भारत-यूएई के बीच परवान चढ़ते रिश्ते, क्राउन प्रिंस ने कुछ इस तरह की मोदी की तारीफ

क्राउन प्रिंस द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को भाई बताया जाना और ‘अपने दूसरे घर’ आने के लिए आभार जताना दोनों देशों के परवान चढ़ते रिश्ते को रेखांकित करने के लिए पर्याप्त है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Tue, 27 Aug 2019 12:38 PM (IST) Updated:Wed, 28 Aug 2019 01:29 AM (IST)
भारत-यूएई के बीच परवान चढ़ते रिश्ते, क्राउन प्रिंस ने कुछ इस तरह की मोदी की तारीफ
भारत-यूएई के बीच परवान चढ़ते रिश्ते, क्राउन प्रिंस ने कुछ इस तरह की मोदी की तारीफ

[अरविंद जयतिलक]। भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच बढ़ती प्रगाढ़ता कई मायने में महत्वपूर्ण है। ऐतिहासिक, राजनीतिक, भौगोलिक, सांस्कृतिक व आर्थिक कारणों से अरब देश भारत की विदेश नीति में विशिष्ट महत्व का विषय रहे हैं। यह क्षेत्र भारत के विदेश नीति के रक्षा संबंधी पहलुओं को प्रभावित करता है और इसी को ध्यान में रख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त अरब अमीरात से निर्णायक संबंध जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी को लेकर यूएई के दिल में कितना सम्मान है, वह 2018 में मोदी की यूएई की यात्रा के दौरान देखने को मिला जब यूएई ने दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा समेत अनेक भवनों को तिरंगे के रंग से रंग दिया था। प्रधानमंत्री मोदी ने अबू धाबी में भारतीय रुपे कार्ड जारी किया। इस तरह पश्चिम एशिया में यूएई पहला देश बन गया है जहां रुपे कार्ड चलेगा।

आर्थिक संबंधों को और मजबूत बनाना 
गत वर्ष प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान यूएई ने आर्थिक संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए भारत में 75 अरब डॉलर के निवेश का फैसला लिया। अगर दोनों देश समझौते के मुताबिक अगले पांच वर्षों में आपसी कारोबार बढ़ाने और ऊर्जा क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी की दिशा में आगे बढ़ते हैं तो नि:संदेह दोनों देशों के सामरिक- आर्थिक बुनियादी ढांचे का तेजी से विकास होगा। यूएई की पूंजी से रेलवे, बंदरगाहों, सड़कों, हवाई अड्डों आदि के आधुनिकीकरण में मदद मिलेगी। महत्वपूर्ण यह भी कि यूएई ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी को भी अपना समर्थन दिया है।

‘एयरो इंडिया शो’
भारत और यूएई के बीच महत्वपूर्ण प्रतिरक्षा सहयोग बना हुआ है। अरसे से भारत अपनी संस्थाओं में संयुक्त अरब अमीरात के रक्षा कार्मिकों को विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान करता रहा है और संयुक्त अरब अमीरात द्वारा आयोजित रक्षा कार्यक्रमों में बढ़- चढ़कर भाग लेता है। याद होगा गत वर्ष पहले संयुक्त अरब अमीरात के प्रदर्शनी निगम द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय प्रतिरक्षा प्रदर्शनी में भारत ने शिरकत की थी। इसी तरह फरवरी 2007 में बंगलुरु में आयोजित ‘एयरो इंडिया शो’ में भाग लेने के लिए यूएई ने भी अपने अधिकारियों को भेजा था। जून 2003 में द्विपक्षीय प्रतिरक्षा आदान-प्रदान के लिए संयुक्त प्रतिरक्षा सहयोग समिति यानी ज्वाइंट डिफेंस कॉपरेशन कमेटी के गठन के लिए एक मसौदे पर हस्ताक्षर भी किए गए। भारतीय नौसेना के पोतों ने संयुक्त अरब अमीरात की अनके सदभावना यात्राएं की।

सांस्कृतिक पहलुओं को मजबूती
वर्ष 2008 में बतौर विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी ने संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा की और उसी वर्ष यूएई के विदेशी व्यापार मंत्री शेख लुबना अल कासिमी ने भी भारत की यात्रा की। फिक्की ने उन्हें वर्ष की सर्वश्रेष्ठ सफल महिला के खिताब से नवाजकर दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक पहलुओं को मजबूती दी। दोनों देशों ने एकदूसरे के हितों को ध्यान में रख ढेरों समझौते किए जो अब फलदायी साबित हो रहे हैं। उदाहरण के लिए दोनों देशों ने प्रत्यर्पण संधि, आपराधिक एवं सिविल मामलों में आपसी विधिक सहायता संधि, सिविल एवं वाणिज्यिक मामलों में सहयोग के लिए विधिक एवं न्यायिक समझौता किया जो वर्ष 2000 से ही लागू है।

