकिस्तान और दूसरा सऊदी अरब। आर्थिक दृष्टि से संपन्न सऊदी अरब दुनिया भर में वहाबी दर्शन के प्रचार और प्रसार में मदद दे रहा है। पाकिस्तान तो आतंकवादियों की नर्सरी ही है। अफगानिस्तान, ईरान, भारत और अन्य देश पाकिस्तान के आतंकवादियों के निर्यात से परेशान हैं। इस तरह आतंकवाद हमारी सीमाओं पर हर दिशा से दस्तक दे रहा है। पाकिस्तान से तो है ही, श्रीलंका, मालदीव और बांग्लादेश से भी खतरे की घंटी बज रही है। सवाल है कि क्या हम इन खतरों से निपटने के लिए तैयार हैं? कुछ हद तक तो हैं, परंतु अगर गहराई में देखा जाए तो अभी बहुत कुछ करना बाकी है। सीमाओं पर सैन्य बल पर्याप्त है, उन्हें किसी खतरे का जवाब देने की भी पूरी स्वतंत्रता है, परंतु तटीय सुरक्षा अभी भी जर्जर है। कोस्टल सिक्योरिटी स्कीम मंथर गति से लागू हो रही है।

हमें याद रखना होगा कि मुंबई में 26/11 का हमला समुद्री रास्ते से हुआ था। सबसे बड़ी कमजोरी हमारी पुलिस व्यवस्था की है, जबकि घरेलू आतंकी तत्वों और विदेशी आतंकी संगठनों के समर्थकों से इसी बल को सबसे पहले निबटना पड़ता है। पुलिस में जनशक्ति और संसाधन की भयंकर कमी है। इसे सशक्त बनाना और आवश्यक संसाधनों से लैस करना देश के लिए अत्यंत आवश्यक है। आतंकवाद से निपटने की नीति को भी परिभाषित करने की आवश्यकता है। इसी तरह आतंकवाद से निपटने के कानून को भी और धार देने की जरूरत है। सीमा के बाहर तो हमने सर्जिकल स्ट्राइक की है और देश को उस पर गर्व है, परंतु सीमा के अंदर भी ऐसे बहुत तत्व हैं जिन पर सर्जिकल स्ट्राइक होनी चाहिए।

( लेखक सीमा सुरक्षा बल के पूर्व महानिदेशक हैैं )

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप

chat bot
आपका साथी