नागरिक उड्डयन समझौता
इस संधि के तहत दोनों देश अपराधियों के हस्तांतरण के अलावा आपसी विधिक सहायता को मूर्त रूप दे सकते हैं। चूंकि यह क्षेत्र नशीली दवाओं का अड्डा बनता जा रहा है इसलिए दोनों देशों ने नशीली दवाओं और मस्तिष्क पर खतरनाक असर डालने वाले तत्वों की तस्करी रोकने के लिए 1994 में समझौता किया। इसी तरह 1975 में सांस्कृतिक समझौता और 1989 में नागरिक उड्डयन समझौता हुआ। सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए वर्ष 2000 में अमीरात न्यूज एजेंसी तथा प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया के बीच समझौता हुआ। सेबी और अमीरात प्रतिभूति एवं पण्य प्राधिकरण के बीच भी समझौता हुआ। दूरदर्शन के ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन महानिदेशालय यानी प्रसार भारती तथा अमीरात केबल टीवी मल्टीमीडिया एलएलसी के बीच चैनल प्रबंधन समझौते को वर्ष 2000 में आकार दिया गया। दोनों देशों के बीच दिसंबर 2006 में मैन पावर सोर्सिंग इनकॉरपोरेशन के एक मसौदे पर भी समझौता हुआ।

सामाजिक व व्यापारिक संबंध
इतिहास पर दृष्टि डालें तो इस क्षेत्र से भारत का सामाजिक व व्यापारिक संबंध शताब्दियों का रहा है। इतिहास से जानकारी मिलती है कि भारत से मसाले व कपड़े अमीरात क्षेत्र को और अमीरात क्षेत्र से मोती व खजूर भारत को भेजे जाते रहे हैं। आज संयुक्त अरब अमीरात में तकरीबन 25 लाख से अधिक भारतीय कामगार हैं जो न सिर्फ रोजी-रोटी कमा रहे हैं, बल्कि अपनी गाढ़ी कमाई का बड़ा हिस्सा भारत भेजकर भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहे हैं। यूएई, बहरीन, कतर, ओमान, कुवैत और सउदी अरब में करीब तीन करोड़ भारतीय विभिन्न तरह के काम कर रहे हैं जो दुनिया भर में पसरे लगभग सवा सात करोड़ भारतीयों का चौथाई हिस्सा है। अकेले यूएई से ही 12 अरब डॉलर भारत आता है।

गौर करें तो अरब देशों में यूएई एक महत्वपूर्ण वाणिज्यिक एवं व्यवसायिक हब है तथा साथ ही सिंगापुर एवं हांगकांग के बाद विश्व में तीसरा प्रमुख पुनर्निर्यातक केंद्र भी। यही वजह है कि यह इराक, ईरान, सीआइएस देशों तथा अफ्रीका आदि बाजारों के लिए स्नोत केंद्र बना हुआ है। दूसरी ओर लगभग सात प्रतिशत जीडीपी की वृद्धि दर से भारत विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहा है, इसलिए भी दोनों देशों के बीच बेहतर व्यापारिक संबंध होना आवश्यक है। संयुक्त अरब अमीरात भारतीय उत्पादों के लिए दूसरा सबसे बड़ा बाजार है।

आर्थिक व कूटनीतिक संबंध
भारत अनेक प्रकार के उत्पादों का निर्यात संयुक्त अरब अमीरात को करता है। साथ ही संयुक्त अरब अमीरात में निर्मित सामानों के लिए भारत भी एक महत्वपूर्ण निर्यात स्थल बन चुका है। भारत द्वारा यूएई से आयात की जाने वाली वस्तुओं में पेट्रोलियम एवं उसके उत्पाद, सोना, चांदी, धातु अयस्क एवं धातु अपशिष्ट, सल्फर एवं लौह पायराइट्स, मोती तथा बेशकीमती पत्थर इत्यादि शामिल हैं। इसी तरह भारत द्वारा निर्यात की जाने वाली वस्तुओं में आरएमजी कॉटन, रत्न, आभूषण, मानव निर्मित धागे, समुद्री उत्पाद तथा प्लास्टिक इत्यादि हैं। वर्तमान में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 60 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। माना जा रहा है कि दोनों देशों के आर्थिक व कूटनीतिक संबंधों में और भी मजबूती आएगी और व्यापारिक साझेदारी को एक नया आयाम मिल सकता है।
[स्वतंत्र टिप्पणीकार]

